मेदिनीनगर: पलामू के पुलिस अधीक्षक इंद्रजीत माहथा ने कहा कि भोगे हुए यथार्थ के आधार पर दुःख और संघर्ष को अलग किया जा सकता है. तरक्की के लिए सपना जरूरी है. सपने देखने मात्र से ही काम नहीं चलता, बल्कि हर सपने को पूरा करने की राह चुनौतीपूर्ण होती है. इसके लिए लिए संघर्ष का जज्बा होना चाहिए. सपना वह है जिसे पूरा करने की चाहत व्यक्ति की नींद उड़ा देती है. संघर्ष जीवन में कायम है, तो दुःख नहीं. दुःख तो अपूरणीय क्षति का पर्याय है. भौतिकी के नियम की तरह जीवन की राह भी सीधी नहीं होती, बल्कि इसमें भी उतार चढ़ाव आता है.
एसपी श्री माहथा गुरुवार को जीएलए कॉलेज में सृजन और परिवेश व्याख्यानमाला के तहत आहूत सपने ,संघर्ष और चुनौतियां विषय पर व्याख्यान दे रहे थे. इसकी अध्यक्षता कुलपति डॉ एसएन सिंह व संचालन डॉ कुमार वीरेंद्र ने किया. व्याख्यानमाला में एसपी श्री माहथा ने कहा कि जब व्यक्ति अपनी समझ और संवेदना का विस्तार करता है, तो जीवन में आने वाले चुनौतियों से निबटना भी आसान होता है. क्योंकि संवेदना के बिना इनसान होने का कोई मतलब नहीं है. अपने आसपास के चीजों से भी सीखा जा सकता है. यदि आप गांव से हैं, तो किसान से ईमानदारी सीखी जा सकती है. क्योंकि किसी भी काम में कोई एक दिन न आये तो तभी वेतन मिलता है, लेकिन किसान मेहनत से अन्न उगाता है.
निरंतर परिश्रम के बाद उसे अन्न का दाना प्राप्त होता है.एसपी श्री माहथा ने कहा कि यदि आप बड़े पद पर ईमानदारी से रहेंगे, तो कष्ट बढ़ेगा, पर आत्मिक सुख बढ़ेगा. गरीबी संघर्ष करना सिखाती है. गरीबी हमेशा मज़बूरी के दुष्चक्र में फंसाना चाहती है. लेकिन संकल्प और परिश्रम से दुष्चक्र को तोड़ा जा सकता है. बेईमानी चाहे पांच रुपये की हो या पांच करोड़ की, वह बेईमानी ही कहलायेगी. इसलिए हमेशा ग़लती से बचना चाहिए. गलती करने पर व्यक्ति जीवन भर बेईमान कहलाता है.
कठिन परिश्रम और अच्छी नीयत से मुकाम हासिल किया जा सकता है. अध्यक्षीय संबोधन में कुलपति डॉ एसएन सिंह ने कहा कि बिना संघर्ष के चुनौतियों से पार नहीं पाया जा सकता है. मनुष्य की पहचान संघर्षों में ही होती है. सपने अलग-अलग हो सकते हैं, परंतु उसे पूरा करने के लिए परिश्रम आवश्यक है.
हर व्यक्ति को समाज की बेहतरी के सपने देखने चाहिए. कई बार तो सपने पूरे होने पर भी चुनौतियां बढ़ जाती हैं. इस अवसर पर विज्ञान संकाय के डीन डॉ एसपी सिन्हा,मानविकी और सामाजिक विज्ञान संकाय के डीन डॉ आर आर किशोर,डॉ आर के झा,डॉ विमल कुमार सिंह,डॉ महेंद्र राम,डॉ सुवर्ण महतो,डॉ अखिलेश यादव,डॉ एस के मिश्रा, डॉ राजेन्द्र सिंह,डॉ सुनीता कुमारी,डॉ मंजू सिंह,प्रो ऋचा सिंह,डॉ डी के सिंह,प्रो प्रवीण प्रभाकर,डॉ जे एन पी सिन्हा,डॉ विनोद कुमार, प्रो सर्फुद्दीन शेख,डॉ गोविंद तिवारी, प्रो राघवेंद्र सिंह,प्रो एस के सिंह,डॉ कैलाश उराव, अंजू शुक्ला,डॉ रवि शंकर ,सत्येन्द्र अग्रवाल,अरुण तिवारी,लव कुमार सिंह सहित अन्य लोग उपस्थित थे। आगत अतिथियों का आभार ज्ञापन डॉ आर के झा ने किया. अतिथियेां का स्वागत कॉलेज के प्राचार्य डॉ जयगोपालधर दुबे ने की.
नयी परंपरा की शुरुआत
सृजन और परिवेश व्याख्यानमाला की दूसरी कड़ी में आज कॉलेज शोध समिति ने एक नयी परंपरा की शुरुआत की है. इसके तहत स्वागत में फूल की जगह फलों से भरी टोकरी अतिथियों को दी गयी. एसपी और कुलपति का स्वागत फलों के साथ स्वागत किया गया. इसके बारे में यह बताया गया कि फूल की जगह समिति ने फल को चुना है, क्योंकि यह देखा जाता है कि स्वागत में जो फूल दिये जाते हैं, उनका सुखने के बाद कोई उपयोग नहीं रहता. जबकि उसकी जगह यदि फल दिया जाये, तो इससे एक नयी परंपरा के साथ साथ वह काम के लायक भी होगा.