चंदवा. प्रखंड के बनहरदी पंचायत अंतर्गत तन्हजाटांड़ मैदान में गुरुवार की दोपहर पांच पड़हा सम्मेलन का आयोजन किया गया. सम्मेलन में प्रखंड के सभी पांच पड़हा के पदधारी व बड़ी संख्या में आदिवासी समाज के लोग जुटे थे. पूर्व प्रमुख नवाहिर उरांव के अगुवाई में सम्मेलन की शुरुआत सामूहिक प्रार्थना के साथ हुई. कार्यक्रम में मुख्य रूप से राज्य के पड़हा संरक्षक देवकुमार धान, जागरे उरांव, मध्यप्रदेश से आये शिवरावण, जिला पड़हा राजा प्रभुदयाल उरांव, प्रखंड पड़हा राजा धनेश्वर उरांव, बनहरदी पांच पड़हा के पड़हा राजा महेश्वर उरांव समेत अन्य आदिवासी चिंतक व पदधारी मौजूद थे. लोगों ने पड़हा परंपरा व्यवस्था, पांचवीं अनुसूची, संवैधानिक अधिकार, ग्रामसभा का महत्व व विस्थापन के मुद्दे पर जानकारी दी. पड़हा संरक्षक श्री धान ने कहा कि लोकसभा व विधानसभा की तरह ग्रामसभा को भी विशेष अधिकार प्राप्त है. ग्रामसभा हमारे हक व अधिकारों को सुरक्षित करती है. हमें यह समझने की जरूरत है. बारी गांव के ग्राम प्रधान रोबेन उरांव, रेंची ग्राम प्रधान बिगु उरांव, बनहरदी ग्राम प्रधान इंद्रदेव उरांव, सुरली ग्राम प्रधान बाबूराम उरांव ने विस्थापन की समस्या की जानकारी दी. कहा कि आज पांच पड़हा अंतर्गत करीब डेढ़ दर्जन गांव विस्थापन की कगार पर खड़ा है. यहां दो कोल परियोजना अंतर्गत करीब 20 गांव प्रभावित-विस्थापित होनेवाले हैं. ऐसे में हम सभी को विस्थापन के मुद्दे पर गंभीरता से चर्चा करने की जरूरत है. विकास के नाम पर कंपनियां हमारी जल, जंगल व जमीन लेना चाह रही है, पर उनकी नीति स्पष्ट नहीं है. आनेवाली पीढ़ियों के भविष्य को देखते हुए हमें सोच-समझकर निर्णय लेना होगा. संचालन बनेश्वर उरांव व महेश्वर उरांव कर रहे थे. मौके पर उमेश्वर उरांव, बलराम उरांव, तेतर उरांव, विकास भगत, बहादुर टाना भगत, चंद्रदेव उरांव, रामलाल उरांव, दीनू भगत, अहमद अंसारी, मंटू कुमार, फुलेश्वर गंझू, नंदकिशोर यादव, नागेश्वर यादव समेत बड़ी संख्या में ग्रामीण महिला पुरूष मौजूद थे.
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