कुड़ू़ राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन योजना के तहत वर्ष 2008 में कुड़ू प्रखंड कार्यालय के समीप एक सौ शैय्या वाले सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भवन का निर्माण शुरू किया गया था. दो वर्षों में पूरा होने वाले इस भवन की लागत तीन करोड़ 18 लाख रुपये तय की गई थी. लेकिन 17 साल बाद भी यह भवन अधूरा ही पड़ा है. निर्माण कार्य की अनदेखी और राजनीतिक उपेक्षा ने कुड़ू वासियों को आज तक बेहतर स्वास्थ्य सुविधा से वंचित रखा है. भवन अधूरा रहने के कारण लोग मामूली इलाज के लिए रांची रिम्स या लोहरदगा सदर अस्पताल जाने को मजबूर हैं. शुरुआती वर्षों में भवन निर्माण की लागत बढ़कर चार करोड़ हो गयी. बावजूद इसके न तो काम शुरू हुआ, न ही भवन पूरा हो पाया. स्वास्थ्य मंत्री ही नहीं, सीएम-पीएम से भी लोग लगा चुके हैं गुहार : भवन निर्माण पूर्ण कराने को लेकर कुड़ूवासियों ने प्रधानमंत्री कार्यालय में पत्राचार किया. जवाब आया कि राज्य सरकार का मामला है. राज्य सरकार ने मामले में चुप्पी साध रखी है. स्थानीय लोगों ने दो-दो मुख्यमंत्रियों और तीन स्वास्थ्य मंत्रियों से गुहार लगायी, लेकिन हर बार केवल आश्वासन ही मिला. तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री रामचंद्र चंद्रवंशी ने निरीक्षण के बाद एक माह में कार्य शुरू कराने का वादा किया था. फिर मुख्यमंत्री रघुवर दास को भी सूचित किया गया, लेकिन विधानसभा चुनाव की घोषणा के साथ मामला ठंडे बस्ते में चला गया. 2019 में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता को ट्वीटर पर जानकारी दी गयी. संज्ञान लेने के बाद उपायुक्त को जांच का निर्देश दिया गया, लेकिन स्थिति जस की तस बनी रही. 2023 में सत्ताधारी दल के एक जिलाध्यक्ष ने मुख्यमंत्री से मिलकर मुद्दा उठाया. उन्होंने चुनावी साल में कुड़ू वासियों को सौगात देने की बात कही. परंतु घोषणा के दो साल बाद भी भवन अधूरा है. स्थानीय विधायक, सांसद और जिला प्रशासन भी खामोश हैं. मजबूरन अंग्रेजों के समय बने जर्जर भवन में स्वास्थ्य केंद्र संचालित हो रहा है, जहां ओपीडी में मरीजों के खड़े होने की भी जगह नहीं है. निर्माणाधीन भवन में ओपीडी, इनडोर, लैब, डॉक्टरों व स्वास्थ्यकर्मियों के क्वार्टर, वाहन पार्किंग जैसी तमाम सुविधाएं प्रस्तावित थीं. लेकिन यह सपना बनकर रह गया है. चुनावी वादे हुए हवा-हवाई : राजू रजक, निरंजन पासवान, नवीन कुमार, ज्योतिन प्रसाद सहित अन्य ग्रामीणों ने कहा कि अधूरा भवन नेताओं की उपेक्षा का प्रतीक है. हर चुनाव में आश्वासन मिला, लेकिन स्वास्थ्य सुविधा अब भी सपना है.
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