लोहरदगा.लोहरदगा शहरी क्षेत्र की सड़कें बदहाली का शिकार हैं, जिससे आम जनता त्रस्त है. मुख्य पथ, जो पावर गंज से मिशन चौक तक नगर परिषद ने बनाया था. दो वर्ष के भीतर ही जर्जर हो चुका है. जगह-जगह गहरे गड्ढे बन गये हैं, जिनमें बारिश का पानी जमा होने से आये दिन दुर्घटनाएं हो रही हैं. इस सड़क के निर्माण के दौरान ही अनियमितताओं की शिकायतें नगर परिषद और जिला प्रशासन से की गयी थीं, लेकिन उन पर कोई ध्यान नहीं दिया गया, जिसका खामियाजा आज लोहरदगा की जनता भुगत रही है. जनता की प्रतिक्रिया: अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों पर सवाल शहर की सड़कों की इस दयनीय स्थिति पर विभिन्न सामाजिक कार्यकर्ताओं और व्यवसायियों ने गहरी चिंता व्यक्त की है. राजेश महतो (सामाजिक कार्यकर्ता सह चैंबर ऑफ कॉमर्स): सड़कें तो विकास का आइना होती हैं, लेकिन लोहरदगा की बदहाल सड़कों को देखकर काफी अफसोस होता है. आखिर यहां पदस्थापित अधिकारी क्या कर रहे हैं? जनप्रतिनिधियों की खामोशी खलती है। जनता परेशान है. मनोज कुमार गुप्ता मन्ना (मुक्तिधाम समिति): नगर परिषद की सड़कों पर पैदल चलना भी खतरनाक है. अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं. सड़कों पर बने गड्ढे और उनमें जलजमाव से आये दिन लोग चोटिल हो रहे हैं. लोगों को परेशानी हो रही है, लेकिन यहां के अधिकारियों को जनता की कोई फिक्र नहीं है. सिर्फ अखबारों में ही विकास नजर आता है. अभय अग्रवाल (सामाजिक कार्यकर्ता): लोहरदगा शहर की सड़कों की मरम्मत अविलंब करायी जाये, ताकि लोगों को सुविधा हो. रवि खत्री (सामाजिक कार्यकर्ता.) यहां अराजकता का माहौल है. भ्रष्टाचार चरम पर है. जिम्मेदार लोग अपनी डफली अपना राग अलापने में व्यस्त हैं, लोग परेशान हैं. जब शहर की सड़कों की यह स्थिति है तो गांव की स्थिति क्या होगी, यह सहज अंदाजा लगाया जा सकता है. जनता की परेशानियों से जिम्मेदार कहे जाने वाले लोगों का कोई लेना-देना नहीं है. अखिलेश मिश्रा (सामाजिक कार्यकर्ता). शहर की सड़कों पर चलना मुश्किल हो गया है. नगर परिषद के अधिकारियों को इसकी कोई फिक्र नहीं है. शहरी क्षेत्र के विभिन्न गलियों-मोहल्लों में सड़कों की स्थिति बद से बदतर हो गयी है, लेकिन इस तरफ किसी का भी ध्यान नहीं है और जनता परेशान है. आखिर इसका जिम्मेदार कौन है और कौन इस समस्या का समाधान करेगा. पंकज महतो (युवा व्यवसायी). शहर को स्वीटजरलैंड बनाने का दावा करने वाले लोग आज कहीं नजर नहीं आते हैं. चुनाव के समय बड़े-बड़े दावे किये जाते हैं, जनता बेहाल है. कंवलजीत सिंह (संयोजक). नगर परिषद में भ्रष्टाचार सर चढ़कर बोल रहा है. अधिकारी फोन नहीं उठाते हैं. जनता त्रस्त है. मोहित राय (सामाजिक कार्यकर्ता). टूटी-फूटी सड़कों पर लोग चलने को विवश हैं, लेकिन इनकी मरम्मत कराने वाला कोई नहीं है. समस्या का समाधान कौन करेगा शहर की सड़कों की इस दयनीय स्थिति ने अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिये हैं. जनता की गाढ़ी कमाई से बनी सड़कें कुछ ही महीनों में बर्बाद हो गयी है, जिससे स्पष्ट रूप से निर्माण में अनियमितता और भ्रष्टाचार की बू आ रही है। अब सवाल यह है कि इस गंभीर समस्या का समाधान कौन करेगा? क्या प्रशासन और जनप्रतिनिधि जनता की इस पीड़ा को समझेंगे और अविलंब सड़कों की मरम्मत का कार्य शुरू करायेंगे, ताकि लोहरदगा की जनता को बदहाल सड़कों से मुक्ति मिल सके.
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