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झारखंड का एक गांव, जहां आजादी के पहले से फहर रहा तिरंगा, सालोंभर झंडे को सलामी देते हैं बिरसा मुंडा के अनन्य भक्त

Jharkhand Village: झारखंड की रोन्हे भगत टोली के लोगों की देशभक्ति मिसाल है. यहां आजादी के पहले से तिरंगा फहराया जा रहा है. हर घर में यहां सालोंभर तिरंगा फहरता है. हर व्यक्ति में देशभक्ति का जज्बा देख आप हैरत में पड़ जाएंगे. इस गांव में पांच घर हैं और सभी बिरसाइत धर्म को माननेवाले हैं. भगवान बिरसा मुंडा के अनन्य भक्त ने 1920 में पहली बार अपने घर में तिरंगा फहराया था.

Jharkhand Village: तोरपा (खूंटी), सतीश शर्मा-रोन्हे भगत टोली. एक गांव, जो झारखंड के खूंटी जिले के तोरपा प्रखंड में है. इसकी अपनी विशेष पहचान है. यह गांव देशभक्ति, राष्ट्रीय गौरव और तिरंगा के प्रति अटूट प्रेम का जीवंत उदाहरण है. यहां साल के 365 दिन हर घर के सामने तिरंगा शान से लहराता रहता है. यह झंडा धरती आबा द्वारा किए किए स्वतंत्रता आंदोलन की भी याद दिलाता है. यह गांव तोरपा प्रखंड मुख्यालय से 18 किलोमीटर दूर हुसीर पंचायत में है. यहां पांच घर हैं और सभी बिरसाइत धर्म को मानते हैं. इनके धर्मगुरु दीना भगत हैं.

बिरसा मुंडा की सेना में थे तुरिया मुंडा


15 नवंबर 2023 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भगवान बिरसा मुंडा के गांव उलिहातू (खूंटी) आए थे. गांव के बुजुर्ग लखन पाहन बताते हैं कि यहां पर घरों में तिरंगा झंडा फहराने की परंपरा 100 साल से भी पुरानी है. गांव के तुरिया मुंडा बिरसा मुंडा की सेना में थे. बिरसा के साथ आंदोलन में शरीक होते थे. धरती आबा की शहादत के बाद तुरिया मुंडा का परिवार पहले किनसु और फिर रोन्हे भगत टोली में आकर बस गया. यहां आने के बाद तुरिया मुंडा के पोते बड़ेया मुंडा के निर्देश पर देश की आजादी के प्रतीक के रूप में लोग घरों में तिरंगा लहराने लगे.

साथो मुंडा ने 1920 में सबसे पहले घर में फहराया तिरंगा


तुरिया मुंडा के वंशज दीना भगत कहते हैं कि देश की स्वतंत्रता और भगवान बिरसा मुंडा के प्रतीक के रूप में गांव के सभी घरों में पूरे साल तिरंगा फहराया जाता है. गांव के लखन पाहन बताते हैं कि जलटांडा के पास एक गांव था अटाबारांगो. वहां साथो मुंडा ने 1920 के आसपास सबसे पहले अपने घर में तिरंगा झंडा फहराया था. उसके बाद किनसु तथा रोन्हे भगत टोली के घरों में झंडा फहराया जाने लगा.

साल में दो बार बदला जाता है झंडा


ग्रामीण चंदेया भगत, लखन भगत, चमीन भेंगरा और कैला भेंगरा आदि बताते हैं कि घर में लगा तिरंगा झंडा साल में दो बार बदला जाता है. इसके लिए गांव में विशेष अनुष्ठान होता है. पुजारी आकर तिरंगे की पूजा करते हैं. सबसे पहले गांव के धर्मगुरु दीना भगत के घर में तिरंगा बदला जाता है. फिर अन्य घरों का तिरंगा बदला जाता है. वह बताते हैं कि तिरंगा बदलने के बाद गांव के लोग अपना-अपना जनेऊ भी बदलते हैं. गांव के लखन भगत बताते हैं कि पहले जब तिरंगा झंडा नहीं मिलता था, तो गांव के लोग कपड़े बुनते थे और खुद भी झंडा बनाते थे.

रोन्हे भगत टोली में है मिट्टी का कानून घर


रोन्हे भगत टोली में मिट्टी का एक गोल घर बना हुआ है. बिरसा मुंडा के साथ रहे तुरिया मुंडा के पोते बढ़ेया मुंडा के आदेश पर इसे ग्रामीणों ने मिलकर बनाया था. इस गांव के लोग कानून घर कहते हैं. इसके ऊपर एक कुल्हाड़ी (टांगी) स्थापित है. ग्रामीण बताते हैं कि यह कुल्हाड़ी भगवान बिरसा द्वारा अंग्रेजों के खिलाफ किए गए आंदोलन की याद दिलाती है. इस विशेष कुल्हाड़ी का निर्माण लोहार ने तीन दिन उपवास रहकर किया था. उस लोहार का नाम कोंडे लोहार था.

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Guru Swarup Mishra
Guru Swarup Mishrahttps://www.prabhatkhabar.com/
मैं गुरुस्वरूप मिश्रा. फिलवक्त डिजिटल मीडिया में कार्यरत. वर्ष 2008 से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से पत्रकारिता की शुरुआत. आकाशवाणी रांची में आकस्मिक समाचार वाचक रहा. प्रिंट मीडिया (हिन्दुस्तान और पंचायतनामा) में फील्ड रिपोर्टिंग की. दैनिक भास्कर के लिए फ्रीलांसिंग. पत्रकारिता में डेढ़ दशक से अधिक का अनुभव. रांची विश्वविद्यालय से पत्रकारिता में एमए. 2020 और 2022 में लाडली मीडिया अवार्ड.

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