– आरा की रहने वाली अफसाना इन दिनों बोकारो स्थित अपने मायके में रह रही थी
प्रतिनिधि, झुमरीतिलैया (कोडरमा)
बोकारो स्थित अपने मायके वालों के घर से नाराज होकर सोमवार को अचानक निकली गर्भवती महिला ने चलती ट्रेन में एक बच्चे को जन्म दिया. मामला हटिया स्टेशन से खुलने वाली 18626 हटिया पटना एक्सप्रेस का है. चलती ट्रेन में नवजात शिशु को जन्म देने के बावजूद जच्चा-बच्चा दोनों सुरक्षित हैं. फिलहाल महिला व बच्चे को सदर अस्पताल कोडरमा में रखा गया है.
जानकारी के अनुसार 32 वर्षीय अफसाना खातुन, पति सहजाद मियां, निवासी जमुई बिहार गर्भवती होने के कारण इन दिनों अपने मायके बोकारो में रह रही थी. यहां रहने के दौरान किसी बात को लेकर उसकी परिजनों से नाराजगी हो गयी और वह अचानक अपने घर से निकल गयी. घर से निकलने के बाद वह सीधे बोकारो स्टेशन पहुंची और कोडरमा स्टेशन के रास्ते जमुई जाने के लिए हटिया पटना एक्सप्रेस में सवार हो गयी.
हालांकि, महिला के पास रांची से पारसनाथ तक का रेल टिकट मिला है. यह उसके पास कहां से आया इस संबंध में कुछ बता नहीं पा रही है. इससे पहले बताया जाता है कि ट्रेन के साधारण श्रेणी वाले कोच में सवार महिला को अचानक गोमो से पारसनाथ के बीच में प्रसव पीड़ा हुई. अकेली चल रही महिला को प्रसव पीड़ा में देख कोच में सवार अन्य महिला यात्रियों ने मदद की तब जाकर महिला ने नवजात लड़के को जन्म दिया.
इस बीच ट्रेन पारसनाथ से खुल चुकी थी. यात्रियों ने इसकी जानकारी ट्रेन में चल रहे टीटीई को दी. इसके बाद कामर्शियल कंट्रोल रूम व चाइल्ड लाइन 1098 को सूचना मिली. पारसनाथ के बाद हजारीबाग रोड व परसाबाद स्टेशन में उक्त ट्रेन का ठहराव है, पर इन जगहों पर उचित सुविधा नहीं होने के कारण महिला को नहीं उतारा गया.
कोडरमा स्टेशन पर सूचना मिलने पर पहले से ही 108 एंबुलेंस, स्वास्थ्य कर्मियों आरपीएफ, जीआरपी व चाइल्ड लाइन की टीम को बुला लिया गया था. ट्रेन पूर्वाह्न 11:50 बजे यहां पहुंची. इसके बाद जच्चा-बच्चा को उतारा गया. इस दौरान करीब 10 मिनट ट्रेन रुकी रही. महिला को बाद में व्हील चेयर में बैठाया गया और भेजा गया.
मौके पर स्टेशन अधीक्षक एमके सिंह, आरपीएफ इंस्पेक्टर संजय कुमार, स्वास्थ्य निरीक्षक बीएन प्रसाद, यातायात निरीक्षक अरविंद कुमार सुमन, चाइल्ड लाइन की पिंकी देवी व अन्य ने महिला को सदर अस्पताल भेजने में सहायता की.
लिफ्ट चालू नहीं, रैंप से महिला को ले जाया गया
इधर, इस पूरे प्रकरण के दौरान रेलवे के दावों व हकीकत की तस्वीर भी सामने आयी. जच्चा-बच्चा को सुरक्षित अस्पताल तक पहुंचाने के लिए रेलवे के अधिकारी समय से पहले मौजूद तो थे, पर जब महिला को ट्रेन से प्लेटफार्म संख्या पांच में उतारा गया तो उसे पहले रैंप से ऊपर ले जाया गया. यहां से उसे नीचे उतारने के लिए लिफ्ट का प्रयोग किया जाना था, पर वह बंद था. ऐसे में महिला को रैंप के द्वारा ही उतारा गया. हालांकि, इस संबंध में पूछे जाने पर स्टेशन अधीक्षक एमके सिंह ने बताया कि महिला को आनन-फानन में अस्पताल भेजना था. लिफ्ट से उतारने का ध्यान नहीं रहा.
सीडब्ल्यूसी टीम ने बेहतर इलाज का दिया निर्देश
इधर, एंबुलेंस के जरिए महिला को सदर अस्पताल पहुंचाया गया तो चाइल्डलाइन ने महिला के घर वालों को सूचना दे दी है. सीडब्ल्यूसी की अध्यक्ष रूपा सामांता, सदस्य अरूण ओझा, सत्येंद्र सिंह, एवं प्रवीण सिन्हा सदर अस्पताल पहुंचे व जच्चा-बच्चा की जानकारी ली. साथ ही डॉक्टरों को उचित इलाज करने का निर्देश दिया.