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जिंगी जेठ जतरा में जमकर थिरके खोड़हा

प्रखंड के ऐतिहासिक जिंगी जेठ जतरा बुधवार देर शाम संपन्न हो गया. जिंगी जेठ जतरा में कुड़ू प्रखंड सहित विभिन्न प्रखंडों के आदिवासी खोड़हा शामिल हुए.

कुड़ू लोहरदगा. प्रखंड के ऐतिहासिक जिंगी जेठ जतरा बुधवार देर शाम संपन्न हो गया. जिंगी जेठ जतरा में कुड़ू प्रखंड सहित विभिन्न प्रखंडों के आदिवासी खोड़हा शामिल हुए. जतरा में शामिल खोड़हा ने पारंपरिक नृत्य से जतरा को ऐतिहासिक बना दिया. जिंगी जेठ जतरा पहुंचे पूर्व विधायक स्व कमल किशोर भगत की पत्नी सह झामुमो नेत्री नीरू शांति भगत का जोरदार स्वागत किया गया. बताया जाता है कि प्रखंड के जिंगी में जेठ माह शुभारंभ के मौके पर जेठ जतरा का आयोजन किया जाता है. जेठ जतरा में पहान, पुजार के द्वारा प्रकृति की पूजा करते हुए बेहतर बारिश तथा धान के फसल की बेहतर पैदावार की कामना की जाती है. मौके पर वक्ताओं ने कहा कि जिंगी जेठ जतरा शुभारंभ करने को लेकर झारखंड आंदोलनकारी व लोहरदगा विधानसभा क्षेत्र के पूर्व विधायक स्व कमल किशोर भगत का इस क्षेत्र के लोग ऋणी है और हर परिस्थिति में उनका साथ देकर हम उनका ऋण चुकायेंगे. मौके पर नीरू शांति भगत ने कहा कि अपने पति स्व० कमल किशोर भगत के नक्शे कदमों पर चलकर क्षेत्र की जनता का सेवा करती रहूंगी. आमजनों के हर दुख-सुख में शामिल होना मेरा दिनचर्या होगा, क्षेत्र की जनता की सेवा करूंगी. गत विधानसभा चुनाव में आप लोगों का भरपूर सहयोग मुझे मिला परंतु अपने लोगों ने ही मेरे साथ विश्वासघात किया . हार- जीत जीवन में लगा रहता है, इसी प्रकार आम लोगों का मुझे साथ मिलता रहा तो वह दिन दूर नहीं जब आने वाले समय में मैं इस क्षेत्र की जनप्रतिनिधि बनकर पूरे झारखंड में लोहरदगा को एक नई पहचान दिलाऊंगी. लोहरदगा बॉक्साइट नगरी के रूप में जाना जाता है, परंतु सबसे बड़ा आश्चर्य की इस क्षेत्र के लोगों का सबसे अधिक शोषण व दोहन हुआ है, यहां से बॉक्साइट ले जाने वाले लोग मालामाल हो गए और जिनके खेतों में बॉक्साइट भरा पड़ा था वह कंगाल हो गए हैं . सबसे दुख की बात तो यह है कि यहां के जनप्रतिनिधि भी बॉक्साइट खनन करने वालों का दलाल बनकर अपना उल्लू सीधा करते रहे व बॉक्साइट आधारित कारखाना बनाने का झुनझुना यहां के लोगों को दिखाते रहे हैं. आमजनों को बेबस जिंदगी जीने को मजबूर होना पड़ा. मौके पर लालदेव टाना भगत, चंदेश्वर भगत, घसिया भगत सहित राहे, हुरहद, तान, कैरो,उल्टी, बुचा ओपा, जोंजरो, उदरंगी, मेरले,नावाडीह,गणेशपुर, जयपुर सहित अन्य स्थानों के आदिवासी खोड़हा शामिल थे.

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