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बेटा-बेटी ने ठुकराया, तो वृद्धाश्रम पहुंचे, वहां भी नहीं मिला आश्रय

जमशेदपुर : बेटा द्वारा घर से निकाले जाने के बाद दर-दर की ठोकरें खा रहे पूर्व जेम्को कर्मचारी विश्वजीत मुखर्जी को शनिवार को वृद्धाश्रम में भी जगह नहीं मिली. अभी भी वे इधर-उधर भटक कर अपनी जिंदगी गुजार रहे हैं. शनिवार को मानगो शंकोसाई के खड़िया बस्ती के राजेश कुमार, नीरज कुमार, धीरज कुशवाहा ने […]

जमशेदपुर : बेटा द्वारा घर से निकाले जाने के बाद दर-दर की ठोकरें खा रहे पूर्व जेम्को कर्मचारी विश्वजीत मुखर्जी को शनिवार को वृद्धाश्रम में भी जगह नहीं मिली. अभी भी वे इधर-उधर भटक कर अपनी जिंदगी गुजार रहे हैं. शनिवार को मानगो शंकोसाई के खड़िया बस्ती के राजेश कुमार, नीरज कुमार, धीरज कुशवाहा ने उन्हें भटकते हुए देखा तो उनके बारे में जानना चाहा.

विश्वजीत ने युवकों को पूरी बात बतायी. इसके बाद युवक उन्हें ऑटो से पहले उनकी बेटी के घर देवनगर बाराद्वारी ले गये, लेकिन बेटी ने अपनी परेशानी बताते हुए पिता को रखने से इनकार कर दिया. बेटी ने बताया कि वह ससुराल में रहती है और अलग-अलग समस्यों से परेशान है.
इसके बाद सभी युवक वृद्ध को एमजीएम अस्पताल गोलचक्कर के पास स्थित आशीर्वाद वृद्धाश्रम पहुंचे. लेकिन वृद्धाश्रम प्रबंधन ने आधार कार्ड नहीं होने व कोई बीमारी नहीं होने का प्रमाण नहीं होने के कारण वृद्ध को रखने से इनकार कर दिया. ओल्ड एज होम के व्यवस्थापक शंभू भाई से वृद्ध को नहीं रखने का कारण बताया कि वे नियम से बंधे हैं. उन्होंने कहा कि वर्तमान में उनके पास कोई जगह भी नहीं है.
जेम्को से लिया था इएसएस, भाड़े के मकान में रहते थे :
विश्वजीत मुखर्जी जेम्को कंपनी में काम करते थे. वर्ष 1999 में कंपनी से इएसएस लिया था. इसके बाद वे उसी क्षेत्र में परिवार के साथ भाड़े के मकान में रहते थे. बेटा शादी के बाद मां-पिता के साथ गलत व्यवहार करने लगा. विश्वजीत मुखर्जी अब यह भी नहीं बता पा रहे हैं कि उनकी पत्नी कहां है.

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