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इचाक प्रखंड की मंगुरा पंचायत

इचाक प्रखंड की मंगुरा पंचायत 7 इचाक1 में मुखिया किरण देवी.7 इचाक 5 में- मंगुरा के रामलखन 7 इचाक9 में- राधो यादव 7 इचाक10 मे-ं सुबोध कुमार पांडेय.7 इचाक11 में- गौतम.7 इचाक12 में- छेदी.7 इचाक13 में- धनेश्वर सोनी.7 इचाक14 में- रंजीत कुमार.7 इचाक15 में- द्वारिका नारायण 7 इचाक16़में- खराब सड़क7 इचाक17 में- मोकतमा से जानेवाली […]

इचाक प्रखंड की मंगुरा पंचायत 7 इचाक1 में मुखिया किरण देवी.7 इचाक 5 में- मंगुरा के रामलखन 7 इचाक9 में- राधो यादव 7 इचाक10 मे-ं सुबोध कुमार पांडेय.7 इचाक11 में- गौतम.7 इचाक12 में- छेदी.7 इचाक13 में- धनेश्वर सोनी.7 इचाक14 में- रंजीत कुमार.7 इचाक15 में- द्वारिका नारायण 7 इचाक16़में- खराब सड़क7 इचाक17 में- मोकतमा से जानेवाली जर्जर सड़क7 इचाक18 में-गोपाल 7 इचाक19 में-अनिल मेहता पंचायत वाच-मंगुरा पंचायत हेडलाइन…न आम सभा काम आयी, न ग्राम सभा ने फल दिया इचाक. 32 वर्ष बाद 2011 में पहली बार प्रदेश में पंचायत चुनाव हुआ. तब लोगों को लगा की गांव की स्थिति सुधरेगी. असहाय, लाचार व गरीबों के बीच का ही व्यक्ति मुखिया, पंसस, जिप सदस्य व वार्ड सदस्य होगा. जो सभी का ख्याल रखेगा व पंचायत का भला होगा. पंचायती राज व्यवस्था में पंचायत की सरकार के पास संपूर्ण अधिकार होगा. पर यह सोचते-सोचते पांच साल बीत गये और सभी सपने अधूरे रह गये. पंचायत को कुछ अधिकार मिला भी तो पंचायत प्रतिनिधि अपने में सिमट गये. अब पंचायत चुनाव सामने है. सिर्फ घोषणा होना बाकी है. इचाक प्रखंड में 19 पंचायत हैं. पांच साल में क्या हुआ विकास, जनप्रतिनिधियों की क्या रही भूमिका. इस बार कैसे उम्मीदवार को चुनेंगे. क्या सपने रहे अधूरे समेत अन्य सवालों को लेकर प्रभात खबर प्रतिनिधि ने आमलोगों से बातचीत की. प्रखंड मुख्यालय से करीब सात किमी दूरी पर है मंगुरा पंचायत. इस पंचायत में चार गांव है. जिसमें मंगुरा, मोकतमा, फुरूका और जमुआरी गांव जो दो टोले में बंटे है. मंगुरा पंचायत की आबादी 6553 है. मतदाताओं की संख्या 4386 है. जिसमें पुरुष मतदाता 2292 व महिला मतदाता 2094 शामिल हैं. पंसस की सीट एक से बढ़ कर दो व वार्डों की संख्या नौ से बढ़ कर 13 कर दी गयी है. एक से छह वार्ड तक पंसस की व 7 से 13 वार्ड तक पंसस की दूसरी सीट बनायी गयी है. पंचायत वासियों ने विकास व अन्य मुद्दों पर कई बातें रखी.क्या सोचा था, क्या सामने आया मंगुरा के रामलखन मेहता ने कहा कि पंचायत चुनाव से पहले जो सोचा था, सब उल्टा दिखा. जनप्रतिनिधि व पदाधिकारियों के बीच सामंजस्य में कमी रहने के कारण विकास बाधित रहा. ग्रामसभा, आमसभा मात्र खानापूर्ति हुई. पंचायतों में बिचौलिए हावी रहें. ऐसा काम नही हुआ जिसका उदाहरण दिया जा सके. 1978 में भी चुनाव लड़ा था, उस चुनाव में भ्रष्टाचार नहीं था. अपने- पराये के भेदभाव लोग नहीं करते थे. धनेश्वर सोनी ने कहा कि मुझे पता भी नहीं चला कि पांच साल में कोई काम हुआ. मुकेश कुमार मोकतमा ने कहा कि कोई विशेष विकास नहीं हुआ, सिर्फ घूसखोरी हुई है. सुबोध कुमार पांडेय मंगुरा ने कहा कि गांवों का अपेक्षित विकास नहीं हो सका. मुखिया अपने अधिकारों को समझे व गरीबों को योजनाओं का लाभ दिला सके. वैसा ही जुझारू व्यक्ति को वोट देना चाहिए. द्वारिका नारायण गिरि फुरुका ने कहा कि पंचायत चुनाव के ठीक एक साल बाद तेज आंधी के कारण फुरूका गांव में आठ बिजली का पोल व तार टूट कर गिर गया. चार साल बीत गये, पर स्थिति जस की तस है. राघो यादव फुरूका ने कहा कि कुछ काम नहीं हुआ. सभी अपने लोभ में फंस गये. गौतम कुमार मोकतमा ने कहा कि सरकार की योजनाएं जरूरतमंदों तक नहीं पहुंच पायी. बिचौलिया व ठेकेदार लोगों को फायदा हुआ. मनरेगा योजनाओं में खुली लूट मची रही. गरीब असहाय लोगों को विशेष लाभ नहीं मिला. विकास के कई कार्य हुए: मुखियामंगुरा पंचायत की मुखिया किरण देवी ने बताया कि पांच साल में विकास के कई कार्य कराये. मनरेगा व 13वें वित्त मद से सभी गांवों में सड़क निर्माण, तालाब गहरीकरण, कूप निर्माण सहित अन्य कार्य करवाये. कई कूप का निर्माण कर सिंचाई सुविधा बहाल करायी. कई लोगों को वृद्धापेंशन दिलवायी. सरकारी योजनाओं को गरीबों तक पहुंचाने में पूरी कोशिश की है.जमुआरी गांव में बदस्तूर काबिज हैं कई समस्याएं 7 इचाक2 मंे-वृद्धापेंशन नहीं मिलने से निराश वृद्ध.7 इचाक3 मे-बेघर मंगुरा का कोल्हा 7 इचाक4 में-अपनी पीड़ा व्यक्त करते जमुआरी के लोग7 इचाक7 में- जमुआरी गांव से छठ घाट जाने का जर्जर 7 इचाक8 में जमुआरी दो टोला को जोड़नेवाली जर्जर कच्ची सड़क. अपेक्षित बदलाव नहीं हुआइचाक. मंगुरा पंचायत के जमुआरी गांव निचली टोला में आज भी कई समस्याएं है. दोनों टोला को जोड़ने वाली कच्ची सड़क जर्जर है. गिरि टोला में पानी की किल्लत है. गांव से श्मशान घाट जोड़ने वाली सड़क नदी के किनारे है. जो पानी के बहाव के कारण कई जगहों पर टूट चुकी है. कोल्हा यादव ने कहा कि मैं गरीब हूं. बीपीएल नहीं रहने के कारण लाभ नहीं मिल पा रहा है. बेघर होने के बाद भी इंदिरा आवास नहीं मिला. छेदी गिरि ने बताया कि पानी की दिक्कत है. चापानल व सड़क के लिए आमसभा में बात रखी, पर कोई फायदा नहीं हुआ. भुवनेश्वर यादव, महेंद्र यादव, बालेश्वर यादव, गोपाल राम ने बताया कि चापाकल के अभाव मंे दूषित पानी पीने पर मजबूर है. वृद्धापेंशन व इंदिरा आवास नहीं मिला. जमुआरी के छेदी गिरी, भुवनेश्वर यादव मंगुरा, सारो मसोमात, उमा देवी, धरमी देवी, तेतरी मसोमात़, जगनी देवी, फुरूका के श्यामलाल ठाकुर, कैलाश यादव समेत कई लोगों ने वृद्धा पेंशन नहीं मिलने की बात कही. मंगुरा के कोल्हा यादव, मोकतमा के मो बसंती, फुरूका के नेमन महतो, सुनीता देवी, उमेश गिरि ने कहा कि मेरा घर काफी क्षतिग्रस्त है. कभी भी धंस सकता है. जोखिम उठा कर अपने बाल बच्चों के साथ दिन रात गुजारता हूं. आवास की मांग को लेकर मुखिया, पंसस व बीडीओ से गुहार लगा चुका हूं, पर कोई फायदा नहीं हुआ. जनता व सरकार के बीच की कड़ी हो प्रतिनिधि इचाक. मोकतमा के रंजीत मेहता ने कहा कि आनेवाले पंचायत चुनाव में जुझारू व ईमानदार व्यक्ति को वोट देना चाहिए. अनिल मेहता ने कहा कि जनता की बात को सरकार तक पहुंचा सके वैसा व्यक्ति को ही जिताना चाहिए. फुरूका के अमृत राम ने कहा कि साफ छवि का व्यक्ति जिसका समाज में वजूद हो वैसा ही व्यक्ति को जनप्रतिनिधि चुनना चाहिए. इंद्रदेव यादव ने कहा कि जो जनता की समस्याओं का समाधान कर सके वैसा ही व्यक्ति को वोट देना चाहिए. मंगुरा के अशोक राम ने कहा कि गांव का विकास करनेवाला व्यक्ति को ही चुनना चाहिए. वीणा राणा ने कहा कि गरीबों की बातों को सुननेवाला एवं सभी वर्ग के लोगों को एक साथ लेकर चलनेवाला व्यक्ति को ही जनप्रतिनिधि बनाना चाहिए. 50 रुपये खर्च कर चुनाव लड़ा था, बना सरपंच 7 इचाक6 में- पूर्व सरपंच सत्यनारायण यादों में इचाक. सत्यनारायण सिंह साल पहले हुए चुनाव में मंगुरा पंचायत करियातपुर में था. चुने गये मुखिया तो गुजर गये, पर सरपंच सत्यनारायण सिंह जीवित हैं. उन्होंने कहा कि मात्र 50 रु में चुनाव लड़ कर सरपंच बना. अब पांच लाख खर्च होते हैं. उस वक्त लोगों में ईमानदारी थी. पैसे के लोभ में एवं जात पात की बातों में नहीं फंसते थे. अपने पसंद के उम्मीदवार को वोट देते थे. लोगों का एक-दूसरे पर विश्वास था, लेकिन अब सब उल्टा हो गया.

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