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अधिक प्रयोग से ही होगा हिंदी का विकास
रेलवे क्लब में हिंदी दिवस पर गोष्ठी का आयोजन हिंदी भाषा की ताकत बोलियां हैं हिंदी भाषा में मिलती है भारत की महान संस्कृति की झलक मेदिनीनगर : हिंदी दिवस के अवसर पर रेलवे क्लब में विचार गोष्ठी का आयोजन हुआ. विद्वान वक्ताओं ने हिंदी का भविष्य-मानसिकता और वास्तविकता विषय पर विचार व्यक्त किये. मुख्य […]
रेलवे क्लब में हिंदी दिवस पर गोष्ठी का आयोजन
हिंदी भाषा की ताकत बोलियां हैं
हिंदी भाषा में मिलती है भारत की महान संस्कृति की झलक
मेदिनीनगर : हिंदी दिवस के अवसर पर रेलवे क्लब में विचार गोष्ठी का आयोजन हुआ. विद्वान वक्ताओं ने हिंदी का भविष्य-मानसिकता और वास्तविकता विषय पर विचार व्यक्त किये. मुख्य अतिथि राज भाषा कार्यान्यवन समिति के अध्यक्ष सह मंडल विद्युत अभियंता ए पांडेय व विशिष्ट अतिथि सहायक मंडल अभियंता एके दास ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का उदघाटन किया.
कार्यक्रम का संचालन समिति के सचिव एके सिन्हा ने किया. गोष्ठी में जीएलए कॉलेज के हिंदी विभाग के प्राध्यापक डॉ कुमार वीरेंद्र ने हिंदी भाषा के भविष्य, मानसिकता और वास्तविकता विषय पर विस्तार से प्रकाश डाला. कहा कि हिंदी भाषा की ताकत बोलियां हैं. हिंदी भाषा का विकास तेजी से तभी होगा, जब अधिक से अधिक लोग इस भाषा को बोलेंगे. अधिक प्रयोग होने से ही हिंदी भाषा के विकास में गति आयेगी. उन्होंने कहा कि हिंदी भाषा संयुक्त राष्ट्र संघ की अाधिकारिक भाषा बने, इसके लिए केंद्र सरकार को भी सक्रियता के साथ प्रयास करनी चाहिए.
उन्होंने कहा कि विभिन्न भाषाओं के हजारों शब्द हिंदी में शामिल हो गये हैं. इस कारण हिंदी अब समृद्ध हुई है. विभिन्न भाषाओं के सैकड़ों शब्द अभी भी पनाह मांग रहे हैं. हिंदी समय के हिसाब से अपने को समृद्ध किया है और गतिशील हुई है.
भारतेंदु हरिश्चंद्र ने 1873 में कहा था कि हिंदी नयी चाल में चली है, लेकिन हिंदी की वर्तमान स्थिति और उसके विकास की गति को देख कर अब यह कहा जा सकता है कि हिंदी तेज चाल में चली है और पहले की अपेक्षा अधिक समृद्ध हुई है. जरूरत है इसे अधिक से अधिक लोग अपनी बोलचाल की भाषा बनायें और कार्य व्यवहार में लागू करें. हीनता की भावना को त्याग कर हिंदी भाषा का प्रयोग खुले दिल से करने की जरूरत है. हिंदी देश की राष्ट्रभाषा है, इसमें भावनात्मक लगाव है. हिंदी भाषा के प्रयोग करने में अपनापन व आदर का भाव झलकता है.
भारत की महान संस्कृति की झलक हिंदी भाषा में मिलती है. उन्होंने कहा कि हिंदी के विकास में सूचना एवं तकनीक ने भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है. गोष्ठी में प्रो विजय शुक्ला, पंकज श्रीवास्तव, हरिवंश प्रभात, उदय मांझी, शर्मिला सुनी, शीला श्रीवास्तव आदि ने विचार व्यक्त किया. मौके पर रेलवे के वासुदेव प्रधान, प्रेम सिंह, विकास कुमार, दयाशंकर चौधरी, वीएम पांडेय, एके श्रीवास्तव, जेआर बड़ाइक, दिनेश कुमार, एके तिवारी, प्रेम प्रकाश सहित रेलकर्मी मौजूद थे.
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