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अंतिम 12 घंटे में वद्यिुत महतो ने पलटी बाजी

अंतिम 12 घंटे में विद्युत महतो ने पलटी बाजी – झामुमो नेताओं की हर गतिविधि पर नजर रख रहे थे सांसद- सोमवार रात झामुमो में कलह की जानकारी मिलते ही उन्होंने बिछायी बिसात- सांसद ने अपनी कोर कमेटी के खास लोगों को किया था तैनात – झामुमो के हर चाल को समझने वाले सांसद ने […]

अंतिम 12 घंटे में विद्युत महतो ने पलटी बाजी – झामुमो नेताओं की हर गतिविधि पर नजर रख रहे थे सांसद- सोमवार रात झामुमो में कलह की जानकारी मिलते ही उन्होंने बिछायी बिसात- सांसद ने अपनी कोर कमेटी के खास लोगों को किया था तैनात – झामुमो के हर चाल को समझने वाले सांसद ने अंत समय में पासा पलटा उपमुख्य संवाददाता, जमशेदपुरजिप अध्यक्ष व उपाध्यक्ष चुनाव को लेकर झामुमाे के दिग्गज नेताआें की सक्रियता व एक-एक पल पर सांसद विद्युत वरण महताे बारीकी से नजर रख रहे थे. जिप चुनाव में भाजपा से जुड़े मात्र तीन प्रत्याशी विजयी हुए थे. ऐसे में सांसद चाह कर भी दावा नहीं कर पा रहे थे कि उनके दल का उम्मीदवार जिप चेयरमैन व उपाध्यक्ष हाेगा. इस कारण सांसद झामुमाे में ताेड़ डालने अाैर भाजपा समर्थित लाेगाें की तलाश में लगे थे. इसके लिए उन्हाेंने अपनी काेर कमेटी के कुछ खास लाेगाें काे लगा रखा था. सांसद ने अपने लाेगाें काे साफ निर्देश दिया था कि सिर्फ इस पर नजर रखी जाये कि काैन-क्या कर रहा है. वहीं किसके संपर्क में आगे बढ़ रहा है. झामुमाे नेता इस बात से पूरी तरह अनभिज्ञ थे कि विद्युत वरण महताे इस चुनावी प्रक्रिया में शामिल हाे चुके हैं. झामुमाे की हर चाल काे अच्छी तरह समझनेवाले विद्युत वरण महताे ने अपना आखिरी दांव साेमवार रात उस वक्त खेला, जब उन्हें पता चला कि झामुमाे समर्थित जिप सदस्याें में कलह हाे चुकी है. माैका पर चाैका मारते हुए खुद परदे के पीछे रह कर अपनी काेर कमेटी काे फ्रंट में खड़ा कर दिया. इसका परिणाम निकला कि जिप अध्यक्ष आैर उपाध्यक्ष दाेनाें पदाें पर अपनाें काे विजयी बनाने में कामयाब हाे गये. सांसद ने साेमवार की शाम चार बजे से भाेर चार बजे तक जिप चैयरमैन काे लेकर जाे फिल्डिंग सजायी, उसका सुखद परिणाम देखने का माैका मंगलवार काे भाजपा काे देखने काे मिला. ग्रामीण राजनीति में अच्छी पकड़ का लाभ मिला सांसद कोसांसद विद्युत वरण महतो की पकड़ ग्रामीण राजनीति में काफी अच्छी है. वे गांव की राजनीति की नब्ज भलिभांति पहचानते हैं. जिप चुनाव में भाजपा की टॉप लीडरशिप ने सक्रियता नहीं दिखायी, जबकि सांसद का सभी से संपर्क, संबंध आैर राजनीति अनुभव काम आया. सांसद अपने करीबी लाेगाें से पंचायत चुनाव के वक्त कहते थे कि भाजपा का संगठन शहर में मजबूत है, लेकिन गांव में पकड़ बनानी है, ताे छाेटी सरकार (पंचायत राज) पर पकड़ मजबूत करनी हाेगी. उनका मानना था कि पंचायत चुनाव के परिणाम का आनेवाले समय की राजनीति आैर जिला का विकास पर असर पड़ेगा. अगर वे इस पर नियंत्रण रख पाते हैं, ताे विकास की बेहतर भूमिका लिख पायेंगे.

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