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निर्देश के बाद भी अस्पताल में नहीं शुरू हुई अल्ट्रासाउंड की व्यवस्था

बैठक में व्यवस्था करने का िदया था िनर्देश लोहरदगा : सदर अस्पताल लोहरदगा में अल्ट्रा सोनोलॉजिस्ट नहीं रहने के कारण मरीजों को अल्ट्रासाउंड के लिए निजी क्लिनिकों का चक्कर लगाना पड़ रहा है. पिछले दिनों अस्पताल प्रबंधन समिति की बैठक में विधायक सुखदेव भगत ने इस मुद्दे पर चर्चा की. उन्होंने कहा कि अल्ट्रा सोनोलॉजिस्ट […]

बैठक में व्यवस्था करने का िदया था िनर्देश

लोहरदगा : सदर अस्पताल लोहरदगा में अल्ट्रा सोनोलॉजिस्ट नहीं रहने के कारण मरीजों को अल्ट्रासाउंड के लिए निजी क्लिनिकों का चक्कर लगाना पड़ रहा है. पिछले दिनों अस्पताल प्रबंधन समिति की बैठक में विधायक सुखदेव भगत ने इस मुद्दे पर चर्चा की. उन्होंने कहा कि अल्ट्रा सोनोलॉजिस्ट के नहीं रहने के कारण सदर अस्पताल में लाखों रुपये की अल्ट्रासाउंड मशीन रहने के बावजूद यहां अल्ट्रासाउंड से जांच का कार्य नहीं हो पा रहा है.

मौके पर मौजूद सिविल सर्जन पैट्रिक टेटे ने कहा कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र नगजुआ में कार्यरत चिकित्सा पदाधिकारी डॉ जाहिद अख्तर अंसारी भी अल्ट्रा सोनालॉजिस्ट हैं. उपायुक्त ने सिविल सर्जन को निदेश दिया कि डॉ जाहिद अख्तर अंसारी की प्रतिनियुक्ति सदर अस्पताल में अल्ट्रा सोनोलॉजिस्ट के रूप में करें एवं उनके स्थान पर किसी दूसरे चिकित्सक की प्रतिनियुक्ति स्वास्थ्य केंद्र नगजुआ में करें. उपायुक्त के आदेश के बाद भी अब तक डॉ जाहिद अख्तर अंसारी की प्रतिनियुक्ति सदर अस्पताल में नहीं की गयी है. मरीज परेशान हैं. यह निर्णय 16 जुलाई को ही लिया गया था. बैठक में सदर अस्पताल की स्थिति को सुधारने पर भी चर्चा की गयी और सफाई पर विशेष ध्यान देने की बात कही गयी.

पूर्व में कार्यरत सफाई एजेंसी को काली सूची में डालने का निर्देश डीसी ने दिया. विधायक सुखदेव भगत ने बैठक में सवाल किया कि सांसदों एवं विधायकों द्वारा स्वास्थ्य विभाग में जितने भी एंबुलेंस दिये गये हैं, उसकी अद्यतन स्थिति क्या है. डीसी ने सिविल सर्जन को विस्तृत प्रतिवेदन देने का निर्देश दिया. बताया गया कि लोहरदगा सदर अस्पताल में शव वाहन खराब है. विशेष परिस्थिति में एंबुलेंस से ही शव को भेजा जाता है. उपायुक्त ने अस्पताल प्रबंधन समिति के मद से शव वाहन को बनवाने का निर्देश दिया. सदर अस्पताल में यूजर्स चार्ज दो रुपये से बढ़ा कर पांच रुपये करने का निर्णय लिया गया. सदर अस्पताल में एंबुलेंस चालक एक ही है, जबकि एंबुलेंस ज्यादा है. अधीक्षक के वाहन के लिए भी कोई चालक उपलब्ध नहीं है.

इस पर डीसी ने निर्देश दिया कि सर्जेंसी अंतर्गत कार्यरत सभी चालकों का एक पुल बनाया जाये एवं आवश्यकता के अनुसार चालकों का उपयोग किया जाये एवं सर्जेंसी एवं जिलांतर्गत जितने भी चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी हैं, उनमें से जो इच्छुक हो, उनको प्रशिक्षण देकर चालक का कार्य कराया जाये. इन्हें प्रशिक्षण देने की जिम्मेवारी जिला परिवहन पदाधिकारी को दी गयी. सदर अस्पताल में कार्यरत एंबुलेंस चालक रफीक अंसारी, प्रधान लिपिक रजनी कुजूर का विस्तृत प्रतिवेदन उपायुक्त कार्यालय में देने का निर्देश दिया गया.

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