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टार्च की रोशनी में हुआ इलाज

लोहरदगा: सदर अस्पताल लोहरदगा में अव्यस्था का आलम है. यहां चिकित्सा के नाम पर सुधार का कोई प्रयास दिखता नजर नहीं आ रहा है. ऐसे तो सदर अस्पताल को रेफरल अस्पताल बना दिया गया है. अस्पताल में भरती मरीजों की सुविधा का भी ख्याल किसी को नहीं है. बीते रात डीजल खत्म होने के कारण […]

लोहरदगा: सदर अस्पताल लोहरदगा में अव्यस्था का आलम है. यहां चिकित्सा के नाम पर सुधार का कोई प्रयास दिखता नजर नहीं आ रहा है. ऐसे तो सदर अस्पताल को रेफरल अस्पताल बना दिया गया है. अस्पताल में भरती मरीजों की सुविधा का भी ख्याल किसी को नहीं है. बीते रात डीजल खत्म होने के कारण अस्पताल में भरती मरीजों को अंधेरे में एवं गरमी से परेशानी का सामना करना पड़ा.

रात 11.30 बजे शहरी क्षेत्र के अखौरी कॉलोनी निवासी आइडीबीआइ बैंक के कर्मी आशुतोष कुमार को गंभीरावस्था में अस्पताल लाया गया. उस वक्त न तो बिजली थी और न ही जेनेरेटर चल रहा था. पूरा अस्पताल परिसर अंधेरे में डूबा था. डॉ शैलेश कुमार मरीज का इलाज मोबाइल टार्च की रोशनी करनी पड़ी. अत्यधिक दर्द की शिकायत पर डॉक्टर ने मरीज को टार्च जला कर इंजेक्शन दिया. संभावना व्यक्त की जा रही थी कि मरीज का हड्डी टूटा हुआ है. एक्सरे मशीन खराब होने के कारण एक्सरे नहीं किया गया. मरीज को रांची रिम्स रेफर कर दिया गया.

सीएस बेरोनेन तिर्की से फोन पर संपर्क किया गया तो उन्होंने बताया कि लंबे समय से बिजली कटी है. बहुत देर से जेनेरेटर चल रहा है जिसके कारण डीजल खत्म हो गया है. बिजली आने के बाद ही मरीजों को सुविधाएं दी जा सकती है. डॉ शैलेश कुमार का कहना है कि यदि सदर अस्पताल की स्थिति ऐसी ही रही तो हमलोग मरीजों को सेवा सही तरीके से नहीं दे पायेंगे. सदर अस्पताल के दौरे में पहुंचे मंत्री रामचंद्र चंद्रवंशी ने खराब मशीनों को एक सप्ताह के अंदर ठीक करा कर मरीजों को बेहतर सुविधा देने का निर्देश दिया गया था. डीएस से संपर्क करने का प्रयास करने पर उनका मोबाइल बंद पाया गया.

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