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पेड़ के नीचे बैठी रघुवर सरकार जारी हुआ विकास का फरमान

चांडिल डैम. सीएम ने चांडिल डैम के विकास का तैयार किया खाका सबसे मिले, सुझाव लिया और तत्काल डीसी को इसको लागू करने का दिया आदेश जमशेदपुर : मंगलवार को चांडिल डैम का नजारा बदला-बदला सा था. डैम के किनारे बरगद के पेड़ के नीचे राज्य की सरकार की बैठक चल रही थी. खुद मुख्यमंत्री […]

चांडिल डैम. सीएम ने चांडिल डैम के विकास का तैयार किया खाका

सबसे मिले, सुझाव लिया और तत्काल डीसी को इसको लागू करने का दिया आदेश
जमशेदपुर : मंगलवार को चांडिल डैम का नजारा बदला-बदला सा था. डैम के किनारे बरगद के पेड़ के नीचे राज्य की सरकार की बैठक चल रही थी. खुद मुख्यमंत्री रघुवर दास बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे. मसला था चांडिल डैम का कैसे विकास हो. मुख्यमंत्री के साथ बैठक में राज्य की मुख्य सचिव राजबाला वर्मा, भूमि राजस्व सचिव कमल किशोर सोन, वन सचिव इंदू शेखर चतुर्वेदी, पशुपालन विभाग के सचिव, कृषि सचिव, पथ निर्माण सचिव, पर्यटन सचिव समेत अन्य सचिव शामिल थे.
सामने सरायकेला-खरसावां के उपायुक्त छवि रंजन, पुलिस अधीक्षक श्री सिन्हा समेत जिले के सभी पदाधिकारी खड़े थे. बैठक में मुख्यमंत्री ने आसपास के एरिया के विकास के मुद्दे पर अधिकारियों के साथ चर्चा की. तत्काल कागजी कार्रवाई पूरी करायी और योजना को धरातल पर उतारने के लिए पैसे का बंदोबस्त करने के लिए रांची में मीटिंग कर इसे अमल में लाने की बात कह दी.
डीसी सिर्फ कोट टाइ पहनकर न घूमें, जनता के साथ भी रहें
बरगद पेड़ के नीचे ही चल रही मीटिंग के दौरान ही मुख्यमंत्री ने उपायुक्त छवि रंजन से पूछा यहां विकास के लिए क्या किया जा सकता है, कभी सोचा है? इस पर डीसी ने सकारात्मक जवाब नहीं दिया. इस पर मुख्यमंत्री ने डीसी को कड़ी फटकार लगायी. मुख्यमंत्री ने डीसी को कहा कि सिर्फ कोट-टाइ पहनकर घुमने आ गये है. कोई योजना नहीं बनायी है. जनता के साथ भी रहे ताकि जनता का काम कर सके, सिर्फ कोट-टाइ पहनकर घुमने से नहीं चलेगा. यहां बोट खराब है, मछली पालन घटता जा रहा है, लेकिन डीसी यहां देखने तक नहीं आते है. इस फटकार के बाद डीसी को भी कोई जवाब नहीं था.
विधायक समेत भाजपाइयों को फटकार
विधायक साधु चरण महतो और तीन भाजपाई भी मुख्यमंत्री रघुवर दास के फटकार से बच नहीं सके. हुआ यूं कि वे बरगद के पेड़ के नीचे मीटिंग कर रहे थे. इसी दौरान भाजपा प्रदेश कार्यसमिति के पदाधिकारी शैलेंद्र सिंह वहां आने लगे. उनको बीच में ही मुख्यमंत्री ने रोका और कहा कि क्या काम है उनका, यहां नेतागिरी क्यों कर रहे हैं.
अपना काम करें, इसके बाद शैलेंद्र सिंह वहां से निकल गये. इसके बाद वे नौका विहार में मत्स्य पालन को देखने के लिए गये.
बोटिंग करने के बाद वे जब लौटे तब लाइफ जैकेट खोलने के तुरंत बाद भाजपा नेता ललन तिवारी और सुनील श्रीवास्तव ने उनको आदित्यपुर की पानी की समस्या से रुबरु कराया. इस पर मुख्यमंत्री आपे से बाहर हो गये. उन्होंने कहा कि पानी और नाली या बिजली देखने यहां नहीं आये है. यहां चांडिल डैम के विकास का काम करने आये हैं. हर जगह पहुंच जाते हैं, इतना बोलने के बाद उन्होंने कड़ी फटकार नेताओं को लगायी और नेतागिरी चमकाना छोड़ने की हिदायत देकर आगे बढ़ गये. इसके बाद विस्थापितों ने उनको घेर लिया और कहा कि वहां काफी समस्या है. इस पर विधायक साधुचरण महतो ने उनकी ओर से बोलना शुरू किया तो बीच में ही मुख्यमंत्री ने उनको रोक दिया और कहा कि वे जब विस्थापितों से खुद बात कर रहे हैं तो क्यों बीच में बोल रहे हैं. इसके बाद विधायक वहां से निकल गये.
हेलीकॉप्टर से उतरे, पैदल चले, बोटिंग की
मुख्यमंत्री रघुवर दास अपने अधिकारियों के साथ हेलीकॉप्टर से सीधे चांडिल अनुमंडल के कार्यालय के पास बनाये गये हेलीपैड पर उतरे. वहां से गाड़ी में बैठ कर चांडिल डैम की ओर निकल पड़े. गाड़ियों के काफिले के साथ चांडिल डैम में बरगद पेड़ के नीचे अधिकारियों के साथ मीटिंग की. यहां रायशुमारी के बाद पैदल चांडिल डैम का नजारा देखा. वहां डैम में बोटिंग की. बोटिंग के दौरान ही उन्होंने मत्स्य पालन देखा.
आम लोगों के लिए बंद कर दिया गया था रास्ता
चांडिल डैम में सीएम के दौरे को लेकर आम लोगों के लिए आने जाने का रास्ता बंद कर दिया गया था. स्थानीय लोगों को भी अनुंमडल कार्यालय होकर जाने नहीं दिया जा रहा था. सुरक्षा की चूक को देखते हुए यह कदम उठाया गया था.
आज शौचालय खुला रहा, बाकायदा परदा लगा था
चांडिल डैम में वैसे तो अव्यवस्था रहती है, लेकिन आज सारी व्यवस्था बदली थी. सड़कों के गड्ढे को गाड़ी चलने लायक बनाया गया था. वहीं हर वक्त बंद रहने वाला शौचालय तक खुला हुआ था. यह सिर्फ खुला ही नहीं था बल्कि साफ सुथरा भी था और बकायदा परदा भी लगाया गया था.
चप्पे-चप्पे पर तैनात थी पुलिस, डैम से निकल रहा था पानी
मुख्यमंत्री के दौरे की वजह से चांडिल क्षेत्र में सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किये गये थे. अनुमंडल कार्यालय से लेकर चांडिल डैम तक पुलिस का हर कदम पर तैनाती की गयी थी. इस दौरान डैम से पानी से निकाला जा रहा था. डैम की व्यवस्था को खुद मुख्यमंत्री ने काफी मेहनत की, जिसके बाद पुलिस बलों ने राहत की सांस ली.
मुख्यमंत्री जी, सोना का ग्लास आप भेजते हैं, यहां पहुंचता है प्लास्टिक का ग्लास : विस्थापित
मुख्यमंत्री जब बोटिंग करके लौटने लगे तब विस्थापितों की ओर से लोगों ने उनको रोका और कहा कि डैम का अगर जलस्तर कम कर दिया जाये तो उनके मकान नहीं डूबेंगे. इसके अलावा अब तक उनको मुआवजा तक नहीं मिल पाया है. लोग परेशान हैं. एक विस्थापित ने मुख्यमंत्री को कहा कि आप रांची से सोना का ग्लास भेजते हैं, यहां प्लास्टिक का ग्लास बनकर पहुंचता है, कृपया इस बिचौलिया प्रथा को रोके. इसके बाद मुख्यमंत्री ने इसका उपाय उनसे पूछा. विस्थापितों ने कहा कि उनको मुआवजा की राशि के साथ ही नौकरी चाकरी का इंतजाम कराया जाये. इस पर मुख्यमंत्री ने कहा कि उनके ही विकास के लिए वे उनके बीच में आये है. इसी डैम से सबको रोजगार मिलेगा.

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