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सतर्कता ही एड्स से बचाव

खूंटी : एचआइवी से लड़ाई में समाज का पारदर्शी व वास्तविक नजरिया बेहद जरूरी है. इसके बिना रोग पर नियंत्रण मुश्किल है. एचआइवी को अनैतिकता का सबूत बता कर एड्स पीड़ितों को अकेला छोड़ना या उन्हें निशाना बनाना अमानवीयता है. यह बात गुरुवार को स्वास्थ्य विभाग के रिजनल डिप्टी डायरेक्टर शिव शंकर हरिजन ने सदर […]

खूंटी : एचआइवी से लड़ाई में समाज का पारदर्शी व वास्तविक नजरिया बेहद जरूरी है. इसके बिना रोग पर नियंत्रण मुश्किल है. एचआइवी को अनैतिकता का सबूत बता कर एड्स पीड़ितों को अकेला छोड़ना या उन्हें निशाना बनाना अमानवीयता है. यह बात गुरुवार को स्वास्थ्य विभाग के रिजनल डिप्टी डायरेक्टर शिव शंकर हरिजन ने सदर अस्पताल में विश्व एड्स दिवस पर आयोजित सेमिनार में कही.
उन्होंने कहा कि रोग के लक्षण दिखने पर फौरन जांच कराना चाहिए. सदर अस्पताल में यह सुविधा उपलब्ध है. सीएस डॉ बिनोद उरांव, जिला यक्ष्मा पदाधिकारी प्रभात कुमार, डीएस रामरेखा प्रसाद, डॉ चंद्रशेखर जायसवाल, विनय मिश्र ने कहा कि एचआइवी के शुरुआती दौर में इसका पता नहीं चल पाता है और व्यक्ति के इलाज में देरी होती है. बार-बार बुखार आना, मांसपेशियों में खिंचाव, जोड़ों में दर्द व सूजन, सिर में दर्द, धीरे-धीरे वजन का कम होना, स्किन पर रेशेज होना, बिना वजह के तनाव में आना, हमेशा जुकाम रहना, ड्राइ कफ आदि लक्षण पाये जाते हैं तो तत्काल जांच कराना ही समझदारी है. यह एक ऐसी बीमारी है जो इंसान को जीते जी मार देती है. असुरक्षित यौन संबंधों, दोषपूर्ण रक्त बदलने व अन्य कारकों से यह रोग होता है.
एड्स एचआइवी नामक विषाणु से होता है. यह वायरस मानव की रोग प्रतिरोधक क्षमता को कम करनेवाला विषाणु रेट्रोवायरस है. वायरस मानव की रोग प्रतिरोधक प्रणाली की कोशिकाआें को संक्रमित कर उनके काम करने की क्षमता को नष्ट कर देता है. सेमिनार में डीपीएम काननबाला तिर्की, सुनीता दास, प्रीति चौधरी, नरेंद्र दास, कामाख्या नारायण सिंह, चंद्रिका तिर्की, संतोष कुमार व अन्य मौजूद थे.
जिले में अब तक एड्स के 42 रोगी : सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक वर्ष 2010 तक जिला में एड्स के कुल 13 रोगी थे. इसके बाद वर्ष 11 में आठ लोगों में जबकि इस वर्ष 2011 में दो लोगों में एड्स के लक्षण पाये गये हैं. वर्ष 13 में यह 31 थी. वर्ष 2016 में रोगियों की संख्या 42 हो गयी है.

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