लातेहार ़ व्यवहार न्यायालय परिसर में शनिवार को राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया गया. लोक अदालत का ऑनलाइन उद्घाटन झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एवं झालसा के मुख्य संरक्षक तरलोक सिंह चौहान ने किया. अपने संबोधन में उन्होंने महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा पर गहरी चिंता जताते हुए कहा कि बाल श्रम को रोकना आज भी एक बड़ी चुनौती बना हुआ है. उन्होंने डायन प्रथा को समाज के लिए अभिशाप बताया और इसके उन्मूलन के लिए व्यापक जागरूकता अभियान तथा कानून के प्रभावी क्रियान्वयन पर जोर दिया. मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि लोक अदालत न्याय तक सरल, सुलभ और त्वरित पहुंच का सशक्त माध्यम है, जिससे आम लोगों को लंबी न्यायिक प्रक्रिया से राहत मिलती है. 15 हजार 700 वादों का हुआ निष्पादन : राष्ट्रीय लोक अदालत में प्री-लीटिगेशन एवं लंबित मामलों सहित कुल 15 हजार 700 वादों का निष्पादन किया गया. इसके साथ ही लगभग चार करोड़ रुपये का सेटलमेंट भी हुआ. लोक अदालत के दौरान जेएसएलपीएस के तत्वावधान में 48 स्थानीय सखी मंडलों को प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश श्री सिंह द्वारा 72 लाख रुपये का चेक प्रदान किया गया. प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने चेक प्राप्त करने वाली महिलाओं को राशि का सही उपयोग करने, बच्चों की शिक्षा पर ध्यान देने और रोजगार के अवसर तलाश कर आत्मनिर्भर बनने की सलाह दी. कुटुम्ब न्यायालय के न्यायाधीश सैयद सलीम फातमी ने वर्षों से अलग रह रहे तीन दंपतियों को आपसी समझौते के माध्यम से पुनः मिलाया. प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने तीनों दंपतियों को मिठाई खिलाकर विदा किया और साथ मिलकर जीवन व्यतीत करने तथा बच्चों के भविष्य को संवारने की सीख दी. मौके पर जिला एवं अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम दिनेश कुमार मिश्रा, जिला एवं अपर सत्र न्यायाधीश तृतीय सुनील दत्ता द्विवेदी, सीजेएम विक्रम आनंद, एसीजेएम कुमारी जीव, सिविल जज तृतीय मीनाक्षी मिश्रा, जिला विधिक सेवा प्राधिकार के सचिव शिवम चौरसिया, एसडीजेएम प्रणव कुमार, स्थायी लोक अदालत के अध्यक्ष पन्नालाल, जिला बार एसोसिएशन के सचिव संजय कुमार समेत काफी संख्या में अधिवक्ता उपस्थित थे.
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