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जमशेदपुर : कंबल घोटाले की जल्द सीबीआइ जांच कराये सरकार: सरयू राय

जमशेदपुर : मंत्री सरयू राय ने कहा कि राज्य के महालेखाकार ने अपनी रिपोर्ट में स्पष्ट कर दिया है कि झारक्राफ्ट में पिछले वर्ष कंबल घोटाला हुआ है. सरकार को दाेषियाें के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए. मामले को सीबीआइ के हवाले किया जाना चाहिए. यह काम जल्द होना चाहिए, नहीं तो जनता की अदालत में […]

जमशेदपुर : मंत्री सरयू राय ने कहा कि राज्य के महालेखाकार ने अपनी रिपोर्ट में स्पष्ट कर दिया है कि झारक्राफ्ट में पिछले वर्ष कंबल घोटाला हुआ है. सरकार को दाेषियाें के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए. मामले को सीबीआइ के हवाले किया जाना चाहिए.
यह काम जल्द होना चाहिए, नहीं तो जनता की अदालत में सरकार कटघरे में खड़ी होगी. कार्रवाई कर यह संदेश दिया जाना चाहिए कि सरकार भ्रष्टाचार के साथ किसी तरह का समझाैता नहीं करेगी. सरयू राय शनिवार को बिष्टुपुर स्थित आवासीय कार्यालय में पत्रकारों से बात कर रहे थे. उन्होंने कहा कि कुछ दिन पूर्व झारक्राफ्ट की तत्कालीन सीइआे रेणु गोपीनाथ पन्निकर उनसे मिली थी. वह भी चाहती हैं कि इस मामले की जांच के निष्कर्ष के आधार पर दोषियों पर कार्रवाई होनी चाहिए.
एक-दूसरे पर लगाया था आरोप : सरयू राय ने कहा : फरवरी-मार्च में घोटाला उजागर हुआ. प्रारंभिक जांच के निष्कर्षों के आधार पर तत्कालीन विकास आयुक्त ने तत्कालीन उद्योग सचिव को इसकी जांच एसीबी से कराने का लिखित आदेश दिया. उस समय तत्कालीन उद्योग निदेशक जो वर्तमान में निदेशक के वेतनमान में उद्योग विभाग के प्रभारी सचिव हैं और झारक्राफ्ट की तत्कालीन सीइआे ने सार्वजनिक रूप से एक-दूसरे पर भ्रष्टाचार और कमीशनखोरी का आरोप लगाया. सरकार ने तत्कालीन सीइआे से इस्तीफा ले लिया. तत्कालीन उद्योग निदेशक के रवि कुमार ने सार्वजनिक बयान दिया था कि गलत आरोप लगाने के कारण वह झारक्राफ्ट सीइओ पर मानहानि का मुकदमा दायर करेंगे. दो-तीन बार उनसे केस के संबंध में पूछा ताे बताया गया कि उन्होंने मुकदमा दायर कर दिया है. पर सीइओ रही रेणु ने ऐसे किसी भी मुकदमे से इनकार किया है. ऐसे में सच्चाई सामने आनी चाहिए.
विकास आयुक्त के आदेश की अवहेलना हुई
सरयू राय ने कहा : विकास आयुक्त ने रिपाेर्ट साैंप कर कार्रवाई करने काे कहा. पर उनके निर्देशों का अनुपालन नहीं हुआ. विकास आयुक्त के निर्देश पर कार्रवाई करने के बदले 28 सदस्यीय जांच समिति गठित कर मामले की नये सिरे से जांच कराने का आदेश जारी कर दिया गया. जांच समिति में उद्योग विभाग के जिला और उप निदेशक स्तर के पदाधिकारी शामिल किये गये थे. जबकि जांच इनसे वरीय अधिकारियों की होनी थी. उन्हाेंने कहा कि इस घोटाले की तासीर बहुचर्चित पशुपालन घोटाला जैसी है. इसलिए इसकी जांच सीबीआइ से करायी जानी चाहिए.
वरीय अधिकारियों की मंशा संदेह से परे नहीं
सरयू राय ने कहा : अब सीएजी के अंतिम प्रतिवेदन में कंबल घोटाले पर मुहर लग गयी है. यह केवल विधानसभा की लोक लेखा समिति का विषय नहीं रहेगा. उच्चस्तरीय जांच के लिए यह मामला सीबीआइ को सौंपा जाना चाहिए. साथ ही उद्योग विभाग के वर्तमान प्रभारी सचिव को किसी अन्य समकक्ष पद पर स्थानांतरित किया जाना चाहिए. तत्कालीन उद्योग सचिव से स्पष्टीकरण पूछा जाना चाहिए कि विकास आयुक्त के आदेश की अवहेलना क्यों हुई. उद्योग विभाग के पूर्व व वर्तमान वरीय अधिकारियों की मंशा संदेह से परे नहीं है.
Prabhat Khabar Digital Desk
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