लोहरदगा़ दीपों का पर्व दीवाली इस बार सिर्फ रोशनी का नहीं, बल्कि अपने लोगों को समृद्ध बनाने का पर्व भी बन गया है. प्रधानमंत्री के लोकल फॉर वोकल अभियान से प्रेरित होकर लोहरदगा के लोग मिट्टी के दीये खरीदने और जलाने को लेकर खासे उत्साहित हैं. बाजारों में देशी दीयों की चमक ने विदेशी लाइटों और प्लास्टिक के सजावट को पीछे छोड़ दिया है. प्रभात खबर के संवाद कार्यक्रम में लोगों ने कहा कि इस बार दीवाली पर वे अपने हाथों की बनायी रोशनी से अपने लोगों को समृद्ध बनायेंगे. केंद्रीय महावीर मंडल के पूर्व अध्यक्ष अनुपम प्रकाश कुंवर ने बताया कि इस बार वे पूरी तरह स्वदेशी दीवाली मना रहे हैं. उन्होंने कहा कि मिट्टी के दीये न केवल पर्यावरण के लिए लाभदायक हैं, बल्कि इससे कुम्हार परिवारों को भी रोजगार मिलता है. स्वदेशी का आनंद ही कुछ और है. दीवाली की इस रौनक में मिट्टी के दीयों की सोंधी खुशबू न सिर्फ घरों को, बल्कि कारीगरों की जिंदगी को भी रोशन कर रही है. भाजपा नेता ओमप्रकाश सिंह ने बताया कि इस बार वे मिट्टी के दीये ही जलायेंगे और मिट्टी के खिलौनों से घर सजाने की तैयारी में हैं. मिट्टी के दीयों से पूजा करेंगे, क्योंकि यह हमारी संस्कृति और आत्मनिर्भर भारत की पहचान है. भारतीय जनता युवा मोर्चा के प्रदेश उपाध्यक्ष अजातशत्रु ने कहा कि इस साल वे पूरी तरह स्वदेशी दीवाली मनायेंगे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लोकल फॉर वोकल के नारे को धरातल पर उतारने का यह सही समय है. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के जिला अध्यक्ष डॉ गणेश प्रसाद ने कहा कि मिट्टी का दीया सिर्फ रोशनी नहीं देता, यह रिश्तों की गर्माहट और अपनी मिट्टी से जुड़ाव का प्रतीक है. हम अपने लोगों को भी यही सिखा रहे हैं कि जो चीज हमारे गांव में बनती है, वही सबसे खास होती है. लोगों की सोच में बड़ा बदलाव देखा जा रहा है. इस बार बाजारों में देसी उत्पादों मिट्टी के दीये, मूर्तियां, पारंपरिक बत्तियां और रंगोली सामग्री की जबरदस्त बिक्री हो रही है. लोगों के चेहरे पर अपनापन और गर्व दोनों झलक रहा है.
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