खूंटी : खूंटी जिला में पत्थलगड़ी का स्वरूप बदलने लगा है. पहले पत्थलगड़ी में सरकारी योजनाओं का बहिष्कार करने की बातें लिखी जाती थी, वहीं अब इसमें सरकारी योजनाओं का लाभ लेने की बातें अंकित की जा रही है.
पत्थलगड़ी में यह बदलाव आया है खूंटी के मुरही पंचायत अंतर्गत हातूदामी गांव में. अब यहां विवादित पत्थलगड़ी में अंकित संविधान की धाराओं को मिटा कर उसे गांव के सीमाना पत्थल के रूप में परिवर्तित कर दिया गया है. इसमें बच्चों को स्कूल भेजने, जल संरक्षण, जंगल बचाने, गांव को स्वच्छ बनाने का संदेश अंिकत है.
इस नये स्वरूप की पत्थलगड़ी का शनिवार को पूजा-अर्चना कर अनावरण किया गया. इससे पहले ग्रामीणों ने ग्रामसभा में इसका निर्णय लिया और डीसी तथा एसडीओ को इसकी लिखित जानकारी भी दी. ग्रामीणों की इस पहल को जिला प्रशासन भी हाथों-हाथ लेने की तैयारी में है. 26 या 27 सितंबर को गांव में जनता दरबार लगाया जायेगा.
ग्रामीणों ने रखी समस्याएं: ग्रामीणों ने बताया कि गांव में काफी समस्याएं हैं. गांव में पानी की निकासी का साधन नहीं है, जिसके कारण सड़क कीचड़ में तब्दील हो जाता है. चापाकल और सोलर लाइट खराब हैं. सोलर वाटर पंप लगा दिया गया, लेकिन पक्कीकरण नहीं किया गया. शॉकपिट भी नहीं बनाया गया. प्रधानमंत्री आवास योजना से बने मकानों में बिजली नहीं पहुंचायी गयी है. ग्रामीणों को सिंचाई के लिए एक चेकडैम की आवश्यकता है़. कई जरूरतमंदों लोगों को विधवा और वृद्धा पेंशन नहीं मिलता है़. कई युवा बेरोजगार हैं.
उन्हे रोजगार की आवश्यकता है़ सामुदायिक भवन की हालत जर्जर हो गयी है. ग्रामीणों ने कहा कि जनता दरबार में जिला प्रशासन के सामने गांव की सभी समस्याओं को रखा जायेगा. मौके पर ग्राम प्रधान दशरथ कच्छप, उप मुखिया प्यारचंद भेंगरा, सिमोन कच्छप, चंद्रमोहन कच्छप, लाल मुंडा सहित अन्य उपस्थित थे.
मुरही पंचायत के हातूदामी गांव से हुई शुरुआत
पत्थलगड़ी को समझ नहीं पाये
ग्रामीणों ने कहा कि पूर्व में बहकावे में आ गये थे, पत्थलगड़ी क्या है, इसे समझ नहीं पाये थे. इसी कारण विवादास्पद पत्थलगड़ी की गयी थी. उसमें संविधान की गलत व्याख्या की गयी थी. यह आदिवासी समाज की परंपरा के अनुसार भी नहीं था.
चंद्रमोहन मुंडा ने कहा कि पता नहीं, कहां से अनाड़ी लोग नेता बन कर आ गये थे और पत्थलगड़ी कर चले गये. वह पत्थलगड़ी गलत थी. हातूदामी में 17 मई 2017 को पत्थलगड़ी की गयी थी. इससे पहले खूंटी के चितरामू गांव में 19 जुलाई को पत्थलगड़ी को गलत बताते हुए ग्रामीणों ने उखाड़ दिया था.
