मुरलीपहाड़ी.शारदीय नवरात्र के दूसरे दिन मंगलवार को मां ब्रह्मचारिणी की पूजा-अर्चना की गई. भक्तों ने अपने घरों एवं मंदिरों में जाकर देवी की आराधना की. गांव के विभिन्न देवी मंदिरों में सुबह से ही लोगों की भीड़ लगी रही. पूजा-अर्चना के बाद घर एवं मंदिरों में दुर्गा सप्तशती का पाठ भी किया गया. शास्त्री सूर्य प्रकाश मिश्रा ने बताया कि ब्रह्म का अर्थ है तपस्या व चारिणी का अर्थ है आचरण करने वाली देवी. मां के हाथों में अक्ष माला और कमंडल होता है. मां ब्रह्मचारिणी के पूजन से ज्ञान सदाचार, लगन, एकाग्रता और संयम रखने की शक्ति प्राप्त होती है. व्यक्ति अपने कर्तव्य पथ से भटकता नहीं है. मां ब्रह्मचारिणी की भक्ति से लंबी आयु का वरदान प्राप्त होता है. कहा जाता है कि मां की पूजा करने वाले भक्त जीवन में सदा शांत चित्त और प्रसन्न रहते हैं. उन्हें किसी प्रकार का भय नहीं सताता. या देवी सर्वभूतेषु मां ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता. नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः. दधाना कर मद्माभ्याम अक्षमाला कमण्डलू. देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा मंत्र से देवी का आह्वान किया जाता है. आज देवी चंद्रघंटा की होगी आराधना नवरात्र के तीसरे दिन बुधवार को देवी के तीसरे स्वरूप चंद्रघंटा का पूजन होगा. देवी चंद्रघंटा के सिर पर घंटे के आकार का अर्द्ध चंद्र नजर आता है. यही वजह है कि माता के भक्त उन्हें चंद्रघंटा कहकर बुलाते हैं. देवी चंद्रघंटा का वाहन सिंह होता है. मां की 10 भुजाएं, 3 आंखें, 8 हाथों में खड्ग, बाण आदि अस्त्र-शस्त्र हैं. देवी मां अपने दो हाथों से अपने भक्तों को आशीष देती हैं. मां चंद्रघंटा की पूजा करने से मन के साथ घर में भी शांति आती है. व्यक्ति के परिवार का कल्याण होता है.
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