प्रखंड के किशुनपुर में वर्ष 1812 से दुर्गापूजा मनायी जा रही है. सबसे पहले किशुनपुर के मैथिल ब्राह्मण परिवार के सदस्य गुणानंद झा, रामपाल झा, गोपाल झा व दुर्गानंद झा ने दुर्गापूजा की शुरुआत की थी. इनके निधन के बाद पंडित परमेश्वरीदत झा ने दुर्गापूजा की परंपरा को आगे बढ़ाया. इसी बीच वर्ष 1956 में मुख्य न्यायाधीश पंडित दामोदर झा ने किशुनपुर में एक मंदिर का निर्माण कराया. जिसमें दक्षिणेश्वर कालिका महारानी की स्थापना कराया गया. इसके बाद मुख्य न्यायाधीश पंडित दामोदर झा मंदिर परिसर में ही दुर्गा पूजा कराया जाने लगा. तब प्रखंड में सिर्फ किशुनपुर में ही दुर्गा पूजा कार्यक्रम होता था. बाद में लोइंगा में शुरू हुआ. लेकिन फिलहाल प्रखंड में करीब चार दर्जन से भी अधिक जगहों पर दुर्गा पूजा मनायी जा रही है.
प्रखंड किशुनपुर, लोइंगा, काला पहाड़, आरेदाना, कररकला, पांडेयपुरा, इमली, सिरमा, नावाखास, पाटन, नौडीहा, पाल्हेकला, भुड़वा, नावाडीह, ब्रह्मोरिया, हिसराबरवाडीह, मेराल, सिक्किकला, कांकेकला, किसैनी, सकलदीपा, जयपुर, नावाखास टोला अखड़ा, अंकराहा समेत करीब चार दर्जन से भी अधिक गांवों में दुर्गापूजा मनाया जाने लगा है. कई गांव तो ऐसा भी है, जहां दो जगह मनाया जाता है.
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