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Madhur Kranti: झारखंड आंदोलन और क्रांति की धरती रही है. यहां तरह-तरह की क्रांति हुई है. पूर्वी सिंहभूम जिले के बोड़ाम प्रखंड में इन दिनों एक क्रांति चल रही है, जिसे नाम दिया गया है- ‘मधु’र क्रांति. इस क्रांति के पीछे विलुप्त हो रही सबर जनजाति की महिलाऐं हैं. इन्होंने जंगल की गहराई से आत्मनिर्भरता की मीठी राह निकाली है.
खोखरो गांव के 45 सबर परिवारों ने दिखायी राह
हम बात कर रहे हैं जमशेदपुर से सटे बोड़ाम प्रखंड के छोटे से गांव खोखरो गांव की. इस छोटे से गांव की 45 सबर परिवारों ने वो कर दिखाया है, जो किसी आंदोलन से कम नहीं. सदियों से जंगलों पर निर्भर इस आदिम जनजाति समूह के परिवारों ने शहद संग्रहण को पारंपरिक गतिविधि से आगे बढ़ाकर व्यवस्थित-व्यापारिक उद्यम में बदल डाला है.
सालों से NTFP पर आधारित रहा है सबर का जीवन
इसके साथ ही शुरू हुई है बोड़ाम (‘Boram Honey’) की ‘मधु’र क्रांति. सबर समुदाय का जीवन सालों से NTFP (महुआ, पत्ता, झाड़ू और विशेषकर वन शहद) पर आधारित रहा. ये लोग हर साल लगभग 2 टन शहद एकत्र करते थे, लेकिन उचित मूल्य नहीं मिलता था. इसके भंडारण की व्यवस्था नहीं थी. फलस्वरूप इनकी अथक मेहनत बेकार हो जाती थी.

सरकारी पहल – PM-JANMAN और VDVK की स्थापना
वर्ष 2024 में PM-JANMAN योजना के अंतर्गत खोखरो गांव में वन धन विकास केंद्र (VDVK) की स्थापना हुई. 16 सितंबर 2024 को योजना की शुरुआत के साथ सबर समुदाय के सदस्यों को शहद संग्रहण, मधुमक्खी पालन, प्रोसेसिंग और ब्रांडिंग का प्रशिक्षण दिया गया.
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प्रशिक्षण और उपकरणों से आयी आत्मनिर्भरता
महिलाओं को वैज्ञानिक तरीके से शहद संग्रहण, हाइजीन, फिल्टरेशन और पैकेजिंग का प्रशिक्षण दिया गया. 30 परिवारों को आवश्यक उपकरणों की किट (कुल्हाड़ी, डावली, फनल, ग्लव्स, हेलमेट, जार आदि) दी गयी. इससे उनकी सहभागिता और आत्मविश्वास में उल्लेखनीय वृद्धि हुई.

Boram Honey – एक ब्रांड, एक पहचान
Boram Honey ब्रांड के आकर्षक लेबल, सुरक्षित पैकेजिंग और गुणवत्ता ने इसे एक खास पहचान दिलायी है. तेजस्विनी महिला किसान उत्पादन समूह FPO और 16 Joint Liability Groups (JLGs) के माध्यम से शहद की संगठित बिक्री शुरू हुई. इससे न केवल उत्पाद को उचित मूल्य मिला, बल्कि समुदाय की बाजार तक सीधी पहुंच भी बनी.
भविष्य की तैयारी – जैविक खेती और B-Box वितरण
आने वाले दिनों में B-Box के जरिये मधुमक्खी पालन को और बढ़ावा देने की योजना है. इससे शहद उत्पादन बढ़ेगा और परागण के जरिये जैविक खेती को भी बल मिलेगा. इससे वन और कृषि में संतुलन बना रहेगा.

जंगल से आत्मनिर्भरता तक का सफर
‘Boram Honey’ की सफलता सिर्फ शहद बेचने की कहानी नहीं है. यह एक समुदाय के संघर्ष, सीख और संगठन के जरिये आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ती यात्रा की कहानी है. खोखरो के सबर परिवारों ने दिखा दिया कि अगर अवसर, मार्गदर्शन और सहयोग मिले, तो जंगल की गहराई से भी आत्मनिर्भरता की मीठी राह निकल सकती है.
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