विश्रामपुर(पलामू). दिलीप विश्वकर्मा का कहना है कि विश्रामपुर को आगे ले जाने के लिए यह जरूरी है कि अध्यक्ष विजन वाला हो और विकास के प्रति गंभीर हो. मनोज विश्वकर्मा का कहना है कि महिलाओं में नेतृत्व क्षमता होता है, इसलिए अध्यक्ष पद महिला के लिए आरक्षित है, तो इसे लेकर मन में यह भाव नहीं लाना चाहिए कि इससे विकास नहीं होगा.
यदि निर्णय लेने में सक्षम उम्मीदवार को जिताया जाये, तो तसवीर बदल सकती है. नीरज कुमार का कहना है कि अध्यक्ष के रूप में वह वैसे प्रत्याशी का चयन करेंगे, जो स्वयं निर्णय लेने में सक्षम हो. रविरंजन का कहना है कि व्यवस्था रिमोट से संचालित होने वाली न हो, अध्यक्ष कोई भी हो, वह निर्णय लेने में सक्षम हो. क्योंकि देखा जाता है कि जो सीट महिला के लिए आरक्षित होती है, वहां पुरुष अपना वर्चस्व स्थापित करना चाहते हैं.
इस परिपाटी पर रोक लगना चाहिए. राकेश केसरी का कहना है कि यदि बेहतर काम करने का लक्ष्य तैयार किया जाये, तो निश्चित तौर पर विकास होगा. महिलाओं के नेतृत्व में भी बेहतर कार्य हुए हैं. संजय चंद्रवंशी का कहना है कि ग्राम पंचायत जैसी स्थिति न हो,अध्यक्ष जो भी बने, वह स्वयं निर्णय लेने में सक्षम हो. विकास केसरी का कहना है कि प्रत्याशी चयन के पहले यह जरूरी है कि योग्यता और पृष्ठभूमि देखी जाये. इस कसौटी पर जो खरा उतरे, उसे अध्यक्ष चुना जाये, ताकि विश्रामपुर नगर पर्षद का विकास हो सके.