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आज भी नदी, झरने का पानी पी रहे लोग, सुविधाओं की मांग पर प्रदर्शन

झारखंड के लिट्टीपाड़ा क्षेत्र के पहाड़ी आदिवासी पहाड़िया गांव नौ वर्षों से बहु-ग्रामीण जलापूर्ति योजना से वंचित हैं। 2016-17 में 217 करोड़ की लागत से शुरू हुई योजना के बावजूद अब तक शुद्ध पेयजल नहीं मिला है। सड़क मार्गों का अभाव स्वास्थ्य, शिक्षा और रोजगार में बाधा बन रहा है, जिससे नागरिक बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं। स्वास्थ्य सेवाओं की कमी से जान जोखिम में हैं, गर्भवती महिलाओं को खटिया पर अस्पताल ले जाना पड़ता है। आंगनबाड़ी केंद्र ठीक से संचालित नहीं होते। पहाड़िया महासभा ने पांच सूत्रीय मांगपत्र बीडीओ को सौंपा है, जिसमें स्वच्छता, समान पेंशन, और कोयला डंपरों पर रोक शामिल है। यदि मांग पूरी नहीं हुई, तो उग्र आंदोलन की चेतावनी भी दी गई है।

नौ साल से बहु ग्रामीण जलापूर्ति योजना से वंचित हैं पहाड़ी गांव के लोग प्रतिनिधि, लिट्टीपाड़ा. हिल एसेंबली पहाड़िया महासभा के बैनर तले बुधवार को प्रखंड मुख्यालय के परिसर में पहाड़ी क्षेत्र के गांवों की विभिन्न जनसमस्याओं को लेकर एक दिवसीय धरना प्रदर्शन का आयोजन किया गया. इस धरना प्रदर्शन का नेतृत्व पहाड़िया नेता शिवचरण मालतो ने किया. इस दौरान पांच सूत्रीय मांगपत्र बीडीओ संजय कुमार को सौंपा गया. शिवचरण मालतो ने कहा कि झारखंड के अलग होने के 25 वर्ष बीत जाने के बाद भी लिट्टीपाड़ा के पहाड़ों में जीवन यापन करने वाले आदिम जनजाति पहाड़िया गांवों में मूलभूत सुविधाओं का घोर अभाव है. आदिम जनजाति पहाड़िया परिवार आज भी नदी, नाले और झरने के गंदे पानी पीने को विवश हैं. वर्ष 2016-17 में पहाड़िया परिवारों के घर तक शुद्ध पेयजल पहुंचाने के लिए 217 करोड़ रुपए की लागत से लिट्टीपाड़ा बहु-ग्रामीण जलापूर्ति योजना का प्रारंभ हुआ, लेकिन योजना के नौ वर्ष बीत जाने के बाद भी एक भी पहाड़िया गांव में पानी नहीं पहुंचा. वहीं, क्षेत्र के अधिकतर आदिम जनजाति गांवों तक जाने के लिए कोई सड़कों का निर्माण नहीं हुआ है. ग्रामीण आज भी पगडंडी और पथरीली रास्तों से आवागमन करने को मजबूर हैं. गांव तक सड़क न होने के कारण ग्रामीणों को स्वास्थ्य, रोजगार, शिक्षा जैसी बुनियादी सुविधाओं से वंचित रहना पड़ता है. उन्होंने बताया कि सड़क न होने के कारण स्वास्थ्य कर्मी गांव-गांव नहीं पहुँच पाते हैं. गांव में अगर कोई बीमार पड़ता है तो समय पर इलाज न मिलने के कारण उसकी मृत्यु हो जाती है. गर्भवती महिलाओं को खटिया पर लादकर अस्पताल लाना पड़ता है. आंगनबाड़ी केंद्र ठीक से संचालित नहीं होता और बच्चों को पोषण आहार नहीं मिलता. सड़क के अभाव में आवास निर्माण भी नहीं हो पाता है. उन्होंने पांच सूत्रीय मांगपत्र के माध्यम से पेयजल एवं स्वच्छता विभाग से स्वैच्छिक पत्र जारी करने की मांग की. आदिवासी एवं अन्य महिलाओं को 2,500 रुपए मासिक पेंशन दी जाती है, जबकि आदिम जनजाति महिलाओं को मात्र 1,000 रुपए मिलते हैं, इसलिए बीडीओ से समान पेंशन देने की भी मांग की. साथ ही हिरणपुर-लिट्टीपाड़ा मार्ग पर कोयला डंपरों के परिचालन पर रोक लगाने की मांग भी की गयी. श्री मालतो ने कहा कि यदि ये मांगें पूरी नहीं हुईं तो पहाड़िया समाज उग्र आंदोलन की रणनीति बनायेगा. मौके पर जोसेफ मालतो, नोवेल मालतो, चुटीयो पहाड़िया, दुले पहाड़िया, विनय मालतो सहित सैकड़ों ग्रामीण उपस्थित थे.

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