जमशेदपुर. झारखंड तीरंदाजी एसोसिएशन के सीनियर उपाध्यक्ष एल मूर्ति (78 वर्ष) का शनिवार देर रात निधन हो गया. वह अपने पीछे पत्नी व पुत्र को छोड़कर गये हैं. एल मूर्ति का अंतिम संस्कार सोमवार को सुवर्ण रेखा बर्निंग घाट पर किया जायेगा. उनकी अंतिम यात्रा उनके निवास स्थान काशीडीह से निकलेगी. एल मूर्ति के निधन पर झारखंड आर्चरी एसोसिएशन के अध्यक्ष अर्जुन मुंडा, सचिव पूर्णिमा महतो, अंतरराष्ट्रीय कोच हरेंद्र सिंह, बीएस राव, राजेंद्र गुइया, डी मन्ना, अंतरराष्ट्रीय हैंडबॉल कोच हसन इमाम मलिक सहित खेल जगत के दिग्गज हस्तियों ने गहरा शोक व्यक्त किया है. उल्लेखनीय है कि एल मूर्ति शनिवार को जेआरडी टाटा स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में चल रही 16वीं स्टेट आर्चरी चैंपियनशिप में जज की भूमिका निभाकर घर गये थे. बर्मामाइंस में स्थापित की थी पहली क्लबझारखंड (अविभाजीत बिहार) में तीरंदाजी की शुरुआत करने का श्रेय एल मूर्ति को जाता है. जिन्होंने डीके सरकार व अरुण घोष के साथ मिलकर झारखंड (अविभाजीत बिहार) में पहली बार तीरंदाजी खेल का परिचय कराया था. धीरे-धीरे यह खेल पूरे झारखंड (अविभाजीत बिहार) में छा गया. झारखंड की पूर्णिमा महतो, दीपिका कुमारी, जयंत तालुकदार व संजीव सिंह जैसे धुरंधर तीरंदाज व कोच पैदा हुआ. काशीडीह के रहने वाले एल मूर्ति ने यह खेल 1979 में कोलकाता में देखा था इसके बाद उन्होंने तीनों दोस्तों के साथ मिलकर यह खेल की शुरुआत की. इसके अलावा एल मूर्ति 1980 से 1994 तक लगातार विभिन्न आर्चरी चैंपियनशिप में भाग भी लिया. रिकर्व वर्ग में आर्चरी करने वाले एल मूर्ति 1988 ओलिंपिक के लिए भारतीय कैंप में भी थे. एल मूर्ति ने ही अपने दोस्तों के साथ मिलकर बर्मामाइंस क्लब की शुरुआत की थी. वहीं, पहले तीरंदाजी के किसी इवेंट में बंगाल के ऑफिसिल्यस की सेवा ली जाती थी. 1994 में मूर्ति ने आर्चरी छोड़ने के बाद अंपायरिंग के ओर रूख किया. वह झारखंड सबसे क्वालिफाइड टेक्निकल ऑफिसिल्यस में शामिल थे. आरडी टाटा व वर्कर्स कॉलेज के पूर्व छात्र एल मूर्ति कॉमनवेल्थ गेम्स, सैफ के गेम्स के अलावा कई राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में टेक्निकल ऑफिसियल्स की भूमिका निभा चुके थे. एल मूर्ति झारखंड आर्चरी एसोसिएशन के वर्किंग सेक्रेटरी भी रहे.
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