लोहरदगा. जिले में बाल अधिकार की सुरक्षा और बाल विवाह की रोकथाम के लिए कार्यरत संगठन लोहरदगा ग्राम स्वराज्य संस्थान ने धर्मगुरुओं के बीच जागरूकता अभियान चलाया. मौके पर लोहरदगा ग्राम स्वराज्य संस्थान के प्रोग्राम मैनेजर विक्रम कुमार ने कहा कि अभी भी देश में बाल विवाह के खिलाफ जागरूकता की कमी है. अधिकांश लोगों को यह पता नहीं है कि बाल विवाह निषेध अधिनियम (पीसीएमए), 2006 के तहत दंडनीय अपराध है. इसमें किसी भी रूप में शामिल होने या सेवा देने पर दो वर्ष की सजा व जुर्माना या दोनों हो सकते हैं. इसमें बाराती और लड़की के पक्ष के लोगों के अलावा कैटरर, साज-सज्जा करने वाले डेकोरेटर, हलवाई, माली, बैंड बाजा वाले, मैरेज हाल के मालिक और विवाह संपन्न कराने वाले पंडित और मौलवी को भी अपराध में संलिप्त माना जायेगा. उन्हें सजा व जुर्माना हो सकता है. उन्होंने कहा कि धर्मगुरुओं और पुरोहित वर्ग के बीच जागरूकता अभियान चलाने का फैसला लिया गया. बताया गया कि बाल विवाह और कुछ नहीं बल्कि बच्चों के साथ बलात्कार है. 18 वर्ष से कम उम्र की किसी बच्ची से वैवाहिक संबंधों में भी यौन संबंध बनाने, यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) कानून के तहत बलात्कार है. बेहद खुशी का विषय है कि आज पंडित और मौलवी इस बात को समझते हुए न सिर्फ इस अभियान को समर्थन दे रहे हैं, बल्कि खुद आगे बढ़ कर बाल विवाह नहीं होने देने की शपथ ले रहे हैं. यदि पुरोहित वर्ग बाल विवाह संपन्न कराने से इनकार कर दें, तो देश से इस अपराध का सफाया हो सकता है.
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