प्रतिदिन जत्था के रूप में कुंभ जा रहे हैं लोग
तोरपा.
यूं तो महाकुंभ मेला का आयोजन यहां से सैकड़ों किलोमीटर दूर प्रयागराज में किया गया है. इसका असर प्रखंड से लेकर गांव के कस्बे तक दिखाई दे रहा है. कुंभ जाने वाले श्रद्धालुओं का जत्था प्रतिदिन रवाना हो रहा है. कुंभ मेले की महत्ता और आकर्षण के कारण गांव-कस्बे से प्रतिदिन बड़ी संख्या में लोग कुंभ मेले में जा रहे हैं. यह मेला हिंदू धर्म के लिए एक महत्वपूर्ण आयोजन है और लोग इसे एक पवित्र अनुभव के रूप में देखते हैं. गांव-कस्बे से आने वाले लोगों के लिए कुंभ मेला एक अद्वितीय अनुभव है, जहां वह अपने परिवार और समुदाय के साथ मिलकर पूजा-अर्चना कर रहे हैं. संगम में स्नान कर आध्यात्मिक अनुभव प्राप्त कर रहे हैं.परेशानियों पर आस्था है हावी :
तोरपा से कुंभ मेला की दूरी लगभग 610 किलोमीटर है. कुंभ जाने के रास्ते में कई जगहों पर जाम की स्थित बनी है. लोग घंटों जाम में फंस रहे हैं. इसके बावजूद लोगों का कुंभ जाने का जोश कम नहीं हो रहा है. लोगों की आस्था इन परेशानियों पर हावी हो गयी है. कुंभ जाने वाले श्रद्धालु अपने साथ खाने पीने का सामान साथ लेकर जा रहे हैं ताकि जाम की स्थिति में खाने की परेशानी ना हो.क्या कहते हैं कुंभ स्नान कर लौटने वाले श्रद्धालु :
कुंभ स्नान कर लौटने वाले श्रद्धालु कहते हैं कि संगम में स्नान करना अविस्मरणीय क्षण है. स्नान के बाद आत्मीय संतुष्टि का अनुभव होता है. कुंभ स्नान कर लौटने वाले धर्मेंद्र कुमार कहते हैं कि मौका मिला तो पुनः कुंभ जाकर स्नान करेंगे. कुंभ जाना अपने आप में एक अद्भुत क्षण था. संतोष जायसवाल कहते हैं कि कुंभ स्नान मन व आत्मा तृप्त हो गया. जिन्हें कुंभ स्नान का मौका मिल रहा है वह भाग्यशाली हैं. तपकारा की पिंकी देवी अपने पति प्रदीप केशरी व बेटी रुमझूम के साथ कुंभ का स्नान किये. वह कहती हैं कि हमारा जीवन सफल हो गया. शांति देवी कहती हैं कि 144 साल बाद कुंभ स्नान का यह संयोग मिला है. एक बार कुंभ मेला जाकर संगम में स्नान जरूर करना चाहिए.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है