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बूढ़ी मां की मजबूरी, बेटी को दो साल से बंद रखा है कमरे में

जमशेदपुर : बर्मामाइंस मस्जिद के पीछे और मदरसा के ठीक सामने टाटा स्टील के खाली पड़े क्वार्टर में एक 60 साल की मां और उसकी 27 साल की बेटी रहती है. रहती क्या है, जीती है. टूटे दरवाजे पर चादर डाल रखा है. बांस के दरवाजे को इस तरह बांध रखा है ताकि आसानी से […]

जमशेदपुर : बर्मामाइंस मस्जिद के पीछे और मदरसा के ठीक सामने टाटा स्टील के खाली पड़े क्वार्टर में एक 60 साल की मां और उसकी 27 साल की बेटी रहती है. रहती क्या है, जीती है. टूटे दरवाजे पर चादर डाल रखा है. बांस के दरवाजे को इस तरह बांध रखा है ताकि आसानी से खुल ना सके. बूढ़ी मां आसपास के लोगों से खाना मांगकर लाती है और किसी तरह दोनों का पेट भर पाता है. बेटी को वह एक कमरे में बंद रखती है, ताकि वह बाहर ना जा सके. गलती उस बूढ़ी मां की भी नहीं है,

जिसे अपनी बेटी को वहशी दरिंदों से बचाने का कोई और रास्ता नहीं दिखता. दो साल से आरती (बदला हुआ नाम) घर के एक अंधेरे कमरे में बंद है, उसकी मां के अनुसार उसके साथ रेप हुआ है और अब भी वहशियों की नजर उस पर है. रात में वे परेशान करते हैं और घर में घुसने की कोशिश करते रहते हैं. आरती ने अपने साथ हुई दरिंदगी की दास्तान और इंसाफ के लिए निकलती चीखें काले अक्षरों के जरिये उसके लिए बनायी गयी कालकोठरी में लिख रखी हैं. इस बात का खुलासा तब हुआ जब बुधवार को सामाजिक कार्यकर्ता मीरा शर्मा मां-बेटी को लेकर इलाज कराने के लिए एमजीएम मनोचिकित्सक के पास पहुंची.

बर्मामाइंस में हवस के दरिंदों से खौफजदा मां-बेटी की जिंदगी बनी नर्क
आरती (बदला हुआ नाम) के कमरे को भी उसकी मां ने बाहर से कपड़ों का गट्ठर बना-बना मजबूती से बंद कर रखा है. करीब 15 मिनट की मशक्कत के बाद हम आरती के कमरे में पहुंचते हैं. खाना-पीना सही नहीं मिलने के कारण उसका शारीरिक व मानसिक विकास सही से नहीं हो सका है. आरती ने बंद कमरे की दीवारों पर कलर पेंसिल से अपने दर्द को उकेर रखा है. दीवार पर लिखे अक्षरों में कहीं वह खुद को बचाने की गुहार करती हुई दिखती है तो कहीं उसके साथ हुई दरिंदगी को बयां करती हुई. अपनी टीचर मीरा शर्मा को देख वह खुश हो जाती है. उनसे लिपटते हुए वह उनसे उसके इलाज कराने का अनुरोध करती है. मीरा शर्मा ने बताया कि वह उसे एक बार एमजीएम अस्पताल ले गयी थी, लेकिन उसका इलाज कैसे करायें, यह समझ नहीं आ रहा है. आरती को शुक्रवार को अस्पताल ले जाने का वादा कर मीरा शर्मा बाहर निकलीं. इसके बाद आरती रोने लगी, किसी तरह उसे चुप कराया गया.
प्रभात खबर की अपील
आरती (बदला हुआ नाम) और उसकी मां की आपबीती और स्थिति एक सभ्य समाज पर सवालिया निशान है. वहशी दरिंदों के आतंक की शिकार मां-बेटी जिसकी न्याय की गुहार बंद काल-कोठरी में दम तोड़ रही है, को हम सबकी जरूरत है. प्रभात खबर सामाजिक संगठनों और जिला प्रसाशन से इनके उचित इलाज व सामाजिक सुरक्षा और पुलिस से मामले में त्वरित संज्ञान लेने की अपील करता है, ताकि समाज में मानवता पर कलंक ना लगे और न्याय सुनिश्चित हो सके.

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