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खरसावां में अभिजीत स्टील बंद

जमशेदपुर: खरसावां में स्थापित अभिजीत ग्रुप की तीन इकाइयां अभिजीत स्टील, अभिजीत इंफ्रास्ट्रर और कॉरपोरेट इस्पात एक साथ बंद कर दी गयी हैं. जुलाई माह से ही कंपनी में काम बंद करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गयी थी. खरसावां में झारखंड का अब तक का सबसे बड़ा निवेश कर स्थापित की गयी कंपनी बंद […]

जमशेदपुर: खरसावां में स्थापित अभिजीत ग्रुप की तीन इकाइयां अभिजीत स्टील, अभिजीत इंफ्रास्ट्रर और कॉरपोरेट इस्पात एक साथ बंद कर दी गयी हैं. जुलाई माह से ही कंपनी में काम बंद करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गयी थी.

खरसावां में झारखंड का अब तक का सबसे बड़ा निवेश कर स्थापित की गयी कंपनी बंद हो गयी. यहां ट्रायल रन के तौर पर कंपनी ने करीब 3000 टन स्टील का प्रोडक्शन किया था, लेकिन कंपनी को प्रोडक्शन कॉस्ट काफी महंगा पड़ने लगा, जिसके बाद इसे बंद करने काफैसला लेना पड़ा. यहां कंपनी का प्लांट और इंफ्रास्ट्रर तैयार करने में लगभग 1500 करोड़ रुपये का निवेश हो चुका है. इस निवेश के लिए छह बैंकों ने फंडिंग की है. ये पैसे अब डूब चुके हैं. कंपनी में कार्यरत करीब 500 कर्मचारी बेरोजगार हो चुके हैं. इसी ग्रुप ने चंदवा में भी प्लांट लगाया है. सूचना है कि वहां भी उत्पादन लगभग ठप हो गया है.

होना था और निवेश
अभिजीत ग्रुप ने यहां और ज्यादा निवेश करने की योजना बनायी थी. कंपनी बंद हो जाने से अब तक का निवेश तो डूब ही गया है, आगे जो निवेश होना था वह भी अब नहीं होगा. सरकार की उदासीनता के कारण एक बड़ी कंपनी बंद हो गयी और एक बड़ा अवसर राज्य के हाथ से निकल गया.

इन बैंकों का लगा है पैसा
आंध्रा बैंक, बैंक ऑफ महाराष्ट्र, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स, यूको बैंक, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया.

क्यों बंद हुई कंपनी
अभिजीत ग्रुप ने जो स्टील प्रोडक्शन किया, उसकी लागत काफी ज्यादा हो गयी, यह महंगा स्टील उत्पादन वाली कंपनी बन गयी.

इसकी मूल वजह कोल लिंकेज नहीं मिलना रहा. साथ ही सरकार ने जो वादे किये थे वे भी पूरे नहीं किये गये. टैक्स में वह छूट तक नहीं मिली, जो दूसरे राज्यों में मिल रही है. 14 फीसदी वैट रहने से कंपनी का बोझ काफी बढ़ गया.

माल ढुलाई में भी खर्च अधिक होने लगा, जिस कारण ओवरऑल स्टील प्रोडक्शन की लागत काफी अधिक हो गयी.

कंपनी बंद होने से इलाके के 400 रैयत बुरे फंसे
कंपनी को स्थापित करने के लिए 400 रैयतदारों ने अपनी जमीन दी थी. जमीन की कीमत देने के साथ-साथ उन्हें कंपनी में नौकरी भी दी गयी थी. कंपनी बंद हो जाने से 400 रैयतदारों की जमीन भी चली गयी और नौकरी से भी सबको हाथ धोना पड़ा है.

खरसावां में अभिजीत ग्रुप की ये इकाइयां बंद
कॉरपोरेट इस्पात : कॉरपोरेट इस्पात में फेज एक व दो में 0.4 डायरेक्ट रिडय़ूश आयरन (डीआरआइ) का प्रोडक्शन हो रहा था.

अभिजीत स्टील : अभिजीत स्टील के अंतर्गत 2.4 मिलियन टन का पिलेट प्लांट, स्टील मेल्टिंग शॉप, जिसमें 250 करोड़ रुपये का निवेश हुआ है.

अभिजीत इंफ्रास्ट्रर : अभिजीत इंफ्रास्ट्रर के फेज एक में 5.4 मिलियन टन डीआरआइ प्रोडक्शन के साथ ही 60 मेगावाट बिजली का प्रोडक्शन हो रहा था.

कर्मचारियों की कॉलोनियां हुईं उजाड़
कर्मचारियों के लिए यहां एक बड़ी और रिहायशी कॉलोनी बनायी गयी है. यह कॉलोनी अब वीरान हो गयी है. इसका काम अधूरा ही छोड़ दिया गया है.

कोल लिंकेज नहीं मिलना बड़ी वजह
कोयला घोटाले का मामला सामने आने के बाद अभिजीत स्टील समेत कई कंपनियों के कोल लिंकेज रद्द कर दिये गये. इसके बाद कंपनी को कोयला मिलना बंद हो गया, जिससे कंपनी को घाटा होने लगा और बैंकों ने भी निवेश के लिए पर्याप्त राशि देनी बंद कर दी.

कंपनी को चितरपुर में मिले कोल ब्लॉक को रद्द कर दिया गया. कोई कोल लिंकेज भी नहीं दिया. इस वजह से कंपनी में प्रोडक्शन कॉस्ट बढ़ गया और यह वायेबल नहीं रहा. विवश होकर कंपनी में उत्पादन बंद करना पड़ा. हमने सरकार को आवेदन दिया है, यदि हमें कोल लिंकेज मिल जाता है, तो फिर कंपनी शुरू हो सकती है.

लक्ष्मी नारायण पेरनी
वाइस प्रेसिडेंट झारखंड, अभिजीत ग्रुप

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