21.1 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

बड़कागांव के जंगलों की सुंदरता बढ़ा रहे हैं पलाश के फूल

मंजर, पलाश के फूल, सेमल के फूल, अरंडी के फूल समेत कई तरह के फूलों से बड़कागांव खूबसूरत नजर आ रहा है.

प्रतिनिधि बड़कागांव़ बड़कागांव की धरती फागुन महीने में दुल्हन की तरह सजी नजर आ रही है. पलाश के फूल के साथ-साथ कई तरह के रंग-बिरंगे फूल खिले नजर आ रहे हैं. आम के पेड़ों पर मंजर, पलाश के फूल, सेमल के फूल, अरंडी के फूल समेत कई तरह के फूलों से बड़कागांव खूबसूरत नजर आ रहा है. ग्रामीण पलाश के फूलों का उपयोग जड़ी-बूटी से लेकर विभिन्न प्रकार की बीमारियों के इलाज में करते हैं. इस फूल को हिंदी में ढाक, टेस, बंगाली में पलाश कहा जाता है. जबकि मराठी में पलश, गुजराती में केसुडा कहते हैं. पलाश का फूल मूत्र संबंधी रोग, रतौंधी, गर्भधारण के समय उपयोगी, बवासीर, रक्तस्त्राव में उपयोगी होता है. पलाश के गोंद का उपयोग करने से दस्त व हड्डी मजबूत होता है. इस संबंध में वैद्य (आयुर्वेद चिकित्सक ) डॉ मनोज कुमार कहते हैं कि पलाश के फूल को ब्रह्मवृक्ष भी कहते हैं. पलाश के फूल को सुखा कर कोल्हान क्षेत्र में गुलाल-रंग बनाने की परंपरा सदियों से चलती आ रही है. पलाश के फूल को सुखा कर उसका उपयोग होली के दौरान किया जाता है. पलाश का गोंद एक से तीन ग्राम मिश्री में मिला कर दूध या आंवला के रस के साथ लेने से हड्डी मजबूत होता है. इसके गोंद को गर्म पानी के साथ घोल बना कर पीने से दस्त में राहत महसूस होती है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Prabhat Khabar News Desk
Prabhat Khabar News Desk
यह प्रभात खबर का न्यूज डेस्क है। इसमें बिहार-झारखंड-ओडिशा-दिल्‍ली समेत प्रभात खबर के विशाल ग्राउंड नेटवर्क के रिपोर्ट्स के जरिए भेजी खबरों का प्रकाशन होता है।

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel