हजारीबाग.
विनोबा भावे विश्वविद्यालय के विश्वविद्यालय अभियंत्रण एवं प्रौद्योगिकी महाविद्यालय (यूसेट) में शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के सहयोग से राष्ट्रीय गणित दिवस एवं दसवां बीएन मिश्र स्मृति व्याख्यान का राज्य स्तरीय आयोजन रविवार को हुआ. इस अवसर पर झारखंड के 17 से अधिक जिलों से दो हजार से अधिक विद्यार्थियों ने ऑनलाइन और ऑफलाइन माध्यम से भाग लिया.
कार्यक्रम के अंतर्गत भाषण, चित्रकला एवं प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिताएं विद्यालय, प्लस टू तथा महाविद्यालय/विश्वविद्यालय स्तर पर संपन्न हुईं. आयोजन का उद्देश्य विद्यार्थियों में गणितीय सोच को प्रोत्साहित करना और भारतीय ज्ञान परंपरा के प्रति जागरूकता उत्पन्न करना था.
कार्यक्रम का उदघाटन कुलपति प्रो. चंद्र भूषण शर्मा ने किया. उन्होंने कहा कि गणित की मूल अवधारणाएं वेदों में निहित हैं. महान गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन के जीवन प्रसंगों को साझा करते हुए उन्होंने विद्यार्थियों को नवाचार और मौलिक चिंतन के लिए प्रेरित किया.
यूसेट निदेशक डॉ. साहा ने रामानुजन के संघर्ष, प्रतिभा और वैश्विक प्रभाव पर विस्तार से प्रकाश डाला. मुख्य वक्ता प्रो. कैलाश विश्वकर्मा ने वैदिक गणित की उपयोगिता पर चर्चा की और बहु-अंकीय संख्याओं के गुणन एवं वर्ग निकालने के वैदिक सूत्रों का प्रदर्शन किया, जिसे विद्यार्थियों ने अत्यंत रुचि से देखा.
विशेष वक्ता प्रो. बीके मिश्र ने गणित को प्रकृति की भाषा बताते हुए ऋग्वेद, यजुर्वेद, वेदांग, रामायण और महाभारत में निहित गणितीय तत्वों पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि π (पाई) की संकल्पना 800 ईसा पूर्व बौधायन द्वारा दी गई थी, जिसे बाद में पश्चिमी साहित्य में आर्किमिडीज से जोड़ा गया. बौधायन प्रमेय को ही पश्चिमी जगत ने पाइथागोरस प्रमेय कहा.
कार्यक्रम का सफल संचालन डॉ. बीके विश्वकर्मा ने किया. विजेताओं को पदक एवं प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया. अंत में डॉ. संतोष कुमार सिंह ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया.
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