लोहरदगा सेअरबिंद कुमार मिश्र और सूरज ठाकुर की रिपोर्ट: सरकारें खेल और खिलाड़ियों के विकास के सैकड़ों दावे करती हैं मगर हालात इससे बिल्कुल अलग है. खेल के मैदानों की हालत बहुत खराब है. हम बात कर रहे हैं लोहरदगा के सबसे पुराने स्टेडियम ललित नारायण स्टेडियम की. शहर के बीचोंबीच स्थित ये स्टेडियम अपनी […]
लोहरदगा सेअरबिंद कुमार मिश्र और सूरज ठाकुर की रिपोर्ट: सरकारें खेल और खिलाड़ियों के विकास के सैकड़ों दावे करती हैं मगर हालात इससे बिल्कुल अलग है. खेल के मैदानों की हालत बहुत खराब है. हम बात कर रहे हैं लोहरदगा के सबसे पुराने स्टेडियम ललित नारायण स्टेडियम की. शहर के बीचोंबीच स्थित ये स्टेडियम अपनी बदहाली पर आंसू बहाने को मजबूर है. मैदान में कई जगह बांस की बल्लियां बिखरी पड़ी है तो वहीं मैदान के एक कोने में यज्ञ मंडप बना हुआ है.
मैदान में खेल रहे बच्चों ने बताया कि कई दिन पहले ही कार्यक्रम खत्म हो चुका है बावजूद इसके अभी तक मंडप को नहीं हटाया गया है. मैदान में कहीं बहुत घनी घास है तो कहीं केवल रेतीली ज़मीन. घास को बढ़िया तरीके से वर्षों से नहीं काटा गया है.उबड़-खाबड़ जमीन की वजह से वहां खेल रहे लोगों के चोटिल होने की आशंका बनी रहती है. स्टेडियम की सीढ़ियों में रख रखाव के अभाव की वजह से झाड़ियां उग आई हैं और उसमें जगह जगह से बड़ी बड़ी दरारें पड़ गयी है. सीढ़ियों में पोल तो लगा है लेकिन शेड नहीं लग सका है.
चुनावी यात्रा में लोहरदगा विधानसभा क्षेत्र का मुआयना करने पहुंची प्रभात खबर की टीम सुबह के समय स्टेडियम पहुंची और युवाओं से बातचीत की.
एक युवा वैभव ने बताया कि वे क्रिकेटर बनना चाहतें हैं लेकिन उसके जरूरी मूलभूत समस्याओं का अभाव है. कोचिंग की व्यवस्था तो नहीं है, एक जो स्टेडियम है उसकी भी हालत खस्ता है. आधारभूत संरचना का विकास नहीं किया गया है और अक्सर यहां गंदगी पसरी रहती है. यहां पर सालों भर अलग-अलग धार्मिक और सामाजिक कार्यक्रमों का आयोजन होता रहता है जिसकी वजह से यहां खेल पाने में दिक्कत होती है. उनका कहना है अगर जनप्रतिनिधि यहां स्टेडियम के रख रखाव पर ध्यान दें तो हालात में सुधार लाया जा सकेगा. वो कहते हैं कि एक छात्र होने के नाते वो चाहते हैं कि इलाके में शिक्षा,स्पोर्ट्स और बिजली सड़क जैसी मूलभूत सुविधाएं मिले.
एक अन्य युवक ने बताया कि वे पहली बार वोट करने जा रहे हैं. ये पूछने पर की इसबार उनका मुद्दा क्या होगा तो उनका कहना था कि रोजगार, बिजली, सड़क, और पानी उनका मुद्दा होगा. स्टेडियम में सुधार के लिए युद्धस्तर पर काम किये जाने की बात भी वे कहते हैं.
दीपक नाम के एक युवक ने कहा कि समय के साथ साथ ललित नारायण स्टेडियम की हालत बद से बदतर होती चली गयी. आए दिन यहां किसी ना किसी प्रकार के धार्मिक और राजनीतिक कार्यक्रमों का आयोजन होता रहता है. सालभर में कई बार स्टेडियम को बेतरतीब ढंग से खोद दिया जाता है. नगरपालिका अक्सर स्टेडियम को अलग अलग प्रकार के आयोजनों के लिए दे देती है इसलिए ना तो स्टेडियम की हालात सुधर पायी और ना ही खेल का विकास हो पाया है. दीपक का कहना है कि शहर के बीचोंबीच स्थित इस सबसे पुराने स्टेडियम के प्रति सरकारी और प्रशासनिक उदासीनता की वजह से कई युवाओं के सपने दम तोड़ रहे हैं.
युवाओं का कहना है कि लोहरदगा को बॉक्साइट नगरी कहा जाता है लेकिन इसका लाभ यहां के स्थानीय लोगों को इसका लाभ नहीं मिल पाया है. जाहिर है कि स्टेडियम की बदहाली से यहां के युवा खिलाड़ियों का सपना दम तोड़ रहा है.