लोहरदगा. लोहरदगा जिला का एकमात्र अंगीभूत महाविद्यालय बलदेव साहू महाविद्यालय आज शिक्षकों की कमी से जूझ रहा है. इस महाविद्यालय में लगभग 12000 विद्यार्थी नामांकित है, लेकिन इन्हें पढ़ाने के लिए मात्र 12 शिक्षक पदस्थापित है. सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि विद्यार्थियों के भविष्य के साथ किस तरह का मजाक विश्वविद्यालय प्रशासन कर रहा है. माता-पिता बड़ी उम्मीद के साथ अपने बच्चों का नामांकन लोहरदगा के प्रतिष्ठित व प्राचीन बलदेव साहू महाविद्यालय में कराकर खुद को गौरवान्वित महसूस करते हैं. इस महाविद्यालय की स्थापना 15 अगस्त 1962 को की गयी थी.लोहरदगा ही नहीं, इस इलाके का यह प्रतिष्ठित महाविद्यालय माना जाता था. लेकिन आज यहां की स्थिति को देखकर लोग दंग रह जाते हैं. इस महाविद्यालय में ग्रेजुएशन में इतिहास, राजनीति शास्त्र ,अर्थशास्त्र, संस्कृत, मनोविज्ञान, दर्शनशास्त्र ,कुडूख, नागपुरी ,फिजिक्स, बॉटनी, ज्योलॉजी, भूगोल, उर्दू विषय की पढ़ाई होती है. वहीं यहां स्नातकोत्तर में भी विद्यार्थियों का नामांकन होता है. स्नातकोत्तर में नागपुरी, कुडूख, राजनीति शास्त्र, हिंदी, इतिहास, अर्थशास्त्र की पढ़ाई होती है. लेकिन जब शिक्षक ही नहीं है, तो यहां पढ़ाई कैसे होती होगी, इसका अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है. बलदेव साहू महाविद्यालय में शिक्षकों के 39 पद स्वीकृत है, जिनमें मात्र 12 शिक्षक पदस्थापित हैं. यहां इतिहास, हिंदी, अंग्रेजी, उर्दू, भौतिकी, बॉटनी में एक भी शिक्षक नहीं है. इस महाविद्यालय में गैर शिक्षकेतर कर्मचारियों के 29 पद स्वीकृत है, जिनमें मात्र चार पदस्थापित है. इसी तरह चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी के 35 पद स्वीकृत है, जिनमें मात्र छह पदस्थापित है. ऐसी स्थिति में विद्यार्थी महाविद्यालय आना भी नहीं चाहते हैं. भले ही उन्होंने यहां नामांकन करा रखा है. उन्हें लगता है कि उनके भविष्य के साथ मजाक किया जा रहा है. विद्यार्थी सरकार से गुहार लगा रहे हैं और हुजूर मजाक मत करिये ये हमारे भविष्य का सवाल है. कार्य निष्पादन में होती है परेशानी : प्राचार्य महाविद्यालय के प्राचार्य डॉक्टर शशि गुप्ता का कहना है कि कॉलेज में शिक्षकों की घोर कमी है. जिससे विद्यार्थियों को पढ़ाने में काफी परेशानी होती है. ऐसी स्थिति में विश्वविद्यालय को इसकी सूचना दी गयी है. कुलपति महोदय ने कहा है कि इस समस्या पर वह शीघ्र ही विचार कर कोई निदान निकालेंगे. परीक्षा के समय कुछ वैकल्पिक व्यवस्था करके विद्यार्थियों का कोर्स पूरा करने का प्रयास किया जाता है. उन्होंने बताया कि शिक्षकों के अलावा शिक्षकेत्तर कर्मचारी व चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी की भी कमी के कारण महाविद्यालय के कार्यों के निष्पादन परेशानी होती है. जरूरत पड़ी तो हेमंत सोरेन से बात करेंगे राज्यसभा के र्पूव सांसद धीरज प्रसाद साहू ने कहा कि वह इस मामले को लेकर शीघ्र ही रांची विश्वविद्यालय के कुलपति से बात करेंगे. क्योंकि विद्यार्थियों के भविष्य का सवाल है और उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ करने की इजाजत किसी को नहीं दी जा सकती है. श्री साहू ने कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो वे राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से भी इस मुद्दे पर बात करेंगे.यहां व्यवस्था दुरुस्त हो शिक्षकों एवं कर्मचारियों के खाली पदों को अबिलम्ब भरा जाए.
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