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संस्कृति बचाने आगे आएं युवा
पाकुड़ : कुमार कालीदास मेमोरियल कॉलेज स्थित आदिवासी छात्रावास परिसर में शुक्रवार को विद्यासागर विश्व विद्यालय मिदनापुर पश्चिम बंगाल द्वारा आयोजित तीन दिवसीय संताली साहित्य एवं संस्कृतिक विषय पर सेमिनार का आयोजन किया गया. सेमिनार के दूसरे दिन अतिथियों द्वारा संताल बाहा माकामोड़े, सोहराय, दसाईदोम, शैद्रा, लांगडे एनएच, पाता आदि विषयों पर विस्तार पूर्वक चर्चा […]
पाकुड़ : कुमार कालीदास मेमोरियल कॉलेज स्थित आदिवासी छात्रावास परिसर में शुक्रवार को विद्यासागर विश्व विद्यालय मिदनापुर पश्चिम बंगाल द्वारा आयोजित तीन दिवसीय संताली साहित्य एवं संस्कृतिक विषय पर सेमिनार का आयोजन किया गया.
सेमिनार के दूसरे दिन अतिथियों द्वारा संताल बाहा माकामोड़े, सोहराय, दसाईदोम, शैद्रा, लांगडे एनएच, पाता आदि विषयों पर विस्तार पूर्वक चर्चा की गयी. सेमिनार में संताल परगना के साहिबगंज, पाकुड़, गोड्डा, दुमका, देवघर जिले से आये संताल विद्वान एवं संताली से जुड़े लोगों ने संताल संस्कृतिक एवं साहित्यिक से संबंधित विषयों पर अपने विचार रखे. बतौर अतिथि साहित्यकार चुंडा सोरेन सिपाही ने संबोधित करते हुए कहा कि झारखंड प्रदेश के संताल परगना में संताली संस्कृति देखने को मिलती है. यहां के संताल आदिवासी समाज भोले-भाले हैं.
इस पर कई किताबें भी लिखी जा चुकी हैं. उन्होंने कहा कि आदिवासी संस्कृति को बचाये रखने के लिए आदिवासियों को एकजुट होना होगा तथा अपनी पहचान को बरकरार रखने के लिए पढ़े-लिखे तबके को आगे आने की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि मिदनापुर विश्वविद्यालय द्वारा संतालों की साहित्यिक तथा सांस्कृतिक विषयों पर एक डॉक्युमेंट्री तैयार की जा रही है.
जो कि आगे चल कर मील का पत्थर साबित होगा. मौके पर केकेएम कॉलेज के डॉ सुधीर हेंब्रम, प्रो शिबू टुडू, मसीह मरांडी, सुशील टुडू, मदन मुर्मू, रसाई हांसदा, लखाई मरांडी, दासु मरांडी, सुनील हेंब्रम, हेमलाल टुडू, यमुना प्रसाद मुर्मू, रतन हेंब्रम आदि मौजूद थे.
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