जमशेदपुर: पेयजल एवं स्वच्छता विभाग जमशेदपुर प्रमंडल में करोड़ों रुपये के चापाकल घोटाला के आरोपियों पर विभाग की ओर से अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है. सभी आरोपी पदाधिकारी महत्वपूर्ण पदों पर पदस्थापित हैं. निगरानी विभाग ने इसकी जांच रिपोर्ट सौंप दी है. इस मामला का करीब एक साल से अधिक का समय बीत चुका है.
निगरानी विभाग को मिली थी शिकायत
निगरानी विभाग को 30 अप्रैल 2009 को शिकायत मिली थी कि जमशेदपुर प्रमंडल पेयजल एवं स्वच्छता विभाग में करोड़ों रुपये का चापाकल घोटाला हुआ है. इसकी जांच निगरानी विभाग की ओर से की गयी. स्थल का निरीक्षण किया गया. जांच में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आये. पाया गया कि एक ही गांव में पांच बार चापाकल एक ही स्थान पर लगाने का दस्तावेज सौंप दिया गया है. वहीं, कई ऐसे जगहों पर चापाकल लगा दिया गया है, जहां कोई गांव ही नहीं है. इसके बाद जांच अधिकारी रांची के तकनीकी परीक्षक कोषांग के कार्यपालक अभियंता सुधाकांत झा, तकनीकी परीक्षक सहायक अभियंता सत्येंद्र नाथ पांडेय ने अपनी रिपोर्ट सौंपी. इस रिपोर्ट में साफ तौर पर कहा गया है कि फरजी नाम पर चापाकल लगा दिया गया. कुछ जगहों पर चापाकल है, लेकिन काम नहीं कर रहा है क्योंकि पाइप नहीं लगाया गया.
ये बनाये गये हैं आरोपी
जांच रिपोर्ट में तत्कालीन मुख्य अभियंता सज्जाद हसन, प्रमुख तत्कालीन अभियंता ओमप्रकाश, पेयजल व स्वच्छता प्रमंडल के कार्यपालक अभियंता नजरे ईमाम, जनवरी 2008 में जमशेदपुर के विभाग के तत्कालीन अधीक्षण अभियंता, पेयजल व स्वच्छता प्रमंडल के कार्यपालक अभियंता सुरेश प्रसाद, सहायक अभियंता पंकज कुमार सिन्हा, तत्कालीन कनीय अभियंता सीताराम सिंह, कनीय अभियंता शिव कुमार पाठक, कनीय अभियंता प्रदीप कुमार मांझी, मेसर्स एसके इंटरप्राइजेज, संवेदक उदय प्रताप सिंह, सुनील कुमार चौधरी, एमएस इंटरप्राइजेज, राकेश प्रसाद सिन्हा, अभी इंटरप्राइजेज, जेमनी इंटरप्राइजेज को आरोपी बनाया गया है.