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बेतला नेशनल पार्क पर सीएए व एनआरसी का पड़ा असर, सैलानियों की घटी संख्या

बेतला : सीएएऔर एनआरसी के कारण बने अशांत माहौल का असर टूरिस्ट स्पॉट पर है. लोहरदगा व गुमला से सटे लातेहार जिले में अवस्थित बेतला नेशनल पार्क भी इसकी चपेट में है. बेतला पार्क का भ्रमण करने के लिए पर्याप्त संख्या में सैलानी नहीं पहुंचे रहे हैं. इनकी संख्या काफी घट गयी है. कई सैलानी […]

बेतला : सीएएऔर एनआरसी के कारण बने अशांत माहौल का असर टूरिस्ट स्पॉट पर है. लोहरदगा व गुमला से सटे लातेहार जिले में अवस्थित बेतला नेशनल पार्क भी इसकी चपेट में है. बेतला पार्क का भ्रमण करने के लिए पर्याप्त संख्या में सैलानी नहीं पहुंचे रहे हैं. इनकी संख्या काफी घट गयी है. कई सैलानी होटल में अपने नाम कमरों की बुकिंग को कैंसिल करा चुके हैं.

दिसंबर, जनवरी व फरवरी में जहां 50 से 100 वाहन तक प्रतिदिन पार्क में सैलानियों को लेकर प्रवेश करते थे वहीं अब इनकी संख्या घटकर 10 से 15 हो गयी है. बेतला के वन विभाग का विश्रामगार, पर्यटन विभाग का वनविहार के अलावा, होटल ग्रीन व्यू होटल ड्रीमलैंड, देवजानी आदि भी खाली -खाली हैं. होटल संचालकों ने बताया कि कई सैलानी अपने नाम से कमरे को बुकिंग करा चुके थे. लेकिन सीएए और एनआरसी के कारण बने अशांत माहौल के कारण सैलानियों ने बुकिंग कैंसिल करा ली.
इसी तरह से पार्क से जुड़े गाइड भी बेरोजगार हैं. पार्क घुमाने के लिए मौजूद वाहन के पहिए थमे हुए हैं. ज्ञात हो कि कई होटल में ऑनलाइन बुकिंग की जाती है. इनमें अधिकांश संख्या कोलकाता से आने वाले पर्यटकों की होती है. लेकिन पिछले दिनों लोहरदगा- गुमला माहौल शांत नहीं होने के कारण सैलानी बेतला नहीं आये. नेतरहाट व बेतला लातेहार में अवस्थित है .
विदेशों के अलावा देश के कोने कोने से बेतला पार्क आने वाले सैलानियों से करीब 20 गाइड और इतनी ही संख्या में वाहन मालिकों के अलावे विश्रामालय व रेस्टोरेंट संचालकों को रोजगार मिलता है. वन विभाग के अलावा पर्यटन विभाग को काफी राजस्व प्राप्त होता है. पिछले वर्ष की तुलना में इस बार भी सैलानियों की संख्या काफी कम रही. इस भरना दिसंबर में जनवरी में करीब 9000 सैलानी बेतला पहुंचे. जबकि पहले इनकी संख्या 20000 तक पहुंच जाती थी.

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