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Debt Trap: अगर ये 5 संकेत दिख रहे हैं, तो आप चुपचाप कर्ज के जाल में फंस चुके हैं

Debt Trap: अगर आप हर महीने क्रेडिट कार्ड या लोन का सिर्फ Minimum Amount Due भर रहे हैं, तो यह कर्ज के जाल का पहला और सबसे आम संकेत है. Minimum भुगतान करने से भले ही आप डिफॉल्टर न दिखें, लेकिन असल में आपकी मूल रकम (Principal) लगभग जस-की-तस रहती है और ब्याज लगातार बढ़ता जाता है.

Debt Trap: कर्ज में डूब जाना शायद ही किसी के जीवन का एक अचानक लिया गया फैसला होता है. ज्यादातर मामलों में यह एक धीमी और लगभग अदृश्य प्रक्रिया होती है, जो समय के साथ आकार लेती है. एक फोन EMI पर खरीदा जाता है, महीने के आखिरी दिनों में खर्च संभालने के लिए क्रेडिट कार्ड का सहारा लिया जाता है और फिर पुराने बकायों को “मैनेज” करने के लिए पर्सनल लोन ले लिया जाता है.

शुरुआत में ये फैसले न तो जोखिम भरे लगते हैं और न ही परेशानी वाले. हर भुगतान समय पर होता है, EMI “मैनेजेबल” लगती है और लगता है कि हालात पूरी तरह नियंत्रण में हैं. लेकिन धीरे-धीरे यही आसान लगने वाले फैसले मिलकर एक ऐसी स्थिति बना देते हैं, जिसे वित्तीय विशेषज्ञ Debt Trap यानी कर्ज का जाल कहते हैं.

चिंता की बात यह है कि यह समस्या तेजी से बढ़ रही है. CRIF Highmark के अनुसार, मार्च 2025 तक 90 दिनों से अधिक समय से बकाया क्रेडिट कार्ड खातों का डिफॉल्ट रेट बढ़कर 15 प्रतिशत हो गया है. यह बढ़ोतरी ऐसे समय में आई है जब क्रेडिट कार्ड से खर्च लगातार बढ़ रहा है.

इसका सीधा मतलब है कि बड़ी संख्या में लोग अपनी चुकाने की क्षमता की सीमा तक पहुंच चुके हैं और कई मामलों में उन्हें इसका एहसास तब होता है, जब हालात हाथ से निकलने लगते हैं. यही वजह है कि कर्ज के शुरुआती संकेतों को समय रहते पहचानना बेहद जरूरी हो जाता है. क्योंकि कर्ज तब खतरनाक नहीं बनता जब वह लिया जाता है, बल्कि तब बनता है जब वह चुपचाप जीवन पर हावी होने लगता है.

आप सिर्फ Minimum Due ही चुका रहे हैं

अगर आप हर महीने क्रेडिट कार्ड या लोन का सिर्फ Minimum Amount Due भर रहे हैं, तो यह कर्ज के जाल का पहला और सबसे आम संकेत है. Minimum भुगतान करने से भले ही आप डिफॉल्टर न दिखें, लेकिन असल में आपकी मूल रकम (Principal) लगभग जस-की-तस रहती है और ब्याज लगातार बढ़ता जाता है. उदाहरण के लिए, ₹1 लाख के क्रेडिट कार्ड बिल पर सिर्फ minimum भरते रहने से आपको सालों तक भुगतान करना पड़ सकता है, और कुल ब्याज खर्च की गई रकम से भी ज्यादा हो सकता है.

क्या करें?

  • Minimum से थोड़ा ज्यादा भुगतान करने की आदत डालें
  • Extra ₹2,000–₹3,000 भी लंबे समय में ब्याज को काफी कम कर सकता है

पुराने कर्ज चुकाने के लिए नया लोन लेना

जब पैसे की तंगी होती है, तो लोग अक्सर एक कर्ज़ चुकाने के लिए दूसरा कर्ज ले लेते हैं. जैसे क्रेडिट कार्ड चुकाने के लिए पर्सनल लोन, मेडिकल खर्च के लिए कैश एडवांस या EMI भरने के लिए नया कार्ड. यहीं से असली Debt Trap शुरू होता है. कर्ज कम होने की बजाय परत दर परत बढ़ता चला जाता है, और आप सिर्फ भुगतान चक्र में फंस जाते हैं.

क्या करें?

  • नया लोन लेने से पहले रुकें और स्थिति का आकलन करें
  • किसी क्रेडिट काउंसलर या फाइनेंशियल एक्सपर्ट से बात करें
  • Structured repayment plan अपनाएं

EMI भरने के बाद भी Principal कम नहीं होता

अगर आप हर महीने EMI तो भर रहे हैं, लेकिन लोन का असल बकाया मुश्किल से घट रहा है, तो यह साफ़ संकेत है कि आप कर्ज में फंस चुके हैं. ऐसा आमतौर पर तब होता है जब ब्याज दर बहुत ज्यादा हो, EMI की अवधि बहुत लंबी हो, या आप सिर्फ minimum payment कर रहे हों. इस स्थिति में आप हर महीने सिर्फ स्थिति बनाए रखने के लिए पैसा देते हैं, कर्ज से बाहर निकलने के लिए नहीं.

क्या करें?

  • सबसे पहले High-interest loans (क्रेडिट कार्ड, पर्सनल लोन) चुकाएं
  • Snowball या Avalanche method अपनाएं

आपकी कमाई का बड़ा हिस्सा EMI में चला जाता है

एक संतुलित बजट में EMI, जरूरी खर्च और बचत, तीनों के लिए जगह होनी चाहिए.लेकिन अगर सैलरी आते ही उसका बड़ा हिस्सा EMI में चला जाता है, तो आप Planning Mode में नहीं, बल्कि Survival Mode में हैं. उदाहरण के तौर पर, ₹75,000 कमाने वाला व्यक्ति अगर ₹25,000–₹30,000 सिर्फ EMI में दे रहा है और फिर भी क्रेडिट कार्ड बकाया है, तो यह खतरे का संकेत है. आमतौर पर विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि कुल EMI आपकी आय का 30–35% से ज्यादा नहीं होनी चाहिए.

क्या करें?

  • सभी कर्ज की एक पूरी लिस्ट बनाएं
  • Consolidation या Restructuring पर सलाह लें
  • अनावश्यक खर्च तुरंत कम करें

सालों की नौकरी के बाद भी Zero Savings

यह सबसे खतरनाक संकेत है. अगर आप कई सालों से काम कर रहे हैं, लेकिन आपके पास न कोई Emergency Fund है, न हर महीने बचत, और अचानक खर्च आते ही लोन लेना पड़ता है, तो आपकी फाइनेंशियल ग्रोथ रुक चुकी है. बचत न होने का मतलब है कि हर मेडिकल इमरजेंसी, हर गाड़ी की मरम्मत और हर नौकरी का रिस्क, नया कर्ज बन जाता है.

क्या करें?

  • सबसे पहले ₹5,000–₹10,000 से छोटा Emergency Fund बनाना शुरू करें
  • SIP और निवेश बाद में, पहले वित्तीय सुरक्षा जरूरी है

Debt Trap में फंसना गैर-जिम्मेदार की निशानी नहीं है.आज के समय में क्रेडिट आसानी से मिलता है, खर्च अचानक आते हैं और EMI शुरुआत में आसान लगती है जब तक वो भारी न पड़ जाए. अच्छी बात यह है कि सही समय पर संकेत पहचान कर, थोड़ी योजना और अनुशासन से इस जाल से बाहर निकला जा सकता है.

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Abhishek Pandey
Abhishek Pandey
अभिषेक पाण्डेय ने दादा माखनलाल के बगिया माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल से अपनी पढ़ाई पूरी की है. वर्तमान में वे ‘प्रभात खबर’ में बिजनेस कंटेंट राइटर के रूप में कार्यरत हैं. अभिषेक इंडस्ट्री न्यूज के साथ-साथ पर्सनल फाइनेंस, सक्सेस स्टोरी, MSME, एग्रीकल्चर और सरकारी योजनाओं पर नियमित रूप से लिखते हैं. डिजिटल मीडिया इंडस्ट्री में वे पिछले दो वर्षों से सक्रिय हैं. मूल रूप से छपरा के रहने वाले अभिषेक की स्कूली और उच्च शिक्षा छपरा में हुई है. लेखन के अलावा उन्हें कुकिंग, संगीत, साहित्य, फिल्में देखना और घूमना बेहद पसंद है.

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