पिछले 19 वर्षों से वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम से लाखों लीटर पानी बचा चुके हैं विजय
झुमरीतिलैया : सरकार द्वारा इन दिनों चलाये जा रहे जल शक्ति अभियान के बाद लोग जल संरक्षण की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं, पर कुछ लोग ऐसे भी हैं जो वर्षों से जल का महत्व समझते हुए इसका संरक्षण कर मिसाल बने हुए हैं. इनमें से एक हैं शहर के जेपी नगर निवासी विजय कुमार व उनकी पत्नी सरिता विजय.
यही कारण है कि विजय दंपती के घर में पिछले कई वर्षों से पानी की कमी नहीं हुई है. चाहे पूरा भीषण गर्मी हो या शहर के किसी हिस्से में जल स्तर नीचे चला गया हो, पर इनके घर के अंदर के जलस्रोत का जल स्तर आज तक कम नहीं हुआ है. जल संरक्षण के प्रति इस दंपती की जागरूकता के कारण पूरा परिवार खुशहाल जीवन जी रहा है.
यही नहीं यह दंपती जल संरक्षण के साथ ही पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी बेहतर काम कर रहा है. इस घर का न पानी बाहर जाता है न कबाड़. प्रभात खबर से बातचीत में विजय ने बताया कि पिछले 24 साल पहले उनके घर में सप्लाई पानी आना बंद हो गया था.
ऐसे में सारा काम घर के कुएं के पानी से ही हो रहा था, लेकिन अप्रैल माह में गर्मी शुरू होते ही कुआं सूखने लगा. इसे देख कर हमने वर्ष 2000 में घर में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बना कर वर्षा जल का संरक्षण करना शुरू किया. आज 19 सालों में हमने लाखों लीटर पानी की बचत की है. विजय की मानें तो जब से घर में वाटर हार्वेस्टिंग शुरू किया तक से आज तक पानी की किल्लत नहीं हुई है.
विजय अपने घर में वर्षा जल संरक्षण के लिए छत से पाइपलाइन के जरिये वर्षा का पानी सीधे कुआं में जमा करते हैं. यही नहीं घर का गंदा पानी पनसोखा के जरिये वे संरक्षित कर रहे हैं. इनका यह सिस्टम आसपास के इलाकों में एक मिसाल है. कुछ लोग इनके घर में बने सिस्टम को देख कर अब अपने घर में भी जल संरक्षण करने में जुट गये हैं.
कबाड़ के जुगाड़ से तैयार की है बागवानी
विजय दंपती की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इनके घर का न तो पानी बर्बाद होता है और न ही कबाड़ का सामान. इन दोनों ने मिला कर कबाड़ के जुगाड़ से छत पर एक सुंदर बागवानी तैयार की है. घर में आये प्लास्टिक, नारियल का खोल व अन्य कबाड़ में विजय ने पौधरोपण कर बाग को सजाया है. इनकी बागवानी में फूल से लेकर बरगद तक के पेड़ लगे हैं.
गमले में बरगद, शीशम, पीपल, आम, अमरूद सहित कई ऐसे पेड़ लगाकर रखे हैं जो काफी विशाल होते हैं. विजय ने बताया कि बोंसाई तकनीक से सारे बड़े पेड़ को गमले में लगा कर रखा गया है. बोंसाई तकनीक जापानी तकनीक है इससे बड़े वृक्ष को बौना कर रखा जा सकता है.
विजय की पत्नी सरिता ने बताया कि उनके पति शुरू से ही प्रकृति प्रेमी हैं. वे पहले किराये के मकान में रहते थे उस समय से ही पौधरोपण करते आ रहे हैं. आज अपने घर में जगह की कमी के कारण छत पर ही बागवानी बना कर पर्यावरण के साथ ही जल संरक्षण भी कर रहे हैं. यही नहीं कबाड़ से घर की सजावट करना हमारे शौक है. बागवानी को देखने अक्सर लोग घर आते रहते हैं. कई बार इनके इस कार्य के लिए इन्हें सम्मानित किया जा चुका है. उन्होंने बताया कि जल संरक्षण की दिशा में विजय पिछले 43 वर्षों से पौधरोपण भी करते आ रहे हैं.