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टॉपर टॉक : सुष्मिता कुमारी वश्विकर्मा

टॉपर टॉक : सुष्मिता कुमारी विश्वकर्माहेडिंग::: बोर्ड की तय किताबें भी दिला सकती हैं सफलता सुष्मिता कुमारी विश्वकर्मा मार्क्स : 83.2 प्रतिशत रैंक : स्कूल सेकेंड टॉपर संकाय : बायोलॉजी स्कूल : काशीडीह हाइस्कूल बोर्ड : सीबीएसइ (12वीं)माता : कौशल्या माया पिता : बीर बिक्रम लाइफ रिपोर्टर @ जमशेदपुर मैं बारहवीं की शुरुआत से ही […]

टॉपर टॉक : सुष्मिता कुमारी विश्वकर्माहेडिंग::: बोर्ड की तय किताबें भी दिला सकती हैं सफलता सुष्मिता कुमारी विश्वकर्मा मार्क्स : 83.2 प्रतिशत रैंक : स्कूल सेकेंड टॉपर संकाय : बायोलॉजी स्कूल : काशीडीह हाइस्कूल बोर्ड : सीबीएसइ (12वीं)माता : कौशल्या माया पिता : बीर बिक्रम लाइफ रिपोर्टर @ जमशेदपुर मैं बारहवीं की शुरुआत से ही बोर्ड परीक्षा को लेकर गंभीर हो गयी थी. क्लास बंक नहीं करती थी. मैंने ठान लिया था कि मुझे टॉप करना है. इसके लिए टीचर की मदद से प्लानिंग की. रूटीन बनाकर तैयारी की. प्रिस्क्राइब्ड किताब पर दिया ध्यान मैंने तैयारी के दौरान केवल बोर्ड की तरफ से प्रिस्क्राइब्ड (तय) किताबों पर ही ध्यान दिया था. अन्य किताब या हेल्पिंग बुक से मदद नहीं ली. मैं अनुभव के आधार पर कहना चाहती हूं कि आप बायोलॉजी और केमिस्ट्री में सिर्फ प्रिस्क्राइब्ड किताब को समझ कर पढ़ लें, तो अन्य किताब पढ़ने की जरूरत नहीं पड़ेगी. फीजिक्स में केवल कॉन्सेप्ट क्लियर होना चाहिए और न्यूमेरिकल का अभ्यास होना चाहिए. रूटीन में किया बदलाव प्री बोर्ड से पहले जब क्लास चल रही थी, उस समय मेरा रूटीन अलग था. इस दौरान मैं गंभीरतापूर्वक होम वर्क पूरा करती थी. हर तरह के डाउट्स को क्लियर करने की कोशिश करती थी. प्री बोर्ड के बाद मैंने रूटीन बदल लिया था. दिसंबर तक मेरा सिलेबस पूरा हो गया था. इसके बाद मैं रीविजन करती थी. तैयारी के दौरान किसी तरह की दिक्कत होने पर मैं टीचर से फोन पर पूछ लेती थी. किताब के प्रश्नों पर दी ध्यान जब टॉपिक पूरा हो जाता था, तो मैं टॉपिक के अंत में दिये प्रश्नों को हल करती थी. टीचर इन प्रश्नों को हल करने के लिए कहती थीं. टीचर बोलती थीं- अगर उत्तर नहीं हो रहा तो टॉपिक को समझने की कोशिश करो. ऐसा करने से हर टॉपिक क्लियर हो जाता था. क्वेश्चन बैंक से मिली मदद मैंने पिछले साल के क्वेश्चन बैंक और सैंपल पेपर भी बनाये थे. स्कूल में ऐसे क्वेश्चन दिखाये जाते थे और जहां दिक्कत होती थी, उसे विस्तार से बताया जाता था. मेरे विचार से स्कूल में होने वाली टेस्ट काफी जरूरी होती हैं. यह आप कितने पानी में हैं, बताती है. इस तरह जहां कमजोरी दिख रही है, उसकी तैयारी करने का मौका मिलता है. धीरे-धीरे अापकी तैयारी होती जाती है. नोट्स भी होते हैं महत्वपूर्ण मैंने हर विषय के नोट्स भी बनाये थे. आप सालभर किताब को थॉरोली पढ़ लेते हैं, तो कॉन्सेप्ट क्लियर हो जाता है. लेकिन, परीक्षा नजदीक आने पर आप किताब से पढ़ायी नहीं कर सकते. क्याेंकि काफी लंबा टॉपिक होता है. ऐसे समय में नोट्स काम आते हैं. इससे काम समय में रीविजन हो जाता है. फीजिक्स में हुई थोड़ी दिक्कत मुझे फीजिक्स में थोड़ी दिक्कत हुई थी. खासकर अंतिम चैप्टर एसी करेंट को मैं ठीक से नहीं समझ पाती थी. इसलिए इस अध्याय में मैंने सिर्फ महत्वपूर्ण डेरीवेशन पर ही ध्यान दिया. मैं स्टूडेंट्स कहना चाहती हूं कि अंतिम समय में आप स्मार्ट वर्क करें. मेडिकल की चल रही है तैयारी वर्तमान में मैं कोटा में मेडिकल की तैयारी कर रही हूं. लगातार पढ़ने और समझ में नहीं आने पर स्टूडेंट्स स्ट्रेस में आ जाते हैं. ऐसे समय में आपसे अगर कोई सम नहीं हो रहा है, टॉपिक समझ में नहीं आ रही है तो उसे थोड़ी देर छोड़ देनी चाहिए. बाद में शांत होने पर टॉपिक को समझने की कोशिश करनी चाहिए. बात पते की – परीक्षा नजदीक आने पर स्मार्ट वर्क करें- कमजोर विषय के लिए अलग से समय निकालें- तनाव से दूर रहने की कोशिश करें

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