कुंडहित. प्रखंड के खजूरी गांव स्थित बजरंगबली मंदिर परिसर में सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के आयोजन से भक्ति की अविरल धारा बहने लगी है. शाम ढलने के साथ ही बजरंगबली मंदिर परिसर में भक्त वैष्णवों की भीड़ उमड़ने लती है. मंगलवार वृंदावन धाम के कथावाचक नितिन देवजी महाराज ने भगवान श्री कृष्ण की बाल्य लीला, गिरी गोवर्धन की पूजा, महारास एवं रुक्मिणी विवाह प्रसंग के बारे में मधुर वर्णन किया. महाराज ने कहा सारे गोपियां भगवान श्री कृष्ण का दर्शन करना चाहती थी. इसलिए भगवान ने माखन चोरी लीला के माध्यम से सभी गोपियों के घर जाकर स्वयं भगवान गोपियों को दर्शन दिए. महाराज ने कहा भक्तों का भाव अगर सच्चा हो तो भगवान स्वयं आकर भक्तों को दर्शन देते हैं, जहां भाव रहता है वहां प्रकट होकर भगवान सभी को दर्शन देते हैं. कहा गोपियां तो संत है, जो पूर्व जन्म में तपस्या कर भगवान को प्राप्त करने के लिए आए थे. भगवान श्री कृष्ण की बाल लीलाओं में उनके मामा कंस श्री कृष्ण को वध करना चाहते थे. इसलिए बहुत सारे दुष्टों को भगवान को वध करने के लिए भेजे थे. उन सभी दुष्टों को भगवान श्री कृष्ण ने बाल लीला लीला में सब का उद्धार कर मोक्ष प्रदान करके उन सभी का भगवान का धाम प्राप्त हुआ. गिरिराज गोवर्धन पूजा प्रसंग में महाराज ने कहा कि देवराज इंद्र को अहंकार हो गया था. अहंकार को दूर करने के लिए भगवान श्री कृष्ण ने देवराज इंद्र का अहंकार को तोड़कर गिरिराज गोवर्धन की पूजा करायी थी. कहा कि जहां अहंकार होता है एवं जिनके जीवन में अभिमान होता है वह भगवान नहीं रहता है. महारास प्रसंग में महाराज ने कहा गोपियों ने भगवान श्री कृष्ण से उन्हें पति- रूप में पाने की इच्छा प्रकट की. भगवान श्री कृष्ण ने गोपियों की इस इच्छा पूरी करने का वचन दिया था. अपने वचन को पूरा करने के लिए भगवान श्री कृष्ण ने महारास लीला ली. वहीं रुक्मिणी के विवाह प्रसंग में कहा कि भगवान श्री कृष्ण ने इस प्रकार सब राजाओं को जीत लिया. कहा श्रीमद्भागवत गीता एक ऐसा धर्म ग्रंथ है जो मनुष्य को कर्म योगी बनने के लिए प्रेरित करता है. कथा के साथ साथ भजन संगीत एवं आकर्षित झांकी भी प्रस्तुत किया, जिससे उपस्थित श्रोता-भक्त भावविभोर होकर कथा स्थल पर भक्ति से झूमते रहे.
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