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सरकारी नौकरी की छोड़ी आस, युवाओं के प्रेरणाश्रोत अखिलेश

दलहन फसलों में बेहतर पैदावार के मामले में राष्ट्रीय कृषि कर्मण पुरस्कार से सम्मानित प्रखंड के चंदलासो के किसान अखिलेश कुमार सिंह युवाओं के लिए यूथ आइकन तथा प्रेरणास्रोत बन गये हैं.

कुड़ू.

दलहन फसलों में बेहतर पैदावार के मामले में राष्ट्रीय कृषि कर्मण पुरस्कार से सम्मानित प्रखंड के चंदलासो के किसान अखिलेश कुमार सिंह युवाओं के लिए यूथ आइकन तथा प्रेरणास्रोत बन गये हैं. अखिलेश कुमार सिंह ने प्रखंड में फुलों की खेती करते हुए फूल उत्पादन का बाजार बना दिया हैं. प्रखंड के चंदलासो में तैयार फूल रांची जमशेदपुर, बोकारो धनबाद से लेकर पश्चिम बंगाल, उड़ीसा समेत अन्य राज्यों में पहुंच रहा है. व्यवसाय से जुड़े व्यापारी कुड़ू पहुंच रहे हैं तथा फूलों को मुंहमांगी कीमत देकर ले जा रहे हैं. अखिलेश कुमार सिंह ने लगभग 80 डिसमिल में गेंदा फूल तथा बीस डिसमिल में आधा दर्जन किस्म के खेती किये हैं. फूल उत्पादन से अखिलेश कुमार सिंह ने अपने परिवार की जहां तकदीर तथा तस्वीर बदल दिया, तो एक दर्जन मजदूरों को साल भर रोजगार दे रहे हैं. प्रखंड के चंदलासो गांव निवासी किसान अखिलेश कुमार सिंह अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर तक पढ़ाई किये हैं. परिवार की हालत से हमेशा परेशान रहने वाले अखिलेश कुमार सिंह शुरूआत से खेती-बाड़ी मे हाथ आजमाते रहे हैं . साल 2013 में अरहर फसल का रिकार्ड तोड़ उत्पादन करते हुए राष्ट्रीय स्तर पर राष्ट्रपति के हाथों कृषि कर्मण पुरस्कार से तत्तकालीन राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी तथा तत्कालीन कृषि मंत्री शरद पवार के हाथों सम्मानित हुए थे. दलहन, तिलहन तथा खरीफ खेती से जब मन भर गया, तो कम लागत में अधिक मुनाफा कमाने को लेकर साल 2019 से फूल की खेती में जुट गये. बिरसा कृषि विश्वविद्यालय से फूलों की खेती का प्रशिक्षण लिया. साल 2018 मे इंस्टीट्यूट ऑफ हॉर्टिकल्चर ट्रेनिंग सेंटर ग्रेटर नोएडा मे फूलों की संरक्षित खेती तथा फूलों को नष्ट होने से बचाने के लिए छह माह का प्रशिक्षण लेने के बाद गांंव लौटे. गांव आने के बाद अखिलेश कुमार सिंह सीधे जिला उद्यान अधिकारी से मिलते हुए खेती करने के लिए मदद मांगी.अखिलेश कुमार सिंह की जुनून तथा दीवानगी देख जिला उद्यान अधिकारी ने जरबेरा फूल की खेती के लिए 90 प्रतिशत अनुदान पर नेट हाउस ड्रिप के साथ मल्चिंग करके पौधा मिला. यहीं से अखिलेश कुमार सिंह की दशा तथा दिशा बदलनी शुरू हुई. साल 2020 में जरबेरा की खेती लगभग पचास डिसमिल में किया. इसमें लागत 20 हजार लगा तथा आमदनी 50 हजार तीन माह में कमाया. जरबेरा के फुलों को बेचने के लिए दो सप्ताह रांची गये. इसके बाद फूलों के व्यवसायियों तक खबर पहुंच गयी की कुड़ू के चंदलासो में फूल की खेती होती है. रांची से आकर व्ययसायी फूल ले जाने लगे.वर्तमान में अखिलेश कुमार सिंह छह प्रकार के फूलों जरबेरा, गेंदा, ग्लेडियोलस, एलोवेरा समेत अन्य फूल की खेती कर रहे हैं. खेती के माध्यम से गांव के बेरोजगार युवाओं को कृषि से जोड़ते हुए रोजगार दे रहे हैंं. फूलों की खेती में कम लागत में लंबे समय तक मुनाफा प्राप्त किया जा सकता है. ग्लेडियोलस की खेती एक बार करने के बाद पुनः उसी का बीज का प्रयोग दोबारा किया जाता है . साल 2025 में अखिलेश कुमार सिंह ने लगभग 80 डिसमिल में गेंदा फूल तथा बीस डिसमिल में गल्डेयोलस तथा अन्य फूल की खेती किये हैं. तीन माह से लगातार एक दर्जन मजदूरों को रोजगार दे रहे हैं.

फूलों की खेती के लिए करेंगे प्रोत्साहित : बीडीओकुड़ू प्रखंड के प्रभारी बीडीओ सह सीओ मधुश्री मिश्रा ने बताया कि प्रखंड में फूल की खेती के बेहतर अवसर है . चंदलासो पंचायत से फुल की खेती शुरू हुआ है, इसे प्रखंड के दूसरे पंचायतों तक लेकर जायेंगे तथा प्रखंड मे फूल की खेती को लेकर किसानों को प्रोत्साहित करेंगे. किसानों की आय दोगुनी करने के लेकर केंद्र तथा राज्य सरकार प्रयासरत हैं,सरकार के योजना को किसानों तक पहुंचाने के लिए प्रखंड प्रशासन तथा कृषि विभाग कृतसंकल्प है. दुसरे किसानों को अखिलेश कुमार सिंह से प्रेरणा लेकर धान, गेहूं, सब्जी फसल के बाद वैकल्पिक खेती के रूप में फुलों की खेती करनी चाहिए ताकि कम लागत में अधिक मुनाफा कमाया जा सके.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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