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शासन-प्रशासन के नाक के नीचे जर्जर व कंडम हालत वाले सरकारी दफ्तरों, आवासीय कॉलोनियों, सरकारी स्कूल रोज है जान का खतरा, लेकिन.....

यहां जान सस्ती है, क्योंकि भवन सरकारी है…

शासन-प्रशासन की नाक के नीचे जर्जर व कंडम भवन में चल रहे सरकारी दफ्तर

कई आवासीय कॉलोनियों के कंडम घोषित क्वार्टरों में रह रहे लोग

एमजीएम अस्पताल में गत दिनों हुए हादसों से सबक लेने की जरूरत

इंट्रो ::::::

झारखंड के संवेदनशील शासन-प्रशासन की नाक के नीचे जमशेदपुर-आदित्यपुर के जर्जर व कंडम हालत वाले सरकारी दफ्तरों, स्कूलों व आवासीय कॉलोनियों में कभी भी अप्रिय घटना घट सकती है. जान-माल का नुकसान हो सकता है. इन जर्जर बिल्डिंग की छत, दीवार, पिलर के प्लास्टर कई जगहों से टूटकर नीचे गिर गये हैं. इस कारण कभी भी अनहोनी से इनकार नहीं किया जा सकता है. वर्तमान में सरकारी कार्यालय, स्कूलों व कॉलोनियों में रहने वाले लोगों का वैकल्पिक इंतजाम नहीं होने के कारण स्थिति चिंताजनक बनी हुई हैं. इधर, वक्त रहते जर्जर बिल्डिंग को तोड़कर तुरंत नयी बिल्डिंग बनाना चुनौती है. लेकिन, एमजीएम अस्पताल में गत दिनों हुए हादसों से सबक लेते हुए शासन-प्रशासन को वैकल्पिक इंतजाम करके जान-माल की रक्षा को अपनी प्राथमिकता में जरूर शामिल करना चाहिए.

लाइफ@जमशेदपुर

की रिपोर्ट.

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क्या कहते हैं अधिकारी

सरकारी कार्यालय, स्वास्थ्य केंद्र, स्कूल व कॉलोनियों के लिए संबंधित अधिकारी के आवेदन मिलने पर जांचोपरांत उसे कंडम घोषित किया जाता है. इस प्रक्रिया के तहत करीब दो दर्जन कार्यालय, स्कूल व अन्य भवन को कंडम घोषित किया जा चुका है. संबंधित विभाग को कंडम बिल्डिंग को तोड़ने के खर्च का प्राक्कलन भेजा गया है. फंड मिलने पर कंडम बिल्डिंग को तोड़ने की कार्रवाई की जायेगी.

-लालजीत राम, कार्यपालक अभियंता, भवन निर्माण विभाग, पूर्वी सिंहभूम

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जिला सहकारिता समेत पांच कार्यालयों की बिल्डिंग 10 वर्ष पहले कंडम घोषित (फोटो बीके गोस्वामी की)

साकची पुराना कोर्ट स्थित एक बिल्डिंग को 10 वर्ष पूर्व ही कंडम घोषित किया जा चुका है. बावजूद इनमें अभी पांच कार्यालय संचालित हैं. इनमें जिला सहकारिता कार्यालय, जिला सहकारिता पदाधिकारी का कक्ष, जिला अंकेक्षण का कार्यालय, सोशल ऑडिट कर रही टीम का कार्यालय, जिला सांख्यिकी पदाधिकारी का कक्ष व जिला सांख्यिकी कार्यालय, ग्रामीण विकास विभाग विशेष प्रमंडल के कार्यपालक अभियंता का कक्ष व कार्यालय शामिल हैं. इस बिल्डिंग में कभी भी छत, पिलर, दीवार या छत का प्लास्टर टूटकर गिरने से अप्रिय घटना घट सकती है. जर्जता इतनी है कि पिलर का प्लास्टर गिरने के बाद अंदर का समूचा छड़ आदि स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है. इसी तरह वर्तमान में उक्त बिल्डिंग के पांचों कार्यालयों में दर्जनों बार छत का प्लास्टर टूटकर नीचे गिरने की घटना घट चुकी है. चूंकि, इन पांचों विभागों के कार्यालय में पदाधिकारी, कर्मचारियों के अलावा प्रतिदिन आम लोगों पहुंचते हैं, इस कारण यहां हमेशा अप्रिय घटना घटने की आशंका बनी हुई है.

क्या कहते हैं अधिकारी

कार्यालय का बिल्डिंग कंडम घोषित किया जा चुका है. वस्तु स्थिति की लिखित सूचना डीसी, डीडीसी को दिया हूं. कार्यालय में मेरे अलावा 56 स्टॉफ कार्यरत हैं. इस कारण जान-माल की रक्षा के लिए वैकल्पिक दूसरा स्थान कार्यालय के लिए ढूंढ़ रहा हूं.

-हमिरा सोरेन, कार्यपालक अभियंता ग्रामीण विकास जमशेदपुर विशेष प्रमंडल, पूर्वी सिंहभूम

कंडम कार्यालय के बारे में डेढ़ साल पूर्व ही डीसी व विभाग को लिखित सूचना दी जा चुकी है. अप्रिय घटना की आशंका बनी रहती है. काफी डरकर कार्यालय में मेरे अलावा कर्मचारी काम कर रहे हैं. कई बार बिल्डिंग की छत का प्लास्टर टूटकर नीचे गिरा है. इसका फोटो भी वरीय पदाधिकारी को भेजी हूं.

-आशा टोप्पो, जिला सहकारिता पदाधिकारी, पूर्वी सिंहभूम

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जिला उपभोक्ता निवारण आयोग कार्यालय, न्यायाधीश का कक्ष 12 वर्ष पूर्व से ही जर्जर(फोटो बीके गोस्वामी की)

जिले में उपभोक्ता के विवादों को निपटारा के लिए पूर्वी सिंहभूम जिला उपभोक्ता निवारण आयोग कार्यालय, उपभोक्ता फोरम कोर्ट, उपभोक्ता फोरम के न्यायाधीश व सदस्यों का कक्ष 12 वर्ष पूर्व से ही जर्जर हालत में है. यह बिल्डिंग कभी भी टूटकर गिर सकती है. इससे जान-माल का नुकसान भी हो सकता है. हर साल बारिश के दिनों में कार्यालय व कोर्ट के दस्तावेज पानी के कारण खराब हो जा रहे हैं. इसकी पूर्व में कई बार कार्यालय की मरम्मत या नया निर्माण के लिए पत्राचार किया गया है. लेकिन, सरकारी प्रक्रिया व अन्य लापरवाही के कारण इस ओर किसी ने ध्यान देना उचित नहीं समझा है. जबकि, कार्यालय में प्रतिदिन न्यायाधीश, कर्मचारी, उपभोक्ता फोरम के सदस्य व बतौर उपभोक्ता आम लोग आते हैं. इस कारण उनकी सुरक्षा खतरे में हैं.

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राशनिंग कार्यालय समेत पांच कार्यालयों के मुख्य द्वार की छत जर्जर (फोटो बीके गोस्वामी की)

साकची पुराना कोर्ट स्थित राशनिंग कार्यालय कार्यालय समेत पांच विभिन्न कार्यालय एक ही बिल्डिंग में संचालित हैं. उक्त बिल्डिंग के मुख्य द्वार की छत वर्षों से जर्जर हालत में है. इतना ही नहीं, आये दिन छत का प्लास्टर गिर रहा है. चूंकि, पांच विभिन्न कार्यालयों में आम लोगों का लगातार आना-जाना लगा रहता है. ऐसे में जर्जर बिल्डिंग के मुख्य द्वार के परस कभी भी अप्रिय घटना की आशंका बनी हुई है. इस बिल्डिंग में टाटा लीज कार्यालय, जिला खेल कार्यालय, राष्ट्रीय बचत कार्यालय, जिला आपूर्ति पदाधिकारी का कक्ष, जिला आपूर्ति पदाधिकारी का कार्यालय, विशिष्ट अनुभाजन पदाधिकारी का कक्ष व कार्यालय संचालित हैं. वर्तमान में खेल व अन्य विभागों के कार्यालयों की दो बार मरम्मत भी हुई है, लेकिन बिल्डिंग के मुख्य द्वार की मरम्मत अब तक नहीं की गयी है. इसी तरह कदमा स्थित राज्य खाद्य निगम, साकची, बर्मामाइंस, करनडीह समेत जिले में दो दर्जन राज्य खाद्य निगम के गोदाम जर्जर हालत में हैं.

क्या कहते हैं अधिकारी

कार्यालय बिल्डिंग की कई बार मरम्मत करायी गयी है. मुख्य द्वार की छत जर्जर हालत में है. उसे जल्द दुरुस्त करवाया जायेगा. जिले में जर्जर हालत वाले राज्य खाद्य निगम के दो दर्जन गोदाम की मरम्मत के लिए सरकार से 4.90 करोड़ रुपये का फंड मिला है, इसे जल्द दुरुस्त करवाया जायेगा.

-सलमान जफर खिजरी, जिला आपूर्ति पदाधिकारी, पूर्वी सिंहभूम

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सुवर्णरेखा बहुद्देश्यीय कॉलोनी के क्वार्टर व बिल्डिंग जर्जर (फोटो ऋषि तिवारी की)

मानगो डिमना-पारडीह के बीच एनएच 33 में डिमना सुवर्णरेखा बहुद्देश्यीय परियोजना की आवासीय कॉलोनी व सुवर्णरेखा बहुद्देश्यीय परियोजना के लघु वितरण संख्या 2,3 व 5 का कार्यालय भवन जर्जर हालत में है. इसमें अधिकारी ही नहीं, बल्कि कर्मचारी भी डरे सहमे ड्यूटी करने को मजबूर हैं. हालांकि, विभागीय कॉलोनी के कई कंडम क्वार्टर खाली हैं, लेकिन अभी भी वहां 12 परिवार जर्जर बिल्डिंग में रह रहे हैं. इसमें कभी भी अप्रिय घटना घटने की आशंका है.

क्या कहते हैं अधिकारी

सुवर्णरेखा बहुद्देश्यीय परियोजना की आवासीय कॉलोनी में क्वार्टर व कार्यालय जर्जर हालत में हैं. इसका जल्द इंतजाम किया जायेगा. डिमना रोड स्थित जमशेदपुर प्रमंडल का कार्यालय को नयी बिल्डिंग में शिफ्ट किया गया है, लेकिन गांगूडीह कार्यालय पुरानी जगह में चल रहा है. डिमना स्थित आवासीय कॉलोनी में जल्द नये सिरे से सर्वे कराकर नियमानुसार उचित कदम जल्द उठाया जायेगा.

-आरएन प्रसाद, मुख्य अभियंता सुवर्णरेखा बहुद्देश्यीय परियोजना, चांडिल कॉम्प्लेक्स

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साकची पिऊन कॉलोनी: 15 साल पहले ही कंडम घोषित, बावजूद रह रहे हैं लोग (फोटो ऋषि तिवारी की)

साकची जेल चौक के समीप स्थिति पिऊन कॉलोनी को 15 साल पहले ही कंडम घोषित किया जा चुका है. इतना ही नहीं, सरकारी क्वार्टर के अगल-बगल में अतिक्रमण कर कई घरों में लोग रह रहे हैं. तीन बार पूर्व में कॉलोनी के सभी क्वार्टर को खाली करने के लिए भवन निर्माण विभाग ने नोटिस कर तोड़ने के लिए कार्रवाई भी शुरू की थी, लेकिन तकनीकी कारणों से अतिक्रमण टूटना टल गया है. वहीं, जर्जर क्वार्टरों व अतिक्रमित घरों में सैकड़ों लोग अपनी जान जोखिम में डालकर किसी तरह रह हैं. इस कॉलोनी में बिजली, पानी, सड़क आदि मौलिक सुविधा है. कई क्वार्टर में सरकारी कर्मी, सेवानिवृत्त सरकारी कर्मी, सेवानिवृत्त ड्राइवर आदि के परिवार भी रह रहे हैं.

क्या कहते हैं अधिकारी

साकची पिऊन कॉलोनी को काफी पहले कंडम घोषित किया जा चुका है. सरकार से वहां कंडम क्वार्टर तोड़कर नया क्वार्टर बनाने के लिए अनुमति भी मिली हुई है, लेकिन अतिक्रमण नहीं हटाने पर नया क्वार्टर बनाने वाला प्रोजेक्ट अटका हुआ है. कंडम क्वार्टर में लोग अपनी जान जोखिम में डालकर रह रहे हैं, जो काफी खतरनाक है.

-लालजीत राम, कार्यपालक अभियंता, भवन निर्माण विभाग, पूर्वी सिंहभूम

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टिस्को फ्रेंड्स को-ऑपरेटिव सोसाइटी का कार्यालय भवन 15 साल से जर्जर

(फोटो ऋषि तिवारी की)

बिष्टुपुर डायगनल रोड स्थित टिस्को फ्रेंड्स को-ऑपरेटिव सोसाइटी का कार्यालय भवन 15 साल से जर्जर हालत में है. चूंकि, सोसाइटी में सोसाइटी के ऑफिस बेयरर के अलावा कंपनी के कर्मचारी जो सोसाइटी के सदस्य हैं, उनका कार्यालय में आना-जाना लगातार रहता है. इस बिल्डिंग के एक हिस्से को बनाने के लिए पूर्व में तोड़ा गया था, लेकिन तकनीकी कारणों से वर्षों से तोड़ी गयी बिल्डिंग को बनाया नहीं है, वहीं बचे हुए हिस्से में बिल्डिंग जर्जर हालत में होने कारण कभी भी अप्रिय घटना घट सकती है और जान-माल का नुकसान हो सकता है.

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पीएचइडी कार्यालय आदित्यपुर की बिल्डिंग की छत, छज्जा जर्जर (फोटो 4 पीएचइडी 1)

आदित्यपुर थाना के समीप पीएचइडी कार्यालय आदित्यपुर की बिल्डिंग की छत, छज्जा जर्जर हालत में है. कार्यालय में प्रतिदिन अधिकारी, कर्मचारी के अलावा आम लोगों का आना-जाना लगा रहता है. इस कारण यहां कभी भी अप्रिय घटना घट सकती है.

आदित्यपुर एस टाइप की कंडम बिल्डिंग खाली तो है, पर बगलवाले भयभीत

आदित्यपुर एस टाइप स्थित ब्लॉक नंबर वन स्थित तीन मंजिला कंडम बिल्डिंग (पूर्व में इएसआइसी डिस्पेंसरी) वर्तमान में खाली तो है, लेकिन ठीक बगलवाले बिल्डिंग ब्लॉक नंबर दो, मॉल मालिक व फर्नीचर दुकानदार वाले भयभीत हैं. चूंकि, बगल की बिल्डिंग में आबादी रहती है, दुकान व मॉल में हर दिन आम लोगों आते-जाते हैं. इस कारण ब्लॉक वन की कंडम बिल्डिंग गिरने से कभी भी अप्रिय घटना घट सकती है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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