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बरामदे में चलता है हाइस्कूल का कार्यालय

ग्रामीणों ने भूदान कर स्कूल की स्थापना की थी प्रबंधन समिति द्वारा होता है स्कूल का संचालन विज्ञान, गणित, अर्थशास्त्र, संस्कृत, भूगोल व अंग्रेजी के शिक्षक का पद रिक्त जयनगर : प्रखंड के हिरोडीह स्थित स्थापना स्वीकृति प्राप्त हाइस्कूल वर्षों बाद भी कई मूलभूत समस्याओं से जूझ रहा है. इन समस्याओं के समाधान के प्रति […]

ग्रामीणों ने भूदान कर स्कूल की स्थापना की थी

प्रबंधन समिति द्वारा होता है स्कूल का संचालन
विज्ञान, गणित, अर्थशास्त्र, संस्कृत, भूगोल व अंग्रेजी के शिक्षक का पद रिक्त
जयनगर : प्रखंड के हिरोडीह स्थित स्थापना स्वीकृति प्राप्त हाइस्कूल वर्षों बाद भी कई मूलभूत समस्याओं से जूझ रहा है. इन समस्याओं के समाधान के प्रति सरकार गंभीर नहीं. स्कूल प्रबंधन समिति द्वारा विद्यालय का संचालन किया जा रहा है. हालांकि मूल मॉनिटरिंग शिक्षा विभाग करता है. इस स्कूल में कमरों के अलावे शिक्षकों की भी कमी है.
यहां विज्ञान, गणित, अर्थशास्त्र, संस्कृत, भूगोल व अंग्रेजी के शिक्षक का पद रिक्त पड़ा है. फिलहाल स्कूल मात्र छह शिक्षक, एक क्लर्क व एक आदेशपाल के भरोसे चल रहा है. इस विद्यालय के बच्चे व शिक्षक चापानल के अभाव में कुआं का पानी पीने को विवश हैं. इसका कार्यालय बरामदे में चलता है. विद्यार्थियों की मूल समस्या में रेल लाइन है. यहां स्टेशन पर लगातार माल गाड़ी खड़ी रहती है. ऐसे में विद्यार्थियों को ट्रेन के नीचे से पार कर विद्यालय जाना पड़ता है.
1980 में हुई थी स्कूल की स्थापना : रेभनाडीह व तेतरियाडीह के ग्रामीणों वर्ष 1980 में जमीन दान देकर स्कूल की स्थापना की थी. फाउंडर मेंबर स्व. महावीर राम, पूर्व विधायक स्व. सुखदेव यादव, पूर्व मुखिया स्व. बासुदेव यादव, रामधनी सिंह, आनंदी सिंह, जगदीश मोदी व निरपत यादव ने चार कमरों से स्कूल का संचालन शुरू किया था.
विद्यालय को 1989 में स्थापना स्वीकृति मिली. तब से यह स्कूल अनुदान राशि पर चल रहा है. फिलहाल यहां समिति के अध्यक्ष बाबूलाल यादव, सचिव सह मुखिया सुरेंद्र प्रसाद यादव, उपाध्यक्ष यमुना यादव, कोषाध्यक्ष महादेव यादव हैं. सरकारी उपेक्षा के कारण इस स्कूल का रंग-रोगन भी नहीं हो पा रहा है. हालांकि स्थापना काल के बाद पूर्व सांसद व विधायकों द्वारा दी गयी राशि से कई कमरों का निर्माण हुआ था. फिलहाल यहां 12 कमरे हैं.
दर्जनों गांव होते है लाभान्वित: झारखंड राज्य स्थापना के बाद आसपास के कई स्कूलों को उच्च विद्यालय के रूप में उत्क्रमित किया गया. मगर इससे पहले वर्षों तक रेभनाडीह, हिरोडीह, तेतरियाडीह, महेशमराय, सुगाशाख, घंघरी, कुशाहन, डहुआटोल, कटहाडीह, खेशकरी, गम्हरबाद, कंद्रपडीह, कोडरमा प्रखंड के चिगलाबर, बेलगढा, सोंदेडीह, सलैया, वृंदा आदि क्षेत्र के लोग यहां उच्च शिक्षा प्राप्त करते थे. आज भी विभिन्न गांवों के विद्यार्थी खास कर छात्राएं इस हाइस्कूल से शिक्षा हासिल कर रही है.

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