पत्रकार वार्ता में पूर्व सांसद सह जेडीपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष सालखन मुर्मू ने कहा
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सीएनटी-एसपीटी एक्ट पर अनिल मुर्मू कर रहे गलत बयानबाजी
पत्रकार वार्ता में पूर्व सांसद सह जेडीपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष सालखन मुर्मू ने कहा पाकुड़ : विधायक डॉ अनिल मुर्मू द्वारा सीएनटी-एसपीटी एक्ट पर दिये गये बयान- एक्ट संशोधन वापस नहीं हुआ तो तीर क्या बम चलेगा को पूर्व सांसद सह झारखंड दिशोम पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष सालखन मुर्मू ने गलत ठहराया है. मंगलवार को […]
पाकुड़ : विधायक डॉ अनिल मुर्मू द्वारा सीएनटी-एसपीटी एक्ट पर दिये गये बयान- एक्ट संशोधन वापस नहीं हुआ तो तीर क्या बम चलेगा को पूर्व सांसद सह झारखंड दिशोम पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष सालखन मुर्मू ने गलत ठहराया है. मंगलवार को पाकुड़ समाहरणालय में आयोजित पत्रकार सम्मेलन के दौरान उन्होंने कहा कि विधायक होते हुए भी श्री मुर्मू द्वारा तथ्यहीन बयानबाजी की गयी है. उन्होंने कहा कि झारखंड में कुल 28 विधायक आदिवासी समाज से आते हैं.
वर्तमान सरकार द्वारा लाये गये सीएनटी-एसपीटी एक्ट संशोधित विधेयक को लेकर किसी ने पूर्व में ठोस पहल नहीं किया. आज जब सरकार द्वारा यह विधेयक लाया गया है तो केवल और केवल वोट की राजनीति में लोग जुटे हैं. उन्होंने कहा कि सरकार ने यह विधेयक ला कर आदिवासी समाज को पूरी तरह अहित पहुंचाया है. उन्होंने झामुमो को बाप-बेटे की पार्टी बताते हुए कहा कि जब झामुमो सत्ता में थी तो आदिवासियों के हित में नीतिगत एक भी कार्य नहीं किया.
सीएनटी-एसपीटी एक्ट व स्थानीय नीति मामले की विसंगतियों को समय रहते दूर करने के बजाय केवल आगे की वोट बैंक की राजनीति में जुटी है. यही कारण है कि इस पार्टी के विधायक भी अपनी जिम्मेदारी को भूल कर अनगरल बयानबाजी कर रहे हैं. जेवीएम को भी आड़े हाथों लेते हुए उन्होंने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी भी उपरोक्त मुद्दे पर केवल वोट बैंक की हीं राजनीति में जुटे हैं. उन्होंने कहा कि आदिवासी हित में किसी भी संविधान बनने के पूर्व इसे लेकर ट्रायबल एडवाईजरी काउंसिल की भी सहमति ली जाती है. झारखंड में बने टीएसी के 20 सदस्यों में से 19 सदस्य आदिवासी समुदाय से ही हैं.
ऐसे में बिना टीएसी के सहमति से सीएनटी-एसपीटी एक्ट संशोधित विधेयक को पारित कर पाना संभव नहीं है. उन्होंने कहा कि टीएसी के सभी आदिवासी सदस्यों को एक माह के भीतर पहल करते हुए संशोधित विधेयक को वापस करानी चाहिए, अन्यथा सभी को सामूहिक रूप से इस्तीफा देना चाहिए. उन्होंने कहा कि इसे लेकर झारखंड दिशोम पार्टी लगातार आंदोलन कर रही है. इसी क्रम में जनवरी माह में सभी जिला मुख्यालय में मोटरसाइकिल रैली, फरवरी माह में प्रखंड स्तर पर मोटरसाइकिल रैली निकाल कर विरोध प्रदर्शन करेगी.
साथ ही उन्होंने कहा कि 22 दिसंबर 1855 को संताल परगना की स्थापना हुई थी. जबकि 22 दिसंबर 2003 में संताली भाषा को संविधान के 8वीं सूची में शामिल किया गया था. जिसे देखते हुए झारखंड दिशोम पार्टी 22 दिसंबर को विजय दिवस के रूप में मनायेगी. मौके पर झारखंड दिशोम पार्टी के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष सुमित्रा मुर्मू, जिला संयोजक बाबुधन मुर्मू, सनातन हेंब्रम, आनंद मुर्मू सहित अन्य उपस्थित थे.
किसी भी सरकार ने नहीं किया आदिवासियों के हित में काम
पत्रकारों को जानकारी देते पूर्व सांसद सालखन मुर्मू.
सीएनटी-एसपीटी एक्ट संशोधित विधेयक से आदिवासियों का होगा अहित
विरोध के नाम पर वोट की राजनीति कर रहे विपक्षी दल
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