मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से हस्तक्षेप की मांग सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश के अनुसार, लगातार दस वर्षों तक सेवा देने वाले दैनिकभोगी कर्मियों को विभागीय स्तर पर नियमित करने का प्रावधान किया गया था हजारीबाग. हजारीबाग प्रमंडलीय बंदोबस्त मुख्यालय में कार्यरत छह दैनिकभोगी कर्मियों का नियमितिकरण पिछले तीन वर्षों से लंबित है. सुप्रीम कोर्ट के एक महत्वपूर्ण आदेश के अनुसार, लगातार दस वर्षों तक सेवा देने वाले दैनिकभोगी कर्मियों को विभागीय स्तर पर नियमित करने का प्रावधान किया गया था. इसी आदेश के तहत 2023 में 29 कर्मियों को नौकरी मिली, लेकिन छह कर्मी किसी कारणवश छूट गये. इनमें सज्जाद अहमद, कार्तिक प्रसाद मेहता, मनोरंजन महतो, प्रकाश प्रसाद मेहता, ऐनुल अंसारी और गणेश प्रसाद शामिल हैं. ये सभी 2008 से परिमाप निरीक्षक, मुंसरिम और सर्वेयर के पदों पर कार्यरत हैं. आवश्यक दस्तावेज जमा करने के बावजूद उनकी फाइलें सचिवालय में लंबित हैं. कर्मियों का आरोप है कि विभागीय अधिकारी टालमटोल कर रहे हैं और नियमितिकरण की प्रक्रिया को जानबूझकर रोके हुए हैं. सर्वेयर गणेश प्रसाद ने बताया कि वे तीन वर्षों से लगातार नौकरी के लिए प्रयासरत हैं. सभी अहर्ता पूरी होने के बावजूद अधिकारियों द्वारा उन्हें दौड़ाया जा रहा है. जानकारी मिली है कि उनकी फाइल वर्तमान में सचिवालय में है और आगामी कैबिनेट बैठक में छह कर्मियों के नियमितिकरण संबंधी प्रस्ताव पर मुहर लग सकती है. कर्मी इस देरी से बेहद परेशान हैं. उनका कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन न करना न्यायिक निर्देशों की अवमानना है. उन्होंने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से हस्तक्षेप की मांग की है. साथ ही, झामुमो के वरिष्ठ नेता एवं दर्जा प्राप्त मंत्री फागु बेसरा से मिलकर शिकायत करने का मन बनाया है. प्रभारी सहायक बंदोबस्त पदाधिकारी विजय महतो ने कहा कि 29 कर्मियों को नौकरी दी गयी थी, जिनमें से एक की उम्र सीमा समाप्त हो गयी और एक अन्य फरवरी 2025 में सेवानिवृत्त हो गया. छह कर्मियों के मामले की जानकारी उनके संज्ञान में नहीं है.
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