नारायणपुर. प्रखंड के श्री श्री 1008 संकट मोचन हनुमान मंदिर बड़बहाल घाटी में रामचरितमानस परायण कथा दूसरे दिन भी जारी रहा. कथावाचक पंडित सत्यनारायण तिवारी ने कहा कि मनुष्य के जीवन में सुख-दुख, अनुकूल-प्रतिकूल परिस्थितियों का आना स्वाभाविक है, लेकिन जो भगवान का भक्त होता है, वह इन दोनों परिस्थितियों का हंसकर सामना करता है. व्यक्ति को कर्म करते रहना चाहिए, फल की इच्छा भगवान पर छोड़ देनी चाहिए, जब हमारे उम्मीद के अनुसार फल न मिले तो निराश नहीं होना चाहिए, जिस प्रकार सूरज का रंग उदय व अस्त होते समय एक जैसा रहता है उसी प्रकार व्यक्ति को संपति व विपत्ति दोनों परिस्थितियों में एक समान व्यवहार करना चाहिए. कहा कि जीवन के हर संशय का समाधान श्रीराम कथा करती है. कहा कि भक्त के हृदय में भगवान आए तो आंसू आए बिना रह नहीं सकते. भगवान का सुमिरन करते रहिए. मनुष्य के हृदय में विकारों का जो खारा जल भरा है, बाहर निकलना चाहिए. उन्होंने कहा कि माता सती ने अभिमान वश कूंभज ऋषि से श्रीराम की कथा नहीं सुना और श्रीराम पर संदेह किया. इसके बाद माता सती बिना बुलाए अपने पिता के यज्ञ में गयी. भगवान शंकर का और अपना अपमान सहन नहीं कर सकी. योग अग्नि से अपने शरीर को जलाकर भस्म कर दिया, लेकिन माता सती ने दोबारा जन्म लिया और जिसके बाद महादेव तथा पार्वती का विवाह आनंद पूर्वक संपन्न हुआ. ब्रह्मा ने वेदोक्त रीति से विवाह करवाया. कार्यक्रम में कृष्णकांत साह, हीरामन दास, भूदेव पंडित, रंजीत तिवारी, अकलू रवानी, बीरेंद्र रवानी, गुंजन तिवारी, मुकेश तिवारी, कौशल ओझा आदि ने बारी-बारी से भजन प्रस्तुत कर शमा बांधा. मौके पर कौशलेश राय, आनंद ओझा, भगलू रवानी, मनमोहन तिवारी आदि मौजूद थे.
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