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जमीन विवाद में हत्या के चार आरोपियों को आजीवन कारावास

जमीन विवाद में हत्या करने के एक मामले की सुनवाई करते हुए अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश प्रथम गुलाम हैदर की अदालत ने बुधवार को चार आरोपियों मनोज मेहता, पप्पू मेहता, पंकज मेहता व पूरण देव मेहता निवासी फुलवरिया डोमचांच को 302 आईपीसी के तहत दोषी पाते हुए आजीवन सश्रम कारावास की सजा सुनायी.

कोडरमा . जमीन विवाद में हत्या करने के एक मामले की सुनवाई करते हुए अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश प्रथम गुलाम हैदर की अदालत ने बुधवार को चार आरोपियों मनोज मेहता, पप्पू मेहता, पंकज मेहता व पूरण देव मेहता निवासी फुलवरिया डोमचांच को 302 आईपीसी के तहत दोषी पाते हुए आजीवन सश्रम कारावास की सजा सुनायी. साथ ही सभी पर 25-25 हजार रुपये का जुर्माना लगाया. जुर्माना की राशि नहीं देने पर दो साल अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी. वहीं न्यायालय ने 506 आईपीसी एक्ट के तहत दोषी पाते हुए 1 साल कारावास व दो हजार जुर्माना लगाया. जुर्माना की राशि नहीं देने पर 2 माह अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी. अदालत ने इसके अलावा आरोपियों को 323 आईपीसी के तहत 6 माह कारावास व 1000 रुपये जुर्माना लगाया. जुर्माना की राशि नहीं देने पर 1 माह अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी. सभी सजाएं साथ-साथ चलेंगी. अदालत ने आरोपियों के द्वारा जमा किए जाने वाले जुर्माना की राशि को पीड़ित को देने का आदेश भी दिया है. साथ ही पीड़ित मुआवजा स्कीम के तहत भी पीड़ित को मुआवजा दिलाने का आदेश दिया गया है. इससे पहले अदालत ने स्पेशल चिल्ड्रन केस 11/23 नवलशाही थाना कांड संख्या 33/23 के अभियुक्त पूरन देव मेहता (जो घटना के समय नाबालिग था) को स्पेशल होम भेजे जाने का निर्देश दिया है. जानकारी के अनुसार मामला वर्ष 2023 का है. घटना को लेकर नवलशाही थाना में कांड संख्या 33/23 यमुना मेहता के आवेदन पर दर्ज किया गया था. इसमें पीड़ित ने कहा था कि पूजा रूम बनाने को लेकर उक्त अभियुक्तों से विवाद चल रहा था. इसी दौरान 7 मई 2023 कीसुबह करीब 8:30 बजे सभी अभियुक्त मजमा बनाकर हाथ में हरवे-हथियार लेकर घर में घुस आए और गाली गलौज करते हुए मेरी पत्नी दर्शनी देवी के सिर पर हथौड़ा से मार दिया, जिससे वह बेहोश होकर गिर गई और उसके सिर से काफी खून बहने लगा. हल्ला होने पर जब आसपास के लोग दौड़कर आए तो आरोपी भाग गए. दर्शनी देवी की गंभीर स्थिति को देखते हुए इलाज के लिए रिम्स रांची ले जाया गया, जहां उसकी मौत हो गई थी. अदालत में अभियोजन का संचालन लोक अभियोजक प्रवीण कुमार सिंह ने किया. वहीं बचाव पक्ष की ओर से अधिवक्ता जयप्रकाश नारायण ने दलीलें रखीं. अदालत ने सभी गवाहों और साक्ष्यों का अवलोकन करने के उपरांत अभियुक्तों को दोषी पाते हुए सजा सुनाई.

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