नारायणपुर. नारायणपुर प्रखंड के भैयाडीह युगल बिहार कुंज में श्रीराम कथा के चौथे दिन कथावाचक दिनेश जी महाराज ने भगवान श्रीराम और भरत के मिलन प्रसंग सुनाकर श्रोताओं को भाव विभोर कर दिया. कथावाचक ने कहा कि जब मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम अपने कुल, पिता की आज्ञा और रीति को पालन करने के लिए मां जानकी और लक्ष्मण के साथ 14 वर्षों के लिए वनवास को चले गये और जब वनवास की खबर भरत को मिली तो उन्होंने अपने गुरुजनों, राजदरबारियों एवं प्रमुख मंत्रिजनों की सलाह से भगवान राम को पुनः अयोध्या वापस लाने के लिए वन गये. वन पहुंचकर भरत ने श्रीराम से अयोध्या वापसी के लिए विनती की, लेकिन भगवान ने कुल की मर्यादा की बात कहकर अयोध्या वापसी से इंकार कर दिए. भगवान राम और भरत जैसा भ्रातृ प्रेम तीनों लोकों में कभी नहीं देखा गया. वर्तमान कलियुग में भाई-भाई में प्रेमभाव की बहुत कमी देखी जा रही है. इसका प्रमुख कारण आज के समय में लोग अपनी संस्कृति को भूल जा रहे हैं. धार्मिक ग्रंथों के नियमित अध्ययन और श्रवण से नैतिकता का विकास होता है. नियमित धार्मिक ग्रंथों के श्रवण एवं अध्ययन से घर परिवार में भी आपसी प्रेमभाव बना रहता है. वहीं कथा के सफल आयोजन में अवधेश मिश्रा, प्राणेश मिश्रा, प्रताप मिश्रा, रामदुलारी पंडित, गणेश पंडित, भरत महतो, अंजनी पंडित, रमेश मंडल, नरेश पाठक, उमेश मिश्रा, ब्रजेश मिश्रा समेत अन्य की महत्ती भूमिका रही.
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