रांची : खूंटी सहित आस-पास के इलाके में पत्थलगड़ी काे भाकपा माओवादियों और पीएलएफआइ के उग्रवादियों का समर्थन मिल रहा था. इसका खुलासा खुफिया विभाग की रिपोर्ट से हुआ है. खुफिया विभाग ने सरायकेला, चाईबासा और खूंटी एसपी काे रिपोर्ट भेज कर इसकी जानकारी दी.
खुफिया विभाग ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि पत्थलगड़ी से संबंधित सूचना एकत्र करने और इससे जुड़े प्रमुख नेताओं की व्यक्तिगत विवरणी संकलन करने के दौरान यह सूचना मिली कि भाकपा माओवादी और पीएलएफआइ के उग्रवादियों का प्रत्यक्ष समर्थन मिल रहा है.
अपने कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए पत्थलगड़ी नेता हर तरह के हथकंडे अपना रहे थे. उदाहरण के तौर पर प्रशासन को क्षेत्र में प्रवेश करने से रोकना, सरकारी स्कूलों को बंद कराना, आधार कार्ड और वोटर कार्ड को जलाना और अपना बैंक स्थापित करना.
रिपोर्ट के अनुसार, तीन अगस्त को झारखंड और बिहार बंद के पूर्व नक्सलियों द्वारा तैयार पोस्टर से भी इस बात की पुष्टि होती है कि नक्सलियों ने गांव- गांव तक पत्थलगड़ी बढ़ाने की बात कही थी. 25 जून को भाकपा माओवादी की रिजनल कमेटी द्वारा पंपलेट और पोस्टर जारी किया गया था. इसमें पत्थलगड़ी आंदोलन से जुड़े इलाके की जनता को जनवादी शासन व्यवस्थावाली ग्राम सभा तथा क्रांतिकारी जन कमेटी के राजवाले इलाके में बदल डालने का अनुरोध किया गया था.
उल्लेखनीय है कि कोचांग सामूहिक गैंग रेप में पीएलएफआइ के उग्रवादी बाजी समद उर्फ टकला का नाम आ चुका है. उसे चाईबासा पुलिस ने 15 जुलाई को गिरफ्तार किया था. उसने पूछताछ में घटना में अपनी संलिप्तता स्वीकार ली थी. उसने यह भी बताया था कि पत्थलगड़ी के नेता जॉन जुनास तिडू, बलराम समद, लक्ष्मण सोय के उकसाने पर अपने अन्य साथियों के साथ मिल कर घटना को अंजाम दिया था. इस घटना के बाद पीएलएफआइ और पत्थलगड़ी के समर्थक नेताओं के बीच संबंध होने की पुष्टि हो चुकी है.
