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कस्तूरबा की 10 छात्राएं एक साथ हुई ंबीमार

कोडरमा : कस्तूरबा गांधी बालिका आवासीय विद्यालय जयनगर की 10 छात्राएं सोमवार की सुबह अचानक बीमार हो गयीं. स्कूल की एक छात्रा के बेहोश होने के बाद एक-एक कर 10 छात्राओं की हालत बिगड़ गयी, तो स्कूल में अफरा-तफरी मच गयी. शुरुआत में बीमार पड़ी दो छात्राओं का इलाज स्थानीय स्तर पर किया गया, पर […]

कोडरमा : कस्तूरबा गांधी बालिका आवासीय विद्यालय जयनगर की 10 छात्राएं सोमवार की सुबह अचानक बीमार हो गयीं. स्कूल की एक छात्रा के बेहोश होने के बाद एक-एक कर 10 छात्राओं की हालत बिगड़ गयी, तो स्कूल में अफरा-तफरी मच गयी.

शुरुआत में बीमार पड़ी दो छात्राओं का इलाज स्थानीय स्तर पर किया गया, पर एक साथ कई छात्राएं बीमार होने की शिकायत करने लगी तो कुछ को सदर अस्पताल कोडरमा लाया गया. सदर अस्पताल में सात छात्राओं का डॉक्टरों ने इलाज किया. छात्राएं किस वजह से बीमार पड़ी इसके कारणों का खुलासा नहीं हो पाया है, पर छात्राओं का आरोप है कि विद्यालय में उन्हें समय पर सही से खाना नहीं मिलता है. गुणवत्तापूर्ण भोजन नहीं मिलने के कारण कमजोरी महसूस होती है.

यही नहीं विद्यालय में अन्य व्यवस्था भी ठीक नहीं है. एक बेड पर तो तीन-तीन छात्राएं सोने को मजबूर हैं. कुछ छात्राएं अव्यवस्था को लेकर शिकायत इसलिए नहीं करती हैं कि उन्हें स्कूल से निकाल नहीं दिया जाये. छात्राओं के इस बयान से सरकारी सिस्टम पर सवाल उठा है. जानकारी के अनुसार सोमवार की सुबह गीता नाम की छात्रा स्कूल परिसर में ही बेहोश हो गयी. अन्य छात्राओं ने इसकी जानकारी विद्यालय में दी, पर कोई मदद को आगे नहीं आया. ऐसे में अंजली, रिया, निशा नामक छात्राएं गीता को लेकर खुद प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंची और इसका इलाज कराया.
यहीं पर अंजली की भी तबीयत बिगड़ गयी. इसी बीच अन्य छात्राओं ने पेट दर्द, चक्कर आने की शिकायत की. इनकी हालत बिगड़ने लगी तो 108 एंबुलेंस को फोन कर बुलाया गया. साथ ही परिजनों को सूचना दी गयी. जिन छात्राओं के परिजन नजदीक के थे वे विद्यालय पहुंचे और बीमार छात्राओं को एंबुलेंस से सदर अस्पताल लाया गया. सदर अस्पताल में कक्षा नवम की छात्रा मुन्नी कुमारी, अंजली कुमारी, श्वेता कुमारी, पलक कुमारी, सीमा, प्रिया, सरिता, नेहा का इलाज किया गया. इसके अलावा मोनिका का भी इलाज स्थानीय स्तर पर हुआ.
सेनेटरी नैपकिन मशीन बेकार : सदर अस्पताल में इलाजरत छात्राओं ने आरोप लगाया कि विद्यालय में समय पर खाना नहीं मिलता है. सभी छात्राओं को दूध नहीं दिया जाता. नॉन वेज दो-तीन माह में एक बार दिया जाता है. माहवारी के दौरान सेनेटरी नैपकिन के प्रयोग को लेकर विद्यालय में मशीन तो लगायी गयी है, पर शुरुआत में कुछ दिन चलने के बाद वह बेकार पड़ी है. यही नहीं विद्यालय परिसर में पानी की सुविधा नहीं है. बाहर से पानी लाना पड़ता है.

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